भोजपुर
तरारी में बीज वितरण में हंगामा, पुलिस की मौजूदगी में वितरण करना पड़ा बीज
तरारी। किसान भवन में बीज लेने के लिए पहुंचे किसान को सरकार द्वारा अनुदानित दर पर बीज लेने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। बीज लेने के लिए किसान भवन तरारी में पहुंचे किसानों ने बताया की बीज लेने के इंतजार में सारा कार्य छोड़कर सुबह से ही बैठे हैं । मनमानी एवं धांधली इस तरह है कि ओटीपी आने के बावजूद भी कम बीज दिया जा रहा है। बीज किसी और का और किसी दूसरे को दे दिया जाता है। कुरमुरी निवासी राधेश्याम सिंह उर्फ छोटे सिंह, डिलिया निवासी शेषनाथ सिंह , तरारी निवासी बृजकिशोर सिंह, सिकरौल निवासी लक्ष्मण तिवारी ने कहा कि आज तक तरारी में बीज वितरण में मनमानी एवं धांधली इतना कभी नही हुआ था। कभी ओटीपी का मैसेज नही आने की समस्या, तो जब ओटीपी आने के बाद बीज नहीं मिलने की समस्या से किसान ऊब चुके हैं। किसानों ने बीज वितरण में कुव्यवस्था को लेकर हंगामा किया। किसानों का जब आक्रोश बढ़ने लगा तो शांत कराया गया। उसके बाद पुलिस बुलाकर बीज वितरण कराया गया। ज्ञात हो कि तरारी में बीईओ का पोस्टिंग नही हुआ है। पीरो के बीईओ प्रभार में हैं। बीज वितरण हो या किसानों के लिए अन्य लाभकारी योजनाओं में मनमानी से किसान त्रस्त हैं।
सड़क दुर्घटना में घायल युवक की ईलाज के दौरान पटना एम्स में मौत, गाँव में पसरा मातम
तरारी। तरारी प्रखण्ड के सिकरहटा थाना क्षेत्र के सिकरौल गॉव मोड़ के समीप पीरो बाजार से लौटने के दौरान अज्ञात वाहन द्वारा पिछे सें धक्का मार फरार हों जाने के क्रम में सिकरौल निवासी कमेन्द्र पाण्डेय उर्फ दिना पाडेय व अभय पाण्डेय बुरी तरह जख्मी हो गये थे। सूचना मिलने के तुरंत बाद आनन फानन में परिजनो द्वारा घायल को लेकर पटना एम्स में पहुँचे। जहाँ ईलाज के दौरान कमेन्द्र पांडे उर्फ दिना पांडे की मौत हो गई, वही मृतक के दोस्त अभय पाण्डेय जिन्दगी व मौत से जुझ रहे है। मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार की शाम करीब आठ बजे मृतक कामेन्द्र पांडे उर्फ दीना पांडे अपने मित्र अभय पांडे के साथ बाईक से पीरो से बाजार कर अपने गांव लौट रहे थे, तभी अचानक अज्ञात गाडी के ठोकर से दोनों बाईक सवार बुरी तरह जख्मी हो गये थे। जानकारी के बाद परिजनो द्वारा घायलो को आनन फानन में एम्स ले जाया गया था जहाँ ईलाज के दौरान सिकरौल निवासी विजय पाण्डे के 26 वर्षीय पुत्र कामेन्द्र पांडे उर्फ दीना पांडे की मौत हो गई। मौत की खबर के बाद माँ लीला देवी व पत्नी प्रीती देवी के चित्कार से गाँव में सन्नाटा छा गया। मृतक चार भाई बहनो में दुसरे स्थान पर था, बडी बहन की शादी हो चुकी है दो छोटी बहनों का बोझ कामेन्द्र पाण्डेय उर्फ दीना पांडे के ही उपर था। दीना पांडे के मृत्यु के बाद पिता की स्थिति विक्षिप्त सा दिख रहा है। पुत्र के शव को देखकर पिता बिजय पांडे बेसुध हो जाते है और होश में आने के बाद चित्कार उठते है कि बेटी के उद्घार कैसे होई, ई माटी के के पार लगाई।पिता पेशे से किसान है जिनका पुत्र द्वारा हाथ बटाने के बाद घर गृहस्थी चलता था। मृतक कामेन्द्र पांडे उर्फ दीना पांडे की शादी मई माह 2019 को सिकरहटा थाना क्षेत्र के चंदा गाँव निवासी बिनोद सिंह की पुत्री प्रिती कुमारी से हुई थी। तरारी मध्य जिला परिषद सदस्य गिरिश नन्दन उर्फ राकेश सिंह, समाजसेवी किसान नेता राधेश्याम सिंह उर्फ छोटे सिंह और बसौरी पंचायत पूर्व मुखिया विनोद राम ने मृतक के परिजनों से मिल दुख जताया और सरकार से मुआवाजा की मांग किया।
भोजपुर : तरारी प्रखंड के विभिन्न छठ घाटो पर व्रतियों ने उदयीमान भगवान भास्कर को दिया अर्घ्य
तरारी। प्रखंड के बागर, देव, कुरमुरी, भकुरा, पनवारी, बसौरी, सिकरौल के साथ विभिन्न घाटों पर सोमवार को सभी छठ व्रतियों ने अष्टा चंगा में सूर्य को अर्घ्य दिया और परिवार के सुख, शांति, समृद्धि का कामना के साथ साथ विश्व कल्याण का कामना किया। उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही तरारी में लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का चार दिवसीय अनुष्ठान हर्षोल्लास के साथ संपन्न हो गया। उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ लोगों ने जन कल्याण की कामना की साथ ही इस महापर्व का समापन किया। सुबह के अर्घ्य को देने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ छठ पूजा घाटों पर दिखी। आस्था के महापर्व छठ पूजा को लेकर तरारी प्रखंड के विभिन्न घाटों पर हर्षोल्लास दिखा। चार दिनों के महापर्व में पहले दिन नहाय खाय से शुरूआत हुई और सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही महापर्व का भव्य समापन हुआ। महापर्व के अंतिम दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा होती है। अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना की गई थी और उदीयमान सूर्य की उपासना की गई। देव, कुरमुरी, तरारी के छठ घाटों के अलावे कई तालाबो में भी सुबह 3 बजे से ही लोगों का पहुंचना जारी रहा। लोग पहुंचते रहे और छठ घाटों पर प्रसाद के सूप और डालों को सजाकर लोग रखते गए। छठ व्रत करने वाली महिलाएं तालाबो में उतर कर भगवान भास्कर के उगने का इंतजार करती दिखी और इस दौरान छठ व्रती सूर्य की उपासना करती नजर आयीं। तालाबो में भी काफी भीड़ पहुंची थी। इस दौरान छठ घाटों पर पूजा समितियों ने तालाबों को बेहतर ढंग से सजाया था। रंगीन बल्बों और झालरों से सजा तालाबो का छठ घाट आकर्षक नजर आ रहा था।
महातैयारी के साथ महापर्व शुरू : नहाय – खाय के साथ शुरू हुआ लोक आस्था के महापर्व छठ
तरारी। लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की तैयारी में श्रद्धालु आस्था के साथ जुट गये है। प्रखण्ड भर में इसकी तैयारी बड़ी ही धूम-धाम से की जा रही है। लोक आस्था का महापर्व छठ 28 नवम्बर यानि शुक्रवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया।. कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक चलने वाला यह चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय – खाय के साथ शुरू हो गया। आज छठ वर्ती चने का दाल, लौकी के सब्जी, सेंधा नमक के साथ अरवा चावल खाकर अनुष्ठान की शुरूआत की। यह अनुष्ठान 36 घंटे का निर्जला व्रत होता है। इस साल छठ 28 नवम्बर को नहाय-खाय, 29 नवम्बर को खरना मनाया जाएगा। इसके बाद छठ व्रती 30 नवम्बर को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगी और 31 नवम्बर को सुबह में भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद छठ व्रत का समापन होगा। दूसरे दिन खरना की विधि की जाती है। खरना के दिन व्रती पूरे दिन निर्जला रह शाम होने पर चावल व गुड़ का खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते है, तीसरे दिन पूरे दिन उपवास के बाद शाम को भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाता है। मान्यता के अनुसार शाम का अर्घ्य के बाद रात में जागरण किया जाता है। इसमें वर्ती छठी माता के महिमा मे गीत गाती हैं और व्रत कथा भी सुनी जानें की परम्परा है। छठ पर्व के चौथे और अंतिम दिन सुबह सूर्य निकलने से पहले ही घाट पर पहुंच वर्ती उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ व्रत पूर्ण करते है। अर्घ्य देने के बाद घाट पर छठ माता से संतान – रक्षा और घर परिवार के सुख – शांति का वरदान मांगे जाने की परम्परा है। इस पूजन के बाद सभी में प्रसाद बांट कर फिर व्रती खुद भी प्रसाद खाकर व्रत का पारण लेते हैं। छठ गीत से भक्तिमय माहौल पिछले कई दिनों से प्रखंड तरारी में छठ का गीत बजने लगे हैं। क्षेत्र के विभिन्न गांवों एवं मुहल्लों में छठी मैया के गीत का धुन बजना शुरू हो चुका है। हर तरफ इसकी गीतों की गूंज सुनाई दे रही है। छठ गीतों में “उग हो सूरज देव भईल अर्घ्य के बेर”, “कांच ही बांस के बहंगीया, केलावा के पात पर उगी ला सूरज देव” सहित अन्य गीतों की आवाज से चारों ओर का माहौल भक्ति मय बना हुआ है। छठ घाटों की साफ-सफाई में लगे लोग वहीं युवा की टोली छठ घाट की साफ – सफाई के साथ घाट को बनाने में लगे है, वही देव सूर्य मंदिर, कुरमुरी सूर्य मंदिर व बागर सूर्य मंदिर समेत सभी सोननदी, नहर, तालाब सहित अन्य जगहों की सफाई एवं रास्ते का मरम्मती कार्य करने में स्थानीय लोग एव पुजा समिति के कार्यकर्ता जुटे हुए है। देव व बागर में दूर दराज से लोग अपना मन्नत पूरा करने आते है जिसके कारण यहा काफी भीड देखी जाती है।
देव छठ घाट का पूजा कमेटी के सदस्यों ने किया निरीक्षण
तरारी। छठ घाटो पर सुरक्षा के मद्देनजर देव गाँव स्थित ऐतिहासिक पोखरा प्रशासनिक उपेक्षा के कारण सफाई से वंचित रहा। सरकारी महकमा द्वारा निरीक्षण के दौरान तैयारी सम्बन्धी सारी जिम्मेवारी पुजा कमेटी को सौप अपना पल्ला झाड़ ली। खानापूर्ति के नाम पर केवल पंचायत सचिवों व विकास मित्रों की प्रतिनियुक्ति कर अपने दायित्वो का निर्वहन कर लिया गया है। इस संबध में प्रखण्ड विकास पदाधिकारी से दूरभाष पर जानकारी लेनी चाही तो बार बार फोन करने के बाद भी फोन रिसिभ नही किया। निरीक्षण के दौरान छठ कमेटी के सदस्यो ने बताया की सारी तैयारी जिम्मेवारी पूर्वक पूरी कर ली गई है। निरीक्षण के दौरान डब्लू उर्फ डिम्पल सिंह, अनील कुमार गुप्ता, रमेश पासवान, विक्की सिंह, लालजी सिंह, चन्द्रेश पाण्डेय, रामनरेश पाण्डेय, डा० सजय कुमार, कृष्णा कुमार पाण्डेय मौजूद रहे।
फीस वृद्धि की माँग को लेकर तेरहवे दिन कुलपति आवास के सामने बजे शंख ढ़ोल ड्रम
वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय मे फीस वृद्धि को लेकर चल रहे अनिश्चितकालीन आंदोलन के तेरहवे दिन गुरुवार के दिन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्त्ताओ ने कुलपति आवास के सामने सड़क पर बैठकर शांखनाद कर ढ़ोल व ड्रम बजाकर विश्वविद्यालय प्रशासन को अपनी माँग मनवाने के लिए अनूठा प्रयास किया। आंदोलनकारी छात्र छात्राओं ने कहाँ की हम छात्र अपनी मांगो को लेकर इस ठंड मे सड़को पर बैठे है और विश्वविद्यालय प्रशासन व कुलपति को फुर्सत तक नहीं है की हम छात्रों से बात तक कर ले। हम छात्र विश्वविद्यालय के कुलपति और उनके प्रशासनिक अमले की कुम्भकर्णीय निद्रा से जगाने के लिए वाद्ययंत्रो को बजाए ताकी इससे विश्वविद्यालय प्रशासन की निद्रा टूट सके। आंदोलन कर रहे छात्रों के द्वारा कुलपति आवास के आस पास शंख ढ़ोल मजीरा व ड्रम की आवाज़ गुजती रही वही छात्रों द्वारा कुलपति के खिलाफ जमकर नारे लगाए गए। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बीएचयू इकाई के अध्यक्ष अभय प्रताप सिंह ने कहाँ की जब तक हमारी माँगे पुरी नहीं हो जाती तब तक फीस वृद्धि के खिलाफ हमारा अनिश्चितकालीन आंदोलन जारी रहेगा। विश्वविद्यालय प्रशासन का मौन यह दर्शाता है की ये लोग छात्र हित मे कोई सकरात्मक पहल करना नहीं चाहते है इसलिए छात्रों द्वारा यह आंदोलन धनतेरस व दीपावली जैसे त्योहारो पर जारी रहा और जब तक फीस वृद्धि की माँग को नहीं माना जाता है तब तक जारी रहेगा इसके लिए चाहे कोई कुर्बानी देनी पड़े हम छात्र तैयार है। विरोध प्रदर्शन मे इकाई के मंत्री पुनीत मिश्रा ने कहाँ की विश्वविद्यालय प्रशासन फीस वृद्धि पर सफ़ेद झूठ बोल रहा है और अपने क्रूर नीति का परिचय दे रहा है जब छात्र शांतिपूर्वक अपनी बातो को लेकर कुलपति के पास जाते है तो हम छात्रों पर बल का प्रयोग किया जाता है। मालूम हो की पिछले दिनों अखिल भारतीय विधार्थी परिषद के छात्रों ने भैंस के आगे बीन बजाकर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन के दौरान मुख्य रूप से सत्यनारायण सिँह, मेघा मुखर्जी, अर्पर्णा उमेद, सौरभ राय ,सम्यक जैन, आदित्य तिवारी,अभिजीत सिंह, रौनक़, सुधांशु, आशुतोष शांडिल्य सहित सैकड़ो की संख्या मे छात्र छात्राए मौजूद रहे।
तरारी प्रखंड के गाजोडीह और विष्णुपुरा में नाटक का किया गया आयोजन
तरारी। प्रखंड क्षेत्र के इमादपुर पंचायत के विष्णुपुरा गांव मे बुधवार को गोबर्धन पूजा कमिटी के द्वारा भोजपुरी नाटक दहेज के दरिंदे नाटक का आयोजन किया गया । जिसका उद्घाटन इमादपुर पंचायत के मुखिया इमादपुर इंदु देवी ने फीता काट किया । उन्होने कहा कि गोवर्धन पूजा तभी संभव है जब स्वच्छता के प्रति पूरा समाज जागरूक होगा। हमे अपनी घर के सफाई के साथ – साथ अपने आस – पास को भी साफ रखना पड़ेगा तभी पूजा सफल होगी। सांस्कृतिक कार्यक्रम करने से समाजिक एकता विचार धारा का प्रवाह होता है। मौके पर बीडीसी मीरा देवी , पूर्व सदस्य राज्य महादलित आयोग सुरेंद्र रजवार , विनोद सिंह,राहुल राज,रमाशंकर सिंह , शंभू सिंह सहित कई अन्य लोग मौजूद रहे । कार्यक्रम की अध्यक्षता भोला साह व संचालन कमलेश शर्मा ने किया। वही दूसरे तरफ तरारी प्रखंड क्षेत्र के बसौरी पंचायत के गाजोडीह गांव मे बुधवार रात को गोबर्धन पूजा कमिटी के द्वारा भोजपुरी नाटक माई नाटक का आयोजन किया गया । जिसका उद्घाटन बसौरी पंचायत के मुखिया प्रतिनिधी सह सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र सिंह ने फीता काट कर किया । उन्होने कहा कि गोवर्धन पूजा तभी संभव है जब स्वच्छता के प्रति पूरा समाज जागरूक होगा । हमे अपनी घर के सफाई के साथ – साथ अपने आस – पास को भी साफ रखना पड़ेगा तभी पूजा सफल होगी । सांस्कृतिक कार्यक्रम करने से समाजिक एकता विचार धारा का प्रवाह होता है। मौके पर पंकज राय , मुन्ना कुमार , विजेंद्र यादव , मनीष यादव सहित कई लोग शामिल थे।
उत्साह के साथ महिलाओं ने तरारी के विभिन्न गांवों में मनाया भैया दूज का त्योहार
तरारी। तरारी पूरे प्रखंड में बृहस्पतिवार की सुबह महिलाओ ने अपने भाई के दीर्घायु जीवन के लिए श्रद्धा व विश्वास के साथ भैया दूज का त्योहार मनाया। महिलाओं ने गाय के गोबर का गोवर्धन के प्रतीक ( गोधन ) बनाकर उनकी पूजा किया। वहीं, भाई के दीर्घायु जीवन की कामना के साथ ही गोवंश के संवर्धन के साथ पूरे परिवार को धन – धान्य से परिपूर्ण करने की प्रार्थना भी किया। वही दुसरी ओर बहनों नें मुंह से परंपरागत रूप में उनके मृत्यु के लिए अपशब्द निकालने वाली जिह्वा में रेगनी का कांटा चुभोकर उसे दण्डित करने का सामुहिक उपक्रम किया। उनके दीर्घायु जीवन बनाये रखने की कामना की। फिर उस गोधन को मूशल के कुटकर उन्हें विसर्जित किया। उस पूजित गोधन से केराव का दाना ( बजरी ) निकाल सबो ने अपने भाईयों को प्रसाद के रूप में खिलाकर बज्र के समान शरीर को निरोग और आरोग्य प्राप्ति के लिए आशीर्वाद दिया। महिलाएं आपस में लंबा टिका लगाकर उनके पति के दीर्घायु जीवन की कामना की और अन्न उपज के लिए खेतों में भी पूजा किया। पूजन उपरांत घरों में तरह – तरह के व्यंजन भी पकाए गए। प्रखंड भर में यह त्यौहार उत्साह एवं श्रद्धा विश्वास के साथ मनाया गया।
तरारी के दर्जनों गांवों में धूमधाम से मनाया गया गोवर्धन पूजा
तरारी। दीपावली के दूसरे दिन बुधवार को गोवर्धन पर्व बड़े धूमधाम एवं उल्लास के साथ मनाया गया। ग्रामीणों ने अपने घरों में पूरी आस्था के साथ गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन की आकृति बनाकर विधि-विधान से पूजा की। फतेहपुर, खुटहा, मोपती, इमादपुर समेत दर्जनों गांवों में पूजा-अर्चना की गई। जहां पर गाय का गोबर उपलब्ध नहीं था, वहां पर लोगों ने रंगोली के रंगों से भगवान की आकृति बनाकर उनकी विधि-विधान से पूजा की। भक्तों ने भगवान गोवर्धन को अन्नकूट का भोग लगाया। वहीं मंदिरों में भी भक्तों ने सामूहिक रूप से भगवान गोवर्धन की पूजा की। विधि-विधान से भगवान गोवर्धन की पूजा हुई। जबकि गांवों में समूह बनाकर लोगों ने एक-दूसरे के घर जाकर गोवर्धन की पूजा की। क्यों मनाते है गोवर्धन पूजा गोवर्धन पूजा के बारे में मान्यता है कि देवराज इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए श्रीकृष्ण ने इंद्र की पूजा करने की बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए ग्रामीणों को प्रेरित किया। जब इंद्र को इस बात का पता चला तो उन्होंने पूरे गोकुल गांव को नष्ट करने व कृष्ण को अपनी शक्तियों का परिचय देने के लिए भारी बारिश करा दी। गांव में हाहाकार मच गया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठा लिया और ग्रामीणों की रक्षा की। सात दिन तक लगातार इंद्र ने अपना कहर बरपाया, लेकिन किसी भी ग्रामीणों को क्षति नहीं पहुंची। तब से भगवान श्रीकृष्ण को गोवर्धन के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मंदिरों में काफी संख्या में लोग गोवर्धन भगवान की पूजा करते है।