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नये साल में एयर इंडिया का शानदार गिफ्ट , फ्री में मिलेगी यह सुविधा*

*नये साल में एयर इंडिया का शानदार गिफ्ट , फ्री में मिलेगी यह सुविधा* *नई दिल्ली* *नये साल में विमानन कंपनी एयर इंडिया अपने ग्राहकों को शानदार गिफ्ट दे रहा है। 1 जनवरी 2025 से एयर इंडिया ने अपनी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में वाई-फाई इंटरनेट सेवा शुरू की है। इसी के साथ एयर इंडिया घरेलू उड़ानों में इन-फ्लाइट वाई-फाई शुरू करने भारत की पहली एयरलाइंस बन गई है। फिलहाल यह सुविधा बोइंग 787-9, एयरबस ए350 और चुनिंदा एयरबस ए321 नियो फ्लाइटों में फ्री में मिलेगी। अब 10 हजार फीट की ऊंचाई पर एयर इंडिया के पैसेंजर्स लैपटॉप, टैबलेट और स्मार्टफोन जैसे अपने गैजेट्स को कनेक्ट कर वाई-फाई इंटरनेट का मजा ले सकते हैं।* *गौरतलब है कि भारत में विस्तारा ही एकमात्र कंपनी है, जिसके पास यह सुविधा है, वो भी इंटरनेशनल एयरलाइंस में सिर्फ 20 मिनट के लिए ही मुफ्त होता है। इसके बाद यात्री को इंटरनेट खरीदना पड़ता है।* *

*हवाई यात्री कृपया ध्यान दें ! रांची एयरपोर्ट पर विमानों की उड़ान का समय बदला , देखें नयी समय सारणी*

* हवाई यात्री कृपया ध्यान दें ! रांची एयरपोर्ट पर विमानों की उड़ान का समय बदला , देखें नयी समय सारणी*     *नई दिल्ली / रांची – बिरसा मुंडा एयरपोर्ट प्रबंधन ने छह से 31 जनवरी तक विमानों के लिए नयी समय सारिणी जारी की है. इसमें पुणे-रांची-बेंगलुरू (6ई6484-6799) आगमन सुबह 8.25, प्रस्थान सुबह 8.55 बजे, मुंबई-रांची-मुंबई आइएक्स (1237-1238) आगमन सुबह 8.20, प्रस्थान सुबह 8.50, दिल्ली-रांची-दिल्ली (6ई5044-5043) आगमन सुबह 8.40, प्रस्थान सुबह 9.10, कोलकाता-रांची-कोलकाता (6ई7561-7562) आगमन सुबह 8.50, प्रस्थान सुबह 9.20 बजे* *हैदराबाद-रांची-हैदराबाद (6ई6083-6084) आगमन सुबह 9.00, प्रस्थान सुबह 9.35, रांची-दिल्ली-रांची (आईएक्स 1116-1117) आगमन सुबह 10.00, प्रस्थान सुबह 10.30, हैदराबाद-रांची-हैदराबाद (6ई421-398) आगमन सुबह 10.20, प्रस्थान सुबह 10.55, बेंगलुरू-रांची-बेंगलुरू (आईएक्स 2722-2723) आगमन सुबह 11.20, प्रस्थान सुबह 11.50, कोलकाता-रांची-कोलकाता (6ई6152-6893) आगमन सुबह 11.55, प्रस्थान दोपहर 12.30, देवघर-रांची देवघर (6ई7965-7964) आगमन दोपहर 12.30, प्रस्थान दोपहर 12.50, दिल्ली-रांची-दिल्ली (आईएक्स 1102-1103) आगमन दोपहर 12.50, प्रस्थान दोपहर 1.20, पटना-रांची-पटना (6ई6902- 925) आगमन दोपहर 1.00, प्रस्थान दोपहर 1.30, कोलकाता-रांची-कोलकाता (6ई198-264) आगमन दोपहर 1.40, प्रस्थान दोपहर 3.00 बजे, दिल्ली-रांची-दिल्ली (6ई 5071-5220) आगमन दोपहर 2.20, प्रस्थान दोपहर 2.50, दिल्ली-रांची-दिल्ली (एआई2753-2754) आगमन दोपहर 2.55, प्रस्थान दोपहर 3.50, मुंबई-रांची-मुंबई (6ई2348-298) आगमन शाम 4.15, प्रस्थान शाम 4.45, बेंगलुरू-रांची-बेंगलुरू (आइएक्स 2708-2710) आगमन शाम 4.40, प्रस्थान शाम 5.10, दिल्ली-रांची-दिल्ली (6ई2093-2349) आगमन शाम 5.25, प्रस्थान शाम 5.55, अहमदाबाद-रांची-अहमदाबाद (6ई6493-6184) आगमन शाम 5.45, प्रस्थान शाम 6.15* *दिल्ली-रांची-दिल्ली (आइएक्स 1113-1114) आगमन शाम 5.55, प्रस्थान शाम 6.35, भुवनेश्वर-रांची-भुवनेश्वर (6ई7361-7362) आगमन शाम 6.30, प्रस्थान शाम 6.55, चेन्नई-रांची-चेन्नई (6ई6113-209) आगमन शाम 6.35, प्रस्थान शाम 7.05, बेंगलुरू-रांची-बेंगलुरू (आइएक्स2975-2976) आगमन शाम 6.45, प्रस्थान शाम 7.15, दिल्ली-रांची-दिल्ली (6ई5339-6031) आगमन शाम 7.50, प्रस्थान रात 8.20, बेंगलुरू-रांची-पुणे (6ई221-6272) आगमन रात 8.20, प्रस्थान रात 9.00, कोलकाता-रांची-कोलकाता (6ई7674-7235) आगमन रात 8.30, प्रस्थान रात 8.50, हैदराबाद-रांची-हैदराबाद (6ई186-191) आगमन रात 8.30, प्रस्थान रात 9.10 बजे होगा*  

लातेहार: नाइट गार्ड हत्याकांड का खुलासा, पांच आरोपी गिरफ्तार*

लातेहार: नाइट गार्ड हत्याकांड का खुलासा, पांच आरोपी गिरफ्तार* *लातेहार / झारखंड* *लातेहार सदर थाना पुलिस ने एसपी कुमार गौरव को मिली गुप्त सूचना पर नाइट गार्ड हत्याकांड का खुलासा करते हुए इस हत्याकांड में शामिल पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार आरोपियों में भुवनेश्वर सिंह, रमेश सिंह, छोटेलाल उरांव, रामचंद्र उरांव और सनोज उरांव शामिल हैं। सभी अपराधी लातेहार सदर थाना क्षेत्र के भूसुर पंचायत के रहने वाले हैं। अपराधियों के पास से तीन देशी पिस्तौल व हत्या में प्रयुक्त टांगी बरामद किया गया। बता दें कि गत 26 दिसंबर को औरंगा नदी पर पुल निर्माण कार्य में नाइट गार्ड के रूप में कार्य कर रहे गोविंद साहू की हत्या अपराधियों ने धारदार हथियार से कर दी थी।*  

ऐसे थे धीर वीर IPS रणधीर प्रसाद वर्मा*

*ऐसे थे धीर वीर IPS रणधीर प्रसाद वर्मा* *भारत में आमतौर पर पुलिस की जैसी कार्य-प्रणाली है, भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी और धनबाद के आरक्षी अधीक्षक रणधीर प्रसाद वर्मा ने अपने को उसी अनुरूप ढाल लिया होता तो बैंक को भले चूना लगता और पंजाब के भगोड़े आतंकवादियों को झारखंड क्षेत्र में पैर जमान का साहस मिल गया होता और हो सकता है कि नक्सलवाद की समस्या से कराहते झारखंड की सूरत और भी बदरंग हो चुकी होती।* *पर इस जांबाज पुलिस अधिकारी ने ने रण में युद्ध करते हुए मृत्यु का वरण करना ज्यादा पसंद किया और वीरगति को प्राप्त करके राष्ट्र की शान बढ़ाई।* *इसमें दो राय नहीं कि अत्याधुनिक हथियारों से लैस पंजाब के भगोड़े आतंकवादी अपने को आर्थिक रूप से सशक्त करके झारखंड क्षेत्र में पांव जमाने के लिए धनबाद के हीरापुर स्थित बैंक आफ इंडिया पर जिस तरह धाव बोला था, वह एक देशभक्त पुलिस अधिकारी के लिए रण में युद्ध जैसा ही था।* *इस घटना के सत्ताइस साल होने को हैं।* *जनता की जेहन में आज भी वह घटना छाई हुई है और अपने जांबाज पुलिस अधिकारी की शहादत की याद ताजा है। वह दिन 1991 का 3 जनवरी था, जब रणधीर वर्मा ने उन दुर्दांत आतंकवादियों से अकेले मोर्चा लेते हुए मृत्यु को वरण किया और वीरगति पाई थी।* *एक मामूली रिवाल्वर से एके 47 एसाल्ट राइफल का मुकाबला करना एक कर्तव्यनिष्ठ और भारत माता के सच्चे सपूत का ही निर्णय हो सकता था। नतीजतन आतंकवादियों में से एक ने तत्काल दम तोड़ दिया और बाकी भाग खड़े हुए थे। इस तरह झारखँड क्षेत्र में पैर जमाने की एक बड़ी साजिश नाकाम हो गई थी।* *इसके बाद राष्ट्रपति ने मरणोपरांत उन्हें वीरता का विशिष्ट पदक “अशोक-चक्र” से सम्मानित किया था, जिससे उद्घोषित हुआ कि राष्ट्र का यह सपूत भारतीय पुलिस सेवा में एक अनोखा उदाहरण है।* *बिहार के सहरसा जिले में 3 फरवरी 1952 को जन्मे रणधीर वर्मा एक प्रतिभाशाली छात्र थे, जो बीए आनर्स की परीक्षा पास कर भारतीय पुलिस सेवा के अंग बने थे। उनके दुस्साहसी, जोशीला और निष्ठावान होने के प्रमाण विद्यार्थी जीवन में ही मिलने लगे थे, जब वे संत जांस हाई स्कूल रांची और पटना कालेज में पढ़ने गए। खेल-कूद में उनकी गहरी रूचि थी। पर उन्होंने मुख्यत क्रिकेट में पहचान बनाई। गेंदबाज और बल्लेबाज दोनों ही भूमिका में वह सफल रहे। इसका प्रभाव उनके भावी जीवन पर भी पड़ा।* *रणधीर वर्मा ने पुलिस की नौकरी जीविका के लिए नहीं, वरण सेवा के रूप में स्वीकार की। पुलिस सेवा के प्रारंभिक प्रशिक्षण काल में ही उन्होंने मटका-जुआरियों के कुख्यात गिरोह को ध्वस्त किया। रांची नगर के प्रभारी सहायक आरक्षी अधीक्षक के पद पर कार्य करते हुए उन्होंने सांप्रदायिक सद्भावना बनाए रखने के लिए अथक प्रयास किया। तब अविभाजित बिहार के दक्षिणी छोटानागपुर का कोई न कोई कोना सांप्रदायिकता के प्रभाव से रोता-विलखता रहता था। इन परिस्थितियों से निबटने के लिए श्री वर्मा ने एक कार्य-योजना बनाई और सबके हृदय से समां गए।* *रणधीर वर्मा ने पुलिस सेवा की नौकरी 1974 में अपनाई तो तो वे इस बात से अवगत थे कि वह एक ऐसे पेश में गए हैं, जिसकी कर्तव्यनिष्ठा, कार्यकुशलता और ईमानदारी को लेकर लोगों के मन में हमेशा सवाल बना रहता है। उन्होंने विवेक, कर्त्तव्यपरायणता तथा हिम्मत के बल पर किसी के आगे न झुकने वाला एक निर्भीक व्यक्तित्व बनाया, जो नाना प्रकार के विकारों से वंचित था। पर निर्णय में कठोर था।* *उनके प्रभावशाली क्रिया-कलापों के कुछ नमूने प्रारंभ में ही सरकार के सामने आए। अत: सरकार ने उन्हें बेगूसराय जौसे अपराधग्रस्त जिले का पुलिस अधीक्षक बनाया था।* *श्री वर्मा ने बेगूसराय में आरक्षी अधीक्षक पद पर योगदान करते ही माफिया कामदेव सिंह के आतंक से जनता को मुक्ति दिलाने के लिए अभियान चलाया। राजनीतिक संरक्षण के कारण कामदेव सिंह पर दबिश बनाना आसान काम नहीं था। लेकिन श्री वर्मा की कर्तव्यनिष्ठा और न्यायप्रियता के आगे किसी की एक न चली और रणधीर वर्मा को विजयी हाथ लगी। कामदेव सिंह की लाश गिरते ही उसके गिरोह का गरूर ध्वस्त हो गया। इस घटना के बाद रणधीर वर्मा जनता के हृदय सम्राट बन गए थे।* *कुख्यात कामदेव गिरोह के सफाए के बाद सरकार को बड़ी राहत मिली थी। जाहिर है कि इस घटना के बाद सरकार के लिए भी संकटमोचन बनकर उभरे। सिंहभूमि जिला में कोल्हान आंदोलन उग्रता हो चुका था। कई पुलिसकर्मियों की जानें जा चुकी थीं। ऐसे में स्वाभाविक रूप से सरकार को रणधीर वर्मा की याद आई। श्री वर्मा को कोल्हान की जिम्मेदारी दी गई। श्री वर्मा ने कोल्हान की जनता पर बिना बल प्रयोग किए शांतिपूर्ण तरीके से स्थिति को काबू में किया और वे कोल्हान की जनता के नायक बन गए।* *श्री वर्मा सन् 1983 में जब मुजफ्फरपुर के पुलिस अधीक्षक थे तो एक अपहृत बालक अपहरण हो गया था। उन्होंने रिक्शाचालक का वेष धारण करके उस बालक को अपहर्त्ताओं से मुक्त कराया था। पश्चिम चंपारण में फिरौती के लिए अपहरण करने वाले गिरोहों पर ऐसी लगाम लगाई कि जनता को वर्षों बाद जंगल राज से मुक्ति मिली थी। अपराधियों के राइफल, बंदूक और खंजर पर लगे जंग तब छूटे जब राजनीतिक दबाव में श्री वर्मा का तबादला हो गया। अपने कार्य-कलापों से लोकप्रियता प्राप्त करने के बावजूद राजनीतिक दबाव में तबादला यह कोई पहली घटना नहीं थी। श्री वर्मा तो इसके मानों आदी हो गए थे।* *सन् 1989 में संकट की घंटी धनबाद में बजी तो श्री वर्मा का बेचैनी से स्मरण किया गया। बहुचर्चित पत्रकार कांड के कारण पुलिस और जनता में छत्तीस का रिश्ता बन गया था।* *इस विषम समस्या का समाधान एक लोकप्रिय पुलिस अधिकारी ही कर सकता था ऐसा हुआ भी।* *रणधीर वर्मा सूझ-बूझ, मधुर व्यवहार तथा व्यापक दृष्टि के कारण धनबाद के लोगों के कंठहार बने।* *इससे पुलिस को काफी सम्मान मिला माफिया गिरोहों पर पुलिस की पकड़ बनी सांप्रदायिक सौहार्द्र बरकरार रहा।* *3 जनवरी 1991 को श्री वर्मा अपने दफ्तर में थे तभी उन्हें बैंक पर आक्रमण की सूचना मिली। वे व्यक्तिगत सुरक्षा की चिंता किए बगैर अपने अंगरक्षक के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए। आतंकवादियों को ललकारते हुए पहली मंजिल स्थित बैंक की सीढ़ियों पर चढ़ने लगे। गोलियां चलीं। घायल रणधीर … Read more

ऐसे थे धीर वीर IPS रणधीर प्रसाद वर्मा*

*ऐसे थे धीर वीर IPS रणधीर प्रसाद वर्मा* * *भारत में आमतौर पर पुलिस की जैसी कार्य-प्रणाली है, भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी और धनबाद के आरक्षी अधीक्षक रणधीर प्रसाद वर्मा ने अपने को उसी अनुरूप ढाल लिया होता तो बैंक को भले चूना लगता और पंजाब के भगोड़े आतंकवादियों को झारखंड क्षेत्र में पैर जमान का साहस मिल गया होता और हो सकता है कि नक्सलवाद की समस्या से कराहते झारखंड की सूरत और भी बदरंग हो चुकी होती।* *पर इस जांबाज पुलिस अधिकारी ने ने रण में युद्ध करते हुए मृत्यु का वरण करना ज्यादा पसंद किया और वीरगति को प्राप्त करके राष्ट्र की शान बढ़ाई।* *इसमें दो राय नहीं कि अत्याधुनिक हथियारों से लैस पंजाब के भगोड़े आतंकवादी अपने को आर्थिक रूप से सशक्त करके झारखंड क्षेत्र में पांव जमाने के लिए धनबाद के हीरापुर स्थित बैंक आफ इंडिया पर जिस तरह धाव बोला था, वह एक देशभक्त पुलिस अधिकारी के लिए रण में युद्ध जैसा ही था।* *इस घटना के सत्ताइस साल होने को हैं।* *जनता की जेहन में आज भी वह घटना छाई हुई है और अपने जांबाज पुलिस अधिकारी की शहादत की याद ताजा है। वह दिन 1991 का 3 जनवरी था, जब रणधीर वर्मा ने उन दुर्दांत आतंकवादियों से अकेले मोर्चा लेते हुए मृत्यु को वरण किया और वीरगति पाई थी।* *एक मामूली रिवाल्वर से एके 47 एसाल्ट राइफल का मुकाबला करना एक कर्तव्यनिष्ठ और भारत माता के सच्चे सपूत का ही निर्णय हो सकता था। नतीजतन आतंकवादियों में से एक ने तत्काल दम तोड़ दिया और बाकी भाग खड़े हुए थे। इस तरह झारखँड क्षेत्र में पैर जमाने की एक बड़ी साजिश नाकाम हो गई थी।* *इसके बाद राष्ट्रपति ने मरणोपरांत उन्हें वीरता का विशिष्ट पदक “अशोक-चक्र” से सम्मानित किया था, जिससे उद्घोषित हुआ कि राष्ट्र का यह सपूत भारतीय पुलिस सेवा में एक अनोखा उदाहरण है।* *बिहार के सहरसा जिले में 3 फरवरी 1952 को जन्मे रणधीर वर्मा एक प्रतिभाशाली छात्र थे, जो बीए आनर्स की परीक्षा पास कर भारतीय पुलिस सेवा के अंग बने थे। उनके दुस्साहसी, जोशीला और निष्ठावान होने के प्रमाण विद्यार्थी जीवन में ही मिलने लगे थे, जब वे संत जांस हाई स्कूल रांची और पटना कालेज में पढ़ने गए। खेल-कूद में उनकी गहरी रूचि थी। पर उन्होंने मुख्यत क्रिकेट में पहचान बनाई। गेंदबाज और बल्लेबाज दोनों ही भूमिका में वह सफल रहे। इसका प्रभाव उनके भावी जीवन पर भी पड़ा।* *रणधीर वर्मा ने पुलिस की नौकरी जीविका के लिए नहीं, वरण सेवा के रूप में स्वीकार की। पुलिस सेवा के प्रारंभिक प्रशिक्षण काल में ही उन्होंने मटका-जुआरियों के कुख्यात गिरोह को ध्वस्त किया। रांची नगर के प्रभारी सहायक आरक्षी अधीक्षक के पद पर कार्य करते हुए उन्होंने सांप्रदायिक सद्भावना बनाए रखने के लिए अथक प्रयास किया। तब अविभाजित बिहार के दक्षिणी छोटानागपुर का कोई न कोई कोना सांप्रदायिकता के प्रभाव से रोता-विलखता रहता था। इन परिस्थितियों से निबटने के लिए श्री वर्मा ने एक कार्य-योजना बनाई और सबके हृदय से समां गए।* *रणधीर वर्मा ने पुलिस सेवा की नौकरी 1974 में अपनाई तो तो वे इस बात से अवगत थे कि वह एक ऐसे पेश में गए हैं, जिसकी कर्तव्यनिष्ठा, कार्यकुशलता और ईमानदारी को लेकर लोगों के मन में हमेशा सवाल बना रहता है। उन्होंने विवेक, कर्त्तव्यपरायणता तथा हिम्मत के बल पर किसी के आगे न झुकने वाला एक निर्भीक व्यक्तित्व बनाया, जो नाना प्रकार के विकारों से वंचित था। पर निर्णय में कठोर था।* *उनके प्रभावशाली क्रिया-कलापों के कुछ नमूने प्रारंभ में ही सरकार के सामने आए। अत: सरकार ने उन्हें बेगूसराय जौसे अपराधग्रस्त जिले का पुलिस अधीक्षक बनाया था।* *श्री वर्मा ने बेगूसराय में आरक्षी अधीक्षक पद पर योगदान करते ही माफिया कामदेव सिंह के आतंक से जनता को मुक्ति दिलाने के लिए अभियान चलाया। राजनीतिक संरक्षण के कारण कामदेव सिंह पर दबिश बनाना आसान काम नहीं था। लेकिन श्री वर्मा की कर्तव्यनिष्ठा और न्यायप्रियता के आगे किसी की एक न चली और रणधीर वर्मा को विजयी हाथ लगी। कामदेव सिंह की लाश गिरते ही उसके गिरोह का गरूर ध्वस्त हो गया। इस घटना के बाद रणधीर वर्मा जनता के हृदय सम्राट बन गए थे।* *कुख्यात कामदेव गिरोह के सफाए के बाद सरकार को बड़ी राहत मिली थी। जाहिर है कि इस घटना के बाद सरकार के लिए भी संकटमोचन बनकर उभरे। सिंहभूमि जिला में कोल्हान आंदोलन उग्रता हो चुका था। कई पुलिसकर्मियों की जानें जा चुकी थीं। ऐसे में स्वाभाविक रूप से सरकार को रणधीर वर्मा की याद आई। श्री वर्मा को कोल्हान की जिम्मेदारी दी गई। श्री वर्मा ने कोल्हान की जनता पर बिना बल प्रयोग किए शांतिपूर्ण तरीके से स्थिति को काबू में किया और वे कोल्हान की जनता के नायक बन गए।* *श्री वर्मा सन् 1983 में जब मुजफ्फरपुर के पुलिस अधीक्षक थे तो एक अपहृत बालक अपहरण हो गया था। उन्होंने रिक्शाचालक का वेष धारण करके उस बालक को अपहर्त्ताओं से मुक्त कराया था। पश्चिम चंपारण में फिरौती के लिए अपहरण करने वाले गिरोहों पर ऐसी लगाम लगाई कि जनता को वर्षों बाद जंगल राज से मुक्ति मिली थी। अपराधियों के राइफल, बंदूक और खंजर पर लगे जंग तब छूटे जब राजनीतिक दबाव में श्री वर्मा का तबादला हो गया। अपने कार्य-कलापों से लोकप्रियता प्राप्त करने के बावजूद राजनीतिक दबाव में तबादला यह कोई पहली घटना नहीं थी। श्री वर्मा तो इसके मानों आदी हो गए थे।* *सन् 1989 में संकट की घंटी धनबाद में बजी तो श्री वर्मा का बेचैनी से स्मरण किया गया। बहुचर्चित पत्रकार कांड के कारण पुलिस और जनता में छत्तीस का रिश्ता बन गया था।* *इस विषम समस्या का समाधान एक लोकप्रिय पुलिस अधिकारी ही कर सकता था ऐसा हुआ भी।* *रणधीर वर्मा सूझ-बूझ, मधुर व्यवहार तथा व्यापक दृष्टि के कारण धनबाद के लोगों के कंठहार बने।* *इससे पुलिस को काफी सम्मान मिला माफिया गिरोहों पर पुलिस की पकड़ बनी सांप्रदायिक सौहार्द्र बरकरार रहा।* *3 जनवरी 1991 को श्री वर्मा अपने दफ्तर में थे तभी उन्हें बैंक पर आक्रमण की सूचना मिली। वे व्यक्तिगत सुरक्षा की चिंता किए बगैर अपने अंगरक्षक के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए। आतंकवादियों को ललकारते हुए पहली मंजिल स्थित बैंक की सीढ़ियों पर चढ़ने लगे। गोलियां चलीं। घायल … Read more

*दिल्ली विधानसभा चुनाव कार्यक्रम के एलान की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है.* *नई दिल्ली* *अगले हफ्ते की शुरुआत में ही विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा हो जाएगी* *इस संबंध में चुनाव आयोग सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकता है.* *निर्वाचन आयोग में उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक 12 से 14 फरवरी के बीच मतदान होने की उम्मीद है,* *और 17 फरवरी तक नतीजे घोषित किए जा सकते हैं* *नई दिल्ली सेंट्रल डेस्क से – कौस्तुभ कुमार मलयज भारती न्यूज़ नेटवर्क क्राइम आज तक के लिए*

*दिल्ली विधानसभा चुनाव कार्यक्रम के एलान की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है.* *नई दिल्ली* *अगले हफ्ते की शुरुआत में ही विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा हो जाएगी* *इस संबंध में चुनाव आयोग सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकता है.* *निर्वाचन आयोग में उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक 12 से 14 फरवरी के बीच मतदान होने की उम्मीद है,* *और 17 फरवरी तक नतीजे घोषित किए जा सकते हैं*    

खरसावां गोलीकांड आदिवासी समुदाय के अधिकार के प्रति संघर्ष और शहादत का प्रतीक है- हेमंत सोरेन*

*खरसावां गोलीकांड आदिवासी समुदाय के अधिकार के प्रति संघर्ष और शहादत का प्रतीक है- हेमंत सोरेन* *रांची :* मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आज नए वर्ष का पहला दिन है। नव वर्ष के पहले दिन आज खरसावां गोलीकांड के अमर वीर शहीदों के सम्मान में खरसावां स्थित शहीद स्मारक में माल्यार्पण कर उन्हें अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। हर वर्ष की भांति एक बार फिर आज यहां हम सभी एकत्र हुए हैं और आगे भी एकत्रित होते रहेंगे। यह दिन खरसावां गोलीकांड के अमर वीर शहीदों के प्रति सम्मान और आदर के साथ उनके दिखाए पथ पर आगे बढ़ने के संकल्प लेने का दिन है। मुख्यमंत्री ने खरसावां गोलीकांड की 77वीं बरसी पर सरायकेला -खरसावां जिला के खरसावां स्थित शहीद पार्क में शहीद स्मारक (शहीद बेदी) और वीर शहीद केरसे मुंडा चौक के शहीद स्मृति चिन्ह पर माल्यार्पण कर अमर वीर शहीदों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। *आदिवासियों की शहादत और संघर्ष की पहचान है यह शहीद स्थल* मुख्यमंत्री ने कहा कि खरसावां का शहीद स्मारक आदिवासी समुदाय के हक- अधिकार को लेकर किए गए संघर्ष और शहादत का प्रतीक है। हमारे आदिवासियों और मूलवासियों का जीवन हमेशा से संघर्षमय रहा है। इन्हीं के संघर्ष और शहादत की वजह से ही आज हमारी पहचान है। हमारे ये शहीद स्थल सदैव हमारे मार्गदर्शक रहेंगे। *आदिवासियों का प्रकृति से रहा है गहरा जुड़ाव* मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समुदाय का हमेशा से प्रकृति के साथ गहरा जुड़ाव रहा है.। जल -जंगल और जमीन की रक्षा के लिए वे शुरू से संघर्ष करते रहे हैं। आज अगर प्रकृति के प्रति लगाव को लेकर आदिवासी समुदाय के पद चिन्हों पर चलते हुए उसका अनुसरण कर रहे होते तो प्राकृतिक आपदाओं तथा पर्यावरण संरक्षण की खातिर इतनी जद्दोजेहद नहीं करनी पड़ती। *शहीद स्मारक का पूर्ण रूपेण होगा विकास* मुख्यमंत्री ने खरसावां गोलीकांड के शहीदों के सम्मान में निर्मित शहीद स्मारक के पूर्ण रूपेण विकास को लेकर प्रतिबद्ध है। आज यहां मंत्री, विधायक और उपायुक्त के साथ बैठक में उन्होंने यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं के विस्तार के साथ विकास की नई योजनाओं का विस्तृत कार्य योजना बनाने का निर्देश दिया । मुख्यमंत्री ने कहा कि खरसावां शहीद स्मारक को विश्व पटल पर एक अलग पहचान दिलाएंगे ताकि आने वाली वाली पीढ़ी अपने इन वीर शहीदों से भली- भांति वाकिफ रहें और उनके बताये राह पर आगे बढ़ें। मंत्री दीपक बिरुवा, मंत्री रामदास सोरेन, सांसद मती जोबा मांझी, विधायक मती कल्पना सोरेन, विधायक दशरथ गगराई, विधायक सुखराम उरांव, विधायक मती सविता महतो एवं विधायक जगत मांझी समेत अनेकों विशिष्ट जन तथा हजारों की संख्या में लोगों ने शहीद स्थल को नमन कर अमर वीर शहीदों को सुमन- अर्पित किए।

*इंसान का गुस्सा और जिद जीवन को मातम में बदल देता है , पति-पत्नी की जिद में दहला दिया इस हृदयविदारक घटना से*

*इंसान का गुस्सा और जिद जीवन को मातम में बदल देता है , पति-पत्नी की जिद में दहला दिया इस हृदयविदारक घटना से* *इस घटना में 5 लोगों की मौत*     *साल 2025 के प्रथम दिन की शुरुआत ही हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के चरही पंचायत के एक बेहद हृदयविदारक घटना और मनहूस खबर से हुई। नव वर्ष की खुशियां इस इलाके में मातम में बदल गया। सुंदर करमाली बाइक के साथ कुआं में कूद गए और जान गवां बैठे। उन्हें बचाने कुआं में उनके चार दोस्त इसी गांव के रहने वाले राहुल करमाली, सूरज भुइयां, विनय करमाली और पंकज करमाली भी जान से हाथ ध

जिस सांप ने काटा उसे बोतल में बंद कर युवक पहुंच गया अस्पताल फिलहाल युवक का इलाज चतरा सदर अस्पताल में चल रहा है*

*जिस सांप ने काटा उसे बोतल में बंद कर युवक पहुंच गया अस्पताल फिलहाल युवक का इलाज चतरा सदर अस्पताल में चल रहा है*   *चतरा – जिले से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आ रही है। जहां एक युवक को जिस सांप ने काटा उसे ही बोतल में बंद कर वह अस्पताल पहुंच गया। चतरा सदर अस्पताल में फिलहाल युवक का इलाज चल रहा है।* *मामले के बार में बताया जा रहा है कि पीड़ित युवक का नाम प्रेम गंझू है। वह सब्जी बेचने के लिए चतरा गया हुआ था। लेकिन सब्जी बेच कर वापस लौटने के दौरान तेतरिया गांव के पास टमाटर की खेत में प्रेम ने एक सांप देखा और उसे पकड़ने के लिए खेत में घुस गया। सांप को पकड़ने के दौरान प्रेम की उंगली पर सांप ने डंस लिया। लेकिन इसके बावजूद प्रेम नहीं रुका और गुस्से में सांप को पकड़ कर बोतल में बंद कर दिया।* *सांप को बोतल में बंद कर वह फिर इलाज के लिए चतरा सदर अस्पताल सांप को लेकर ही पहुंच गया। जहां उसकी स्थिति गंभीर बताई जा रही है।*  

*पुलिस मुख्यालय में नव प्रोन्नत आईजी को बैच लगाकर किया गया सम्मानित*

*पुलिस मुख्यालय में नव प्रोन्नत आईजी को बैच लगाकर किया गया सम्मानित* *रांची – नव वर्ष के पहले दिन डीजीपी अनुराग गुप्ता ने नव प्रोन्नत आईजी अनुप बिरथरे, पटेल मयूर कनैयालाल, चन्दन कुमार झा, अनुरंजन किस्पोट्टा को बैच लगा कर सम्मानित किया गया।* *मालूम हो कि गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग झारखण्ड, राँची की अधिसूचना सं0-7269/सी०, दिनांक 31.12.2024 द्वारा श्री अनुप बिरथरे को पुलिस उप-महानिरीक्षक, रॉची के पद से प्रोन्नति देकर पुलिस महानिरीक्षक एस०टी०एफ० झारखण्ड, राँची / अधिसूचना सं0-7271/सी०, दिनांक 31.12.2024 द्वारा श्री पटेल मयूर कनैयालाल को पुलिस उप-महानिरीक्षक झा०स०पु० अतिरिक्त प्रभार पुलिस उप-महानिरीक्षक रेल, राँची के पद से प्रोन्नति देकर पुलिस महानिरीक्षक मानवाधिकार झारखण्ड, राँची अधिसूचना सं0-7272/सी0, दिनांक 31.12.2024 द्वारा चन्दन कुमार झा को पुलिस अधीक्षक विशेष शाखा झारखण्ड, राँची के पद से प्रोन्नति देकर पुलिस उप-महानिरीक्षक एस०आई०बी० विशेष शाखा झारखण्ड, राँची एवं अधिसूचना सं0-7275/सी०, दिनांक-31.12.2024 द्वारा अनुरंजन किस्पोट्टा को पुलिस अधीक्षक अपराध अनुसंधान विभाग झारखण्ड, रॉची के पद से प्रोन्नति देकर पुलिस उप-महानिरीक्षक विशेष शाखा झारखण्ड, राँची के पद पर पदस्थापित किया गया है।* *इस अवसर पर डीजीपी अनुराग गुप्ता, सुमन गुप्ता एडीजी प्रशिक्षण अमोल विणुकांत होमकर आईजी अभियान पंकोज कम्बोज आईजी प्रोविजन, ए० विजयालक्ष्मी आईजी प्रशिक्षण, कार्तीक एस० डीआईजी विशेष शाखा, नौशाद आलम डीआईजी कार्मिक, शैलेन्द्र वर्णवाल डीआईजी एसीबी,अमीत रेणु पुलिस अधीक्षक अभियान तथा अन्य पुलिस पदाधिकारी उपस्थित थे।*