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राजद सुप्रीमो लालू यादव को पिता मानने वाला डिजिटल भिखारी राजू बेतिया स्टेशन पर बना चर्चा का विषय

भिखारी को आम तौर पर लोगों से मांग कर गुजारा करने वाला संसाधनविहीन आदमी माना जाता है। लोग उसपर दया करके भीख में पैसे या कोई सामान दे देते हैं। लेकिन आज के डिजिटल युग में बिहार का एक भिखारी भी डिजिटल (Digital Beggar) हो गया है। राज्‍य के बेतिया रेलवे स्‍टेशन व आसपास के इलाकों में देखा जाने वाला राजू हाथ में टैब व गले में स्‍कैनर लेकर चलता है। अगर खुल्‍ले नहीं हैं तो क्यूआर कोड से स्कैन करवाकर डिजिटल भीख लेता है। खास बात यह कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का जबरदस्‍त फैन है तथा राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD( सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) को पिता जैसा मानता है।  केवल तीसरी कक्षा तक पढ़ा राजू बेतिया रेलवे स्‍टेशन व आसपास के इलाके में भीख मांग कर गुजारा करता था। उसकी परेशानी यह थी कि कई बार लोग ई-वॉलेट की बात करते हुए छुट्टे नहीं होने की बात कहकर टाल देते थे। एक बार किसी रेल यात्री ने तंज कसा कि क्‍या गूगल-पे कर दूं? क्‍यूआर कोड दो! राजू के जेहन में यह बात घुस गई। फिर क्‍या था, राजू ने स्‍टेशन के दुकानदारों से पूरी जानकारी इकट्ठा की। भीख में मिले 18 हजार रुपयों से सैमसंग का टैब खरीदा। दुकानदारों की सहायता से ही क्‍यूआर कोर्ड स्‍कैनर की जानकारी लेकर उसे खरीदा और उनसे ही डिजिटल ट्रांजेक्शन सीखी। तीसरी कक्षा तक पढ़ा होने के बावजूद डिजिटल तकनीक को सीखकर आज वह उसे आसानी से हैंडल कर रहा है। राजू बताता है कि अब या‍त्री खुल्‍ले पैसे नहीं होने पर भी डिजिटल भीख देते हैं। साथ ही वह स्टेशन पर जरूरतमंद यात्रियों और दुकानदारों से अपने अकाउंट में पैसे लेकर उन्हें कैश भी देता है। बेतिया के व्‍यवसायी रमाकांत सहनी बताते हैं कि राजू बेतिया रेलवे स्टेशन पर बचपन से भीख मांगता है। उनके अनुसार भीख मांगने के लिए ‘गूगल-पे’ और ‘फोन-पे’ के ई- वॉलेट का इस्तेमाल करने वाला राजू संभवत: देश का पहला ‘डिजिटल’ प्रोफेशनल भिखारी है। लेकिन सवाल यह है कि एक भिखारी ने अपना बैंक खाता कैसे खोला? राजू बताते हैं कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े फैन हैं। वह प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया से प्रभावित होकर अपना भी बैंक खाता खोलना चाहता था, लेकिन इसके लिए बैंक ने आधार कार्ड और पैन कार्ड मांगे। आधार कार्ड पहले से बनवा रखा था, लेकिन पैन कार्ड बनवाना पड़ा। इसके बाद इसी साल के आरंभ में बेतिया में स्‍टेट बैंक आफ इंडिया की मुख्य शाखा में खाता खुलवाया। फिर तो ई-वॉलेट भी बन गया। राजू आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का भी बड़ा फैन रहा है। लालू के रेल मंत्री रहते एक बार बेतिया रेलवे स्टेशन पर उनसे हुई मुलाकात की चर्चा करते हुए राजू बतात है कि इसके बाद तो वह पश्चिम चंपारण जिले में लालू के सभी कार्यक्रमों में जरूर पहुंचता था। साल 2005 में लालू के आदेश पर उसे सप्तक्रांति सुपर फास्ट एक्‍सप्रेस के पैंट्री कार से रोज भोजन मिलने लगा था। यह सिलसिला साल 2015 में टूटा। कहता है कि लालू ने उसे बिहार में मुफ्त रेल यात्रा भी कराई थी। इसके बाद तो वह लालू को पिता की तरह मानने लगा। सरल स्‍वभाव के राजू की निजी जिंदगी परेशानी भरी रही है। मां की मौत के बाद पिता ने दूसरी शादी कर ली थी। बचपन में एक बार घर से भागा तो कब भिखारी बन गया, पता ही नहीं चला। अब तो वह बेतिया शहर में जाना-पहचाना चेहरा है, स्‍थानीय लाेग भी उसकी मदद करते हैं। राजू की यह कहानी सिस्‍टम के नकारापन को भी खोलकर रख देती है। भिखारी का यह धंधा कितना वैध है, इसकी बात नहीं करते हुए हम यह बताना चाहते हैं कि इससे गरीबों के लिए चलाई जाने वाली समाज कल्‍याण की योजनाओं की वास्‍तविकता उजागर हो गई है। वह स्टेशन परिसर में भीख कैसे मांगता है, यह सवाल भी है। बेतिया के स्टेशन अधीक्षक कहते हैं कि स्‍टेशन पर भीख मांगने की अनुमति नहीं है, लेकिन गौर करने की बात यह है कि राजू स्‍टेशन पर हीं तत्‍कालीन रेल मंत्री तक से बतौर भिखारी मिल चुका है।  

बिहार में RJD पार्टी के दर्जनों कार्यकर्ताओं के पदों में फेरबदल, जाने पूरी जानकारी

राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह दो महीने बाद मंगलवार को कार्यालय आए। अब जिलाध्यक्षों और प्रदेश पदाधिकारियों के चयन की प्रक्रिया शुरू होगी। पहले राजद के जिलाध्यक्षों का चयन होगा। उसके तुरंत बाद प्रदेश पदाधिकारियों के नाम घोषित किए जाएंगे। इन दोनों तरह के पदधारकों की सूची तैयार ही हो रही थी कि जगदानंद नाराज होकर घर बैठ गए। हालांकि उस दौरान भी वे पार्टी के नीति निर्धारकों के संपर्क में थे। जिलाध्यक्षों के चयन के लिए राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद को अधिकृत किया गया था। सूत्रों ने बताया कि सिंगापुर जाने से पहले जगदानंद से मुलाकात के समय दोनों के बीच मोटे तौर पर जिलाध्यक्षों के नाम पर सहमति बन चुकी है। उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से भी विमर्श हो चुका है। विचार का विषय यह है कि तीन साल पहले बने जिलाध्यक्षों की छंटनी का आधार क्या हो। प्रारंभिक सहमति इस पर है कि सभी जिलाध्यक्षों के कामकाज का मूल्यांकन किया जाए। बेहतर काम करने वाले जिलाध्यक्षों को एक और अवसर दिया जाए। जबकि खराब काम करने वाले जिलाध्यक्ष बदल दिए जाएं। कामकाज के मूल्यांकन के समय विधानसभा चुनाव में संबंधित जिलाध्यक्ष की भूमिका की भी परख होगी, जिन जिलों में राजद और सहयोगी दलों की अधिक सीटों पर जीत हुई है, उन जिलाध्यक्षों का पद पर बने रहना तय है। राज्य में 38 जिले हैं। बड़े शहरों को भी सांगठनिक जिला का दर्जा दिया गया है। कुल जिलाध्यक्षों की संख्या 50 है। ये सब जगदानंद के प्रदेश अध्यक्ष बनने के तुरंत बाद मनोनीत किए गए थे। इनका कार्यकाल पूरा हो चुका है। प्रदेश संगठन में बड़ा फेरबदल संभव है। अधिक संभावना इस बात की है कि प्रधान महासचिव का पद किसी नए नेता को दिया जाए। इस समय आलोक मेहता इस पद पर हैं। वे राजस्व एवं भूमि सुधार के अलावा गन्ना उद्योग विभाग के भी मंत्री हैं। सरकारी व्यस्तता के कारण संगठन को अधिक समय नहीं दे पाते हैं। जबकि अध्यक्ष के बाद यह सबसे महत्वपूर्ण पद है। प्रदेश पदाधिकारियों की टीम में युवाओं को प्राथमिकता दी जा सकती है। प्रदेश संसदीय बोर्ड का गठन पहले हो चुका है।

ठंढ से जल्द ही कांपेगी बिहार, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट

पटना सहित बिहार के सभी जिलों में पछुआ के कारण मौसम शुष्क बना हुआ है। 10-12 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से हवा बह रही है। इसके प्रभाव से लोगों को सुबह और शाम में ठंड अनुभव हो रही है। दिन का तापमान स्थिर है, रात में पारे में गिरावट हो रही है। मौसम विज्ञान केंद्र पटना के अनुसार, तीन से चार दिनों में तापमान में दो से चार डिग्री और गिरावट की संभावना है। पहाड़ी इलाकों पर लगातार हो रही बर्फबारी का असर दिखेगा, यहां से आने वाली ठंडी हवा प्रदेश में प्रवेश करने के साथ ठंड में वृद्धि करेगी। राजधानी समेत प्रदेश के 11 जिलों के न्यूनतम तापमान में आंशिक वृद्धि दर्ज की गई। वहीं, 11 जिलों के न्यूनतम तापमान में गिरावट आई है। मंगलवार को गया का तापमान सामान्य से तीन डिग्री की गिरावट के साथ न्यूनतम 10.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, इस तरह गया प्रदेश का सबसे ठंडा शहर रहा। वहीं, राजधानी का न्यूनतम तापमान 13.8 डिग्री सेल्सियस रहा। प्रदेश का औसत न्यूनतम तापमान 12-14 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में सुबह के समय धुंध की स्थिति बनी रहेगी। मौसम विज्ञानी की मानें तो पूरे महीने तापमान में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहेगी।

बढती ठंढ के चलते बिहार सरकार ने एटीएम के सुरक्षा का टास्क एसपी को सौंपा

बिहार के सभी जिलों में एटीएम सुरक्षा की समीक्षा की जाएगी। सुनसान व संवेदनशील इलाकों के एटीएम को जिलास्तर पर चिह्नित किया जाएगा। ऐसे एटीएम में गार्ड व सीसीटीवी कैमरा लगाना अनिवार्य किया जाएगा। हाल के दिनों में एटीएम से कैश चोरी की घटना के बाद पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के एसपी को इस बाबत निर्देश दिया है। एडीजी मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को एटीएम की सुरक्षा की समीक्षा करने को कहा है। इसके लिए सभी जिलों के एसपी बैंक अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। इसमें देखा जाएगा कि बैंक एटीएम सुरक्षा के तय मानदंडों का पालन कर रहे हैं या नहीं। किन-किन बैंकों में गार्ड रखे गए हैं रात के समय संवेदनशील क्षेत्रों के एटीएम में गार्ड रहते हैं या नहीं। इसके अलावा सीसीटीवी कैमरा लगा है या नहीं। अगर कैमरे लगे हैं, तो काम कर रहे हैं या नहीं। इन सारे बिंदुओं को लेकर एटीएम की सुरक्षा में चूक और उसके निदान का प्लान बनाया जाएगा। बैंक अधिकारियों को जहां जरूरत होगी, वहां पुलिस के स्तर से भी रात्रि गश्ती व अन्य सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी।पुलिस मुख्यालय में हुई सभी क्षेत्र व जिलों के वरीय पुलिस अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में भी डीआइजी दलजीत सिंह ने भी एटीएम सुरक्षा को लेकर निर्देश दिया। वर्ष 2009 में रिजर्व बैंक आफ इंडिया के द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुपालन की समीक्षा करने को कहा गया। यह भी कहा गया कि मुख्यालय स्तर से भी चुनिंदा जिलों की समीक्षा की जाएगी। राज्य में ठंड की दस्तक के साथ ही एटीएम चोरी की घटनाएं बढ़ जाती हैं। कुछ दिनों पूर्व ही राजधानी के कंकड़बागा के आरएमएस कालोनी में चोरों ने एटीएम उखाड़कर तीन लाख से अधिक नकद की चोरी कर ली। पिछले साल अक्टूबर में फुलवारीशरीफ के इशापुर में एचडीएफसी बैंक के एटीएम उखाड़कर चोर ले गए थे जिसमें 21 लाख रुपये नकद थे। कुछ माह पूर्व गया में भी चोरों ने एटीएम से 15 लाख की राशि गायब कर दी थी।

भूमिहीनों को जमीन उपलब्ध करायेगी बिहार सरकार, लिया फैसला

पटना। बिहार में एक बार फिर से बुलडोजर अभियान शुरू होने वाला है। अभियान की जद में बड़े मकान हों या दुकान, सभी आएंगी। सोमवार को प्रदेश के मुख्‍य सचिव आमिर सुबहानी ने इस पूरे अभियान की समीक्षा की। इस दौरान अतिक्रमण करने वालों के लिए राहत वाली एक बात भी सरकार ने कही है। अतिक्रमण हटाओ अभियान में अगर किसी ऐसे व्‍यक्ति का घर आता है, जिसके पास रहने के लिए कोई दूसरी जगह नहीं है, तो सरकार उसे बसने के लिए जमीन देगी। यह अभियान जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत चलाया जाएगा। इसके तहत जलस्रोतों को कब्‍जा कर बनाए गए अवैध निर्माण को तोड़ा जाएगा। अतिक्रमण हटाओ अभियान में जिनके भी मकान खाली कराए और उनके पास रहने का दूसरा कोई ठिकाना नहीं है तो सरकार उन्हें जमीन देगी। मुख्य सचिव के स्तर पर हुई बैठक में मिशन का नोडल विभाग ग्रामीण विकास विभाग के अलावा कई विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव के अलावा जिलाधिकारी भी वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये जुड़े रहे। बैठक के दौरान ग्रामीण विकास विभाग ने जानकारी दी कि इस अभियान को 2022 के स्थान पर तीन वर्ष का अवधि विस्तार दिया गया है। अब जल-जीवन-हरियाली अभियान 2025 तक जारी रहेगा। ग्रामीण विकास के पदाधिकारी ने मुख्य सचिव को बताया कि इस अभियान के तहत जिन जल स्रोतों आहर, पईन वगैरह पर अतिक्रमण है उन्हें प्राथमिकता से अतिक्रमण मुक्त करने का काम चल रहा है। सरकार की ओर से बताया गया कि अब तक करीब 15 सौ स्थानों से अतिक्रमण हटाया जा चुका है। 427 प्लाट जो सरकारी हैं, वे अब भी अतिक्रमण की चपेट में हैं। मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि जिन सरकारी प्लाट पर अतिक्रमण की पहचान हो चुकी है उन्हें अविलंब खाली कराएं। ग्रामीण विकास विभाग ने जानकारी दी कि लगभग ढाई हजार ऐसे लोगों को चिह्नित किया गया, जिनके पास अतिक्रमण की वजह से जमीन नहीं है। ऐसे चिह्नितों में से अब तक 1700 लोगों को मुफ्त जमीन दी गई है। मुख्य सचिव ने शेष चिह्नित लोगों को भी अविलंब जमीन उपलब्ध कराने का आदेश दिया।

महातैयारी के साथ महापर्व शुरू : नहाय – खाय के साथ शुरू हुआ लोक आस्था के महापर्व छठ

तरारी।  लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की तैयारी में श्रद्धालु आस्था के साथ जुट गये है। प्रखण्ड भर में इसकी तैयारी बड़ी ही धूम-धाम से की जा रही है। लोक आस्था का महापर्व छठ 28 नवम्बर यानि शुक्रवार को नहाय खाय के साथ   शुरू हो गया।. कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक चलने वाला यह चार दिवसीय  अनुष्ठान नहाय – खाय के साथ शुरू हो गया। आज छठ वर्ती चने का दाल, लौकी के सब्जी, सेंधा नमक के साथ अरवा चावल खाकर अनुष्ठान की शुरूआत की। यह अनुष्ठान 36 घंटे का निर्जला व्रत होता है। इस साल छठ 28  नवम्बर  को नहाय-खाय, 29 नवम्बर को खरना मनाया जाएगा। इसके बाद छठ व्रती 30 नवम्बर  को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगी  और 31 नवम्बर को सुबह में भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद  छठ व्रत का समापन  होगा।  दूसरे दिन खरना की विधि की जाती है। खरना के दिन व्रती पूरे दिन निर्जला रह शाम होने पर  चावल व गुड़ का खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते है, तीसरे दिन पूरे दिन  उपवास के बाद  शाम को  भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाता है। मान्यता के अनुसार शाम का अर्घ्य के बाद रात में जागरण किया जाता है। इसमें वर्ती छठी माता के महिमा मे गीत गाती हैं और व्रत कथा भी सुनी जानें की परम्परा है। छठ पर्व के चौथे और अंतिम दिन सुबह सूर्य निकलने से पहले ही घाट पर पहुंच वर्ती   उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ व्रत पूर्ण करते है। अर्घ्य देने के बाद घाट पर छठ माता से संतान – रक्षा और घर परिवार के सुख – शांति का वरदान मांगे जाने की परम्परा है। इस पूजन के बाद सभी में प्रसाद बांट कर फिर व्रती खुद भी प्रसाद खाकर व्रत का पारण लेते हैं। छठ गीत से भक्तिमय माहौल                                                                          पिछले कई दिनों से प्रखंड तरारी  में छठ का गीत बजने लगे हैं। क्षेत्र के विभिन्न गांवों एवं मुहल्लों में छठी मैया के गीत का धुन बजना शुरू हो चुका है। हर तरफ इसकी गीतों की गूंज सुनाई दे रही है। छठ गीतों में “उग हो सूरज देव भईल अर्घ्य के बेर”, “कांच ही बांस के बहंगीया, केलावा के पात पर उगी ला सूरज देव” सहित अन्य गीतों की आवाज से चारों ओर का माहौल भक्ति मय  बना हुआ है। छठ घाटों की साफ-सफाई में लगे लोग                                                                                                                        वहीं युवा की टोली छठ घाट की साफ – सफाई के साथ घाट को बनाने में लगे है, वही देव सूर्य मंदिर, कुरमुरी सूर्य मंदिर व बागर सूर्य मंदिर समेत सभी सोननदी,  नहर, तालाब सहित अन्य जगहों की सफाई एवं रास्ते का मरम्मती कार्य करने में स्थानीय लोग एव पुजा समिति के कार्यकर्ता जुटे हुए है। देव व बागर में दूर दराज से लोग अपना मन्नत पूरा करने आते  है जिसके कारण यहा काफी भीड देखी जाती है।

एक बार फिर प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर साधा निशाना

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर इन दिनों बिहार की यात्रा कर रहे हैं। वह राजनीतिक बहस छेड़कर खबरों में बने रहने की कला जानते हैं। उन्होंने एक बार फिर ऐसा ही किया है। पीके ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर ऐसा बयान दिया कि राज्य की सारी प्रमुख पार्टियों के नेता उस पर बहस करने लगे। दरअसल, पीके ने गुरुवार को कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन को छोड़ भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में वापसी कर सकते हैं। बिहार के मंत्री और जदयू के सीनियर नेता मदन सहनी ने किशोर के आरोप को खारिज कर दिया और कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह अपनी ‘मन की बात’ कर रहे हैं। वहीं, महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राजद के प्रवक्ता शक्ति यादव ने आरोप लगाया कि किशोर बिना सिद्धांतों वाले व्यक्ति हैं जो पैसा देने वाले के पक्ष में खड़े होने के लिए तैयार रहते हैं। वहीं, जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा ने दावा किया है कि प्रशांत किशोर HAM को ज्वॉइन करना चाहते हैं। हम लीडर दानिश रिजवान ने कहा कि पीके जीतन राम मांझी के लिए काम करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर मुख्यमंत्री नीतीश के बारे में क्या टिप्पणी करते हैं, उससे महागठबंधन के सेहत पर कोई असर पड़ेगा। पीके इतना बड़ा चेहरा नहीं हैं कि हम बिहार की राजनीति में उनकी चर्चा करें।

सिपारा मध्य विद्यालय में गमला और पौधा का किया गया वितरण

पटना। राजधानी पटना के मध्य विद्यालय सिपारा में दीदीजी फाउंडेशन की संरक्षक और समाजसेवी विनीता कुमारी ने बच्चों के बीच गमला और पौधा का वितरण किया और उन्हें पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया। राजकीय सम्मान प्राप्त शिक्षिका डा.नम्रता आनंद के मार्गदशन में मध्य विद्यालय सिपारा के बच्चों के बीच पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता अभियान चलाया गया। इस अवसर पर दीदीजी फाउंडेशन की संरक्षक और समाजसेवी विनीता कुमारी ने गमला और पौधा का वितरण किया और बच्चों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया। डा. नम्रता आनंद ने बताया कि पर्यावरण शब्द ‘परि और आवरण’ के संयोग से बना है। ‘परि’ का अर्थ चारों ओर तथा ‘आवरण’ का अर्थ परिवेश है। पर्यावरण अर्थात वनस्पतियों, प्राणियों, और मानव जाति सहित सभी सजीवों और उनके साथ संबंधित भौतिक परिसर को पर्यावरण कहतें हैं।पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाना ही पर्यावरण संरक्षण कहलाता है। पर्यावरण संरक्षण का मुख्य उद्देश्य भविष्य के लिए पर्यावरण या प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना है। इस सदी में हम लोग विकास के नाम पर पर्यावरण को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं। वैज्ञानिक गतिविधियों के कारण पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। साथ ही कभी औद्योगिकीकरण के नाम पर तो कभी शहरीकरण के नाम पर पेड़ो की अंधाधुंध कटाई हुई है। बढ़ती जनसंख्या के कारण भी पर्यावरण संकट गहराता जा रहा है।लोगों को वन संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए। विनीता कुमारी ने कहा,आज के समय में पर्यावरण असंतुलित हो गया है। बढ़ती आबादी, औद्योगीकरण, प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध इस्तेमाल से आज विश्व का तापमान चिंतित स्तर पर बढ़ रहा है।पर्यावरण के प्रति जागरूकता ना होने के कारण पर्यावरण संरक्षण की समस्या लगातार उत्पन्न हो रही है। पर्यावरण संरक्षण का विश्व के सभी नागरिकों तथा प्राकृतिक परिवेश से गहरा संबंध है। पर्यावरण संरक्षण के लिए पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले कारणों पर नियंत्रण रखना आवश्यक है। पर्यावरण संरक्षण किसी एक व्यक्ति या एक देश का काम नहीं है यह पूरे विश्व के लोगों का कर्तव्य बनता है कि वह पर्यावरण को संरक्षित रखें। विद्यालय के प्रधानाध्यापक कृष्ण नंदन प्रसाद ने कहा, यदि समय रहते हम नहीं चेते और पर्यावरण को बचाने के बारे में नहीं सोचा तो, इसके भयंकर परिणाम हो सकते हैं। पूरे सौर-मंडल में केवल हमारी पृथ्वी पर ही जीवन संभव है लेकिन यह अधिक दिनों तक संभव नहीं है। हमें समय रहते, पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करके सुरक्षित करना है।पर्यावरण में जितना महत्व मनुष्यों का है, उतना ही अन्य जीव-जन्तुओं का भी। अकेले मानवों के अस्तित्व के लिए भी पेड़-पौधो की उपस्थिति अनिवार्य है। प्राणवायु ऑक्सीजन हमें इन वनस्पतियों के कारण ही मिलती हैं। इस अवसर पर नीलम शर्मा, उर्मिला कुमारी, पद्मावती कुमारी, मंजू कुमारी, संगीता कुमारी, आभा कुमारी शर्मा, विद्या कुमारी राजेश रंजन ने सभी बच्चों को पर्याररण संरक्षण के प्रति प्रोत्साहित किया।

बिहार में ग्राम प्रतिनिधियों को एक साल होने वाला है लेकिन अधूरा है कार्य

बिहार के विभिन्न ज़िलों में पंचायत चुनाव के 1 साल पूरे होने वाले हैं, लेकिन विकास कार्य अभी भी अधर में पड़ा है। केंद्र की तरफ़ 15 वें वित्त आयोग की सिफारिश पर प्रदेश के लिए 1 हज़ार 152.60 करोड़ रुपये का फंड जारी किया गया । इस फंड का इस्तेमाल तय मानक के अनुसार ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद द्वारा किया जाना था। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 15 वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर केंद्र सरकार की तरफ से पहली किश्त 1 हज़ार 152.60 करोड़ रुपये फंड प्रदेश को मिला। राशि आवंटित पर नहीं हो रहा काम केंद्र की तरफ से मिले फंड से प्रदेश के 8 हज़ार 67 ग्राम पंचायत, 533 पंचायत समिति और 38 जिला परिषद क्षेत्र में विकास कार्य होना था। केंद्र की तरफ से मंज़ूर राशि वित्तीय वर्ष 2022-23 में ही इस्तेमाल करना था। जिसका वितरण पंचायती राज संस्थाओं के बीच इंस्टॉलमेंट में किया जाना था। इसके तहत पहले 70 फीसद, फिर 15-15 फिसद का वितरण होना था।

केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस के सामने आया शराबी, बाल बाल बचे मंत्री

केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस एक बड़े हादसे का शिकार होते-होते बच गये. शराबबंदी वाले बिहार में शनिवार की देर शाम अचानक एक शराबी केंद्रीय मंत्री के काफिले के सामने आ गया. अचानक एक व्यक्ति के बीच सड़क पर आ जाने से काफिले में आगे चल रही गाड़ी व्यक्ति को बचाने के क्रम में असंलुतित होकर सड़क के नीचे उतर गयी. की गाड़ी समेत काफिले में चल रही तमाम गाड़ियों को एक झटके में रोका गया. यह पूरी घटना बीती रात महनार से पटना लौटने के दौरान हुई. इस घटना के बाद महनार पटना सड़क पर काफी देर तक अफरा-तफरी की स्थिति बनी रही.काफिले में आगे चल रही गाड़ी के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण सड़क पर जाम की स्थिति बन गयी.