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बोध बीघा ग्राम में बजरंगबली प्रतिमा स्थापना को लेकर निकाली गई कलश यात्रा

प्रखंड क्षेत्र के बोध बिगहा गांव में बुधवार को बजरंग बली की प्रतिमा स्थापना को लेकर कलश यात्रा निकाली गई | यह कलश यात्रा बोध बिगहा से निकलकर मधुश्रवां मंदिर पहुंची जहां पुजारियों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कलश में जलभरी कराया गया|   यात्रा में हजारों संख्या में महिला पुरुष शामिल हुए कलश को मंदिर में स्थापित कर अनुष्ठान की शुरुआत की गई|   आयोजन समिति के अध्यक्ष अमरेश कुमार ने बताया कि बजरंगबली स्थापना के बाद 24 घंटे के लिए अखंड संकीर्तन की शुरुआत की जाएगी|

गांधीनगर के श्मशान घाट में पंचतत्व में विलीन हुईं पीएम मोदी की मां

पीएम मोदी की मां हीराबा के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दे दी गई है। गांधीनगर के श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया। बता दे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबा का निधन हो गया। पीएम मोदी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से यह सूचना दी गई। पीएम मोदी के ट्विटर हैंडल से पोस्ट करते हुए लिखा गया, ‘शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम… मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है। मैं जब उनसे 100वें जन्मदिन पर मिला तो उन्होंने एक बात कही थी, जो हमेशा याद रहती है कि काम करो बुद्धि से और जीवन जियो शुद्धि से।’ मां के निधन के बाद पीएम मोदी अहमदाबाद पहुंचे। यूएन मेहता अस्पताल के एक बयान में कहा गया है, ‘हीराबा मोदी का निधन शुक्रवार तड़के (30 दिसंबर) 3.30 बजे (सुबह) इलाज के दौरान हुआ। मां का स्थान कोई नहीं ले सकता: नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि नरेंद्र मोदी जी की मां श्रीमती हीरा बेन जी का निधन दुखद। मां का निधन असहनीय और अपूरणीय क्षति होता है। मां का स्थान दुनिया में कोई नहीं ले सकता। दिवंगत आत्मा की चिर शांति तथा प्रधानमंत्री श्री मोदी जी एवं उनके परिजनों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां का निधन, पीएम ने ट्वीट कर दी जानकारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बा मोदी का शुक्रवार को निधन हो गया. वे 100 साल की थीं. हीरा बा ने अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल में अंतिम सांस ली. हीरा बा को मंगलवार शाम अस्पताल में भर्ती कराया गया था. पीएम मोदी ने ट्वीट कर मां हीरा बा को श्रद्धांजलि दी. पीएम की मां हीरा बा को मंगलवार को अचानक से सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी. इसके अलावा उन्हें कफ की शिकायत भी थी. इसके बाद उन्हें आनन-फानन में अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल के कार्डियोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती करा दिया गया. डॉक्टरों ने उनकी मां का एमआरआई और सीटी स्कैन किया. गुरुवार को अस्पताल की ओर से बयान जारी कर बताया गया था कि उनकी तबीयत में सुधार है. लेकिन शुक्रवार सुबह उनका निधन हो गया.

नववर्ष की जश्न को फीका कर सकती है कोरोना की चौथी लहर, सरकार अलर्ट

देश में जनवरी मध्य से कोरोना मामले बढ़ने की आशंका को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग इलाज के साथ रोकथाम के लिए तमाम एहितयाती उपायों पर मंथन कर रहा है। मंगलवार को प्रदेश भर के अस्पतालों में इलाज की तैयारियों की माक ड्रिल के बाद बुधवार को आयोजित समीक्षा बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने नववर्ष के जश्न पर रोक लगाने पर डाक्टरों का मंतव्य जाना। उनकी चिंता थी कि बोधगया में लोगों का जमावड़ा लगने के कारण कोरोना के मामले बढ़े हैं, ऐसे में नववर्ष के जश्न से खतरा और बढ़ सकता है। हालांकि, डाक्टरों ने जश्न पर रोक लगाने के बजाय मास्क और शारीरिक दूरी के नियम को अनिवार्य रूप से लागू कराने की सलाह दी है। उनका कहना था कि रोक लगाने के बावजूद लोग आदतन जश्न मनाएंगे और खतरे में आ सकते हैं। एहतियात के साथ जश्न मनाने का नियम लागू कराने से बड़ी आबादी को सुरक्षित रखा जा सकता है। समीक्षा बैठक में शामिल एम्स, आइजीआइएमएस, पीएमसीएच, एनएमसीएच समेत सभी मेडिकल कालेजों के प्राचार्य-अधीक्षक और सिविल सर्जनों का मानना था कि कोरोना से निपटने में सरकार के स्तर से तमाम तैयारियां दुरुस्त हैं। कोराेना से कैसे बचना है इसकी बाबत हर शख्स को जागरूक किया जा चुका है। अब यह आमजन के हाथ में है कि वह कोरोना अनुकूल व्यवहार जैसे मास्क पहनना, अंजान सतह छूने के बाद मुंह-नाक व आंख को छूने के पहले साबुन से हाथ धोने, बेवजह यात्रा न करने या भीड़भाड़ वाली जगहों पर नहीं जाना और शारीरिक दूरी जैसे नियमों का पालन कर कोरोना से सुरक्षित रहें। अपर मुख्य सचिव ने सभी पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि वे रेड अलर्ट मोड में रहें और कोरोना जांच की संख्या को बढ़ाएं। कोरोना उपचार में जिस सामान, दवा की कमी हो अभी बीएमएसआइसीएल से मंगवा लें। कोविड डेडिकेटेड हास्पिटल रहे एनएमसीएच को अधिक संख्या में बेड तैयार रखने को कहा गया। पीएमसीएच को बाथरूम व आक्सीजन कंटेनर समेत अन्य सुविधाएं दुरुस्त रखने को कहा गया। इसके अलावा लखीसराय, अररिया, मुंगेर, बांका जैसे जिलों को कमियां दूर करने का निर्देश दिया गया।

इस बार नवरात्र में माँ दुर्गा का हाथी पर होगा आगमन, जाने कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

शारदीय नवरात्र की शुरुआत 26 सितंबर से होगी। आश्विन शुक्ल की प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी। नौ दिनों तक शक्तिपीठ कल्याणी देवी, ललिता देवी, अलोपशंकरी देवी और पूजा पंडालों में माता के जयकारे लगेंगे। इस बार देवी का आगमन हाथी पर हो रहा है। नवरात्र में पंचमी तिथि यानी 30 सितंबर को मां दुर्गा स्थापित की जाएंगी। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक पं. दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार, उदय कालिक प्रतिपदा 26 सितंबर सोमवार को है। इस बार दिनभर कलश स्थापना शुभ है। अभिजीत मुहूर्त का समय सुबह 1136 से 1224 तक रहेगा। शुभ चौघड़िया मुहूर्त सुबह 6 से 730 बजे, सुबह 9 बजे से 1030 बजे और दोपहर 130 बजे से शाम 6 बजे तक है। पूर्वांचली के अनुसार माता के हाथी पर आगमन देश के लिए सामान्य फलदायक और वर्षा कारक होगा। अष्टमी की महानिशा पूजन दो अक्तूबर, महा अष्टमी व्रत पूजा तीन और महानवमी चार को है। नवरात्र का पारण पांच अक्तूबर को होगा। प्रतिमाओं को दिया जा रहा अंतिम रूप नवरात्र के लिए दुर्गा प्रतिमाओं का निर्माण तेजी से चल रहा है। बंगाली शिल्पकार प्रतिमाओं को अंतिम रूप दे रहे हैं। भरद्वाज आश्रम स्थित मूर्ति कार्यशाला में शिल्पकार प्रतिमाओं को सजा रहे हैं। शिल्पकार उदय पाल ने बताया कि दुर्गा प्रतिमाओं का दाम 1000 रुपये से लेकर 30 हजार रुपये तक है। शृंगार के लिए कोलकाता से सामग्री मंगाई गयी है। बैरहना के शिल्पकार धीरज ने बताया कि इस बार ऑर्डर पिछले दो साल से अधिक मिल रहा है।

जानिए किन – किन राशियों के लिए सितम्बर का महिना होगा फलदायक

सितंबर का महीना कल से शुरु होने वाला है। सितंबर माह में कई राशि वालों का भाग्योदय होगा। इस महीने कई राशि वालों को आय में वृद्धि के साथ नौकरी व व्यापार में तरक्की हासिल हो सकती है। सितंबर महीने में शुक्र व बुध की चाल में परिवर्तन होगा। जानें सितंबर माह किन राशि वालों के लिए साबित होगा फलदायक – मेष- मेष राशि वालों के लिए सितंबर का महीना मिलाजुला रहने वाला है। इस दौरान आपको वाणी व धैर्य में संयम बरतने की जरूरत है। किसी भी फैसले को जल्दबाजी में न लें। शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए समय अनुकूल रहेगा। वृषभ- वृषभ राशि वालों को सितंबर माह की शुरुआत में अपने सेहत का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। इस अवधि में परिवार के किसी सदस्य के साथ विवाद हो सकता है। करियर व व्यापार में मनचाही सफलता हासिल होगी। मिथुन- मिथुन राशि वालों के लिए सितंबर का महीना नए अवसरों के साथ नई मुश्किलें लेकर भी आ सकता है। इस दौरान आपको छोटी दूरी की यात्रा करनी पड़ सकती है। इस अवधि में आपकी किसी खास व्यक्ति से मुलाकात हो सकती है। कर्क– कर्क राशि वालों के लिए सितंबर का महीना मुश्किलों भरा रह सकता है। इस अवधि में आप पर जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ सकता है। इस अवधि में वाणी पर संयम बरतने की जरूरत होगी। महीने के मध्य में चीजों में सुधार होगा। सिंह- सितंबर महीने में अपने हर काम की प्लानिंग बना कर चलें, अन्यथा आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। माह की शुरुआत में घर या वाहन की मरम्मत में धन खर्च हो सकता है। नौकरी में बदलाव के प्रयास कर रहे हैं तो सफलता हासिल हो सकती है। कन्या- कन्या राशि वालों को सितंबर महीने में कामकाज का बोझ बढ़ सकता है। जिससे मानसिक तनाव हो सकता है। करियर व व्यापार से जुड़े किसी भी फैसले को सोच-समझकर लें। इस महीने खान-पान का विशेष ध्यान रखें। तुला- तुला राशि वालों के लिए सितंबर का महीना सुख-समृद्धि व वैभव लेकर आ सकता है। इस महीने आपको मित्रों का सहयोग मिलेगा। माह की शुरुआत में आपको कोई बड़ी सफलता हासिल हो सकती है। वृश्चिक- वृश्चिक राशि वालों के लिए सितंबर का महीना बेहद लाभकारी रहने वाला है। इस आपके लंबे समय से अटके काम पूरे हो सकते हैं। व्यापार में मनचाहा लाभ मिलेगा। हालांकि पैसों से जुड़े मामलों में फैसला सोच-समझकर लें। धनु- धनु राशि वालों के जीवन में सितंबर माह सफलता व खुशियां लेकर आएगा। इस महीने आपको मान-सम्मान में वृद्धि होगी। करियर व कारोबार में किसी बड़े प्रस्ताव की प्राप्ति हो सकती है। पार्टनर का भरपूर सहयोग मिलेगा। मकर- मकर राशि वालों के लिए सितंबर महीना मिला-जुला साबित हो सकता है। इस महीने आपको कभी खुशी तो कभी गम का अनुभव हो सकता है। कार्यों में सफलता पाने के लिए आपको अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत है। कुंभ- कुंभ राशि वालों के लिए सितंबर महीना मिलाजुला साबित हो सकता है। इस महीने आपको कार्यस्थल पर वाणी पर संयम बरतने की जरूरत होगी। कार्यस्थल पर कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। जिससे मान-सम्मान बढ़ेगा। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वालों को शुभ समाचार मिल सकता है। मीन- मीन राशि वालों को सितंबर में कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। नौकरी पेशा करने वाले जातकों की आय में वृद्धि हो सकती है। भवन या भूमि के कारण आपको मानसिक तनाव हो सकता है। माह का दूसरा सप्ताह आपके जीवन में खुशियां लेकर आएगा।

बलिया : परोपकार ही सबसे बड़ा धर्म – जीयर स्वामी जी महाराज

जीयर स्वामी ने चातुर्मास व्रत के दौरान प्रवचन में स्रोताओं को बताया कि परोपकार, दया के समान दुसरा कोई धर्म नहीं है और सत्य के समान दुसरा कोई तप नहीं है। सदाचार के समान दुसरा कोई व्रत नहीं है। इन तीन बातों के ध्यान रखना चाहिए। सदाचार, सत्य, दया का बड़ा महत्व है। यह बातें जीयर स्वामी ने कही। वह रविवार को जनेश्वर मिश्र सेतु के पास प्रवचन कर रहे थे। कहा कि बेटा बेटी के जन्म के ग्यारहवां या बारहवें दिन नामकरण कर देना चाहिए। शास्त्र का नियम है कि लड़का या लड़की के जन्म लेने के बाद नियम तो यह है कि माता पिता ही नामकरण करें। यदि पुरोहित करेंगे, कोई और रिश्तेदार नामकरण करेंगे तो यह भी ठीक है। ग्यारहवां या बारहवें दिन नामकरण हो जाना चाहिए। कन्याओं का नाम लक्ष्मी संबंधी नाम रखिए और बालकों का नाम भगवान संबंधी रखिए। क्योंकि बेटा, बेटी के पुकारने के बहाने तो भगवान का नाम आ गया न। यह विचार कर भगवान संबंधी नाम रखना चाहिए। विपत्ति को विपत्ति नहीं, संपत्ति को संपत्ति नहीं समझना चाहिए। हमारे पास जो विपत्ति आता है तो महापुरूष लोग यह मानते हैं कि जो मैने किया था उसका मार्जन हो गया। ऐश्वर्य इत्यादि आया तो यह मानते हैं कि सुकृत कर्म कम हो गया ऐसा मानते हैं। सबसे बडा विपत्ति वह है जिसमें हम परमात्मा को भूल जाएं। उनकी संस्कृति, संदेश को भूल जाएं। जिस विपत्ति में हमारे घर में,परिवार में रहन-सहन, उठन-बैठन, बोल चाल, खान पान, सब जहां बिगड़ जाए तो समझना चाहिए सबसे बड़ा विपत्ति यहीं है। यह विपत्ति का समाधान एक मात्र विनाश है। सर्वनाश के अलावा कोई दूसरा उपाय नही है। जहां भगवान नारायण की स्मृति हो जाय। घर परिवार की स्थिति थोड़ी दयनीय हो जाए। जिसने संकल्प ले लिया कि चोरी, बेईमानी, अनीति, अन्याय, कुकर्म, अधर्म नही करूंगा सबसे बड़ा श्रेष्ठ कर्म वह है। एक दिन वह परिवार ऊंचाई पर चढ़ेगा।

नागदेवता की आराधना से विश्व को मिलेगी शांति और धन की होगी बारिश – तांत्रिक आचार्य जयप्रकाश त्रिपाठी

हम सभी जानते हैं नाग पंचमी  का त्‍यौहार सावन (श्रावण) के महीने  में आता है। प्रचलित हिंदु मान्‍यता के अनुसार पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी है और भगवान शिव जी भी सर्प माला को पहने रहते हैं इसलिये सर्प को देवता के रूप में पूजा जाता है। भारत में नागों की पूजा करने का एक वैज्ञानिक कारण भी है, खेतों में फसलों को नुकसान पहुॅचानें वाले चूहे आदि जीवों का सर्प नष्‍ट कर देता है, जिससे किसानों की फसल सुरक्षित रहती है। एक कहानी केे अनुसार एक सर्प ने भाई बनकर अपनी बहन की सुरक्षा की थी और भाई का फर्ज निभाया था, इसलिये इस दिन महिलायें नागों को दूध पिलाती हैं और उसमें प्रार्थना करती हैं उनकी और उनके परिवार की सुुरक्षा करें। सर्प ही धन की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं और इन्हें गुप्त, छुपे और गड़े धन की रक्षा करने वाला माना जाता है. नाग, मां लक्ष्मी की रक्षा करते हैं । जो हमारे धन की रक्षा में हमेशा तत्पर रहते हैं इसलिए धन-संपदा व समृद्धि की प्राप्ति के लिए नाग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन श्रीया, नाग और ब्रह्म अर्थात शिवलिंग स्वरुप की आराधना से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और साधक को धनलक्ष्मी का आशिर्वाद मिलता है । हर साल सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इस बार 02 अगस्त 2022 को देशभर में नागपंचमी मनाई जाएगी. इस दिन नाग देवता के 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि नाग देवता की पूजा करने और रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं।  मान्यता यह भी है कि इस दिन सर्पों की पूजा करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं। प्राचीन धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, अगर किसी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष हो तो उसे नागपंचमी के दिन भगवान शिव और नागदेवता की पूजा करनी चाहिए। कालसर्प योग यज्ञ का आरम्भ या समाप्ति पंचमी, अष्टमी, दशमी या चुतुर्दशी तिथिवार चाहें जो भी हो, भरणी, आद्र्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, उत्तराषाढ़ा, अभिजित एवं श्रवण नक्षत्र श्रेष्ठ माने जाते हैं। परन्तु जातक की राशि से ग्रह गणना का विचार करना परम आवश्यक होता है। यह हैं नाग पंचमी पूजा विधि नाग पंचमी  के दिन घर के सभी दरवाजों पर खड़िया (पाण्डु/सफेदे) से छोटी-छोटी चौकोर जगह की पुताई की जाती है और कोयले को दूध में घिसकर मुख्‍यत दरवारों बाहर दोनों तरफ, मंदिर के दरवाजे पर और पूजा घर  में नाग देवता के चिन्ह (फोटो) बनाये जाते हैं, आज-कल यह फोटो बाजारों में मिलते हैं, जिन्‍हें आप इस्‍तेमाल कर सकते हैं। नागों की पूजा गाय का दूध और धान की लावा  से की जाती हैं और इस दिन नागों को दूध पिलाने की परंपरा है। जिसके लिये खेतों में या किसी ऐसे स्‍थान पर जहॉ सर्प होने की संभावना हो वहॉ एक कटोरी में दूध और धान की लावा रखा जाता है।  ऐसे करें नागपंचमी की पूजन सबसे पहले प्रात: घर की सफाई कर स्नान कर लें। इसके बाद प्रसाद के लिए सेवई और चावल बना लें। इसके बाद एक लकड़ी के तख्त पर नया कपड़ा बिछाकर उस पर नागदेवता की मूर्ति या तस्वीर रख दें। फिर जल, सुगंधित फूल, चंदन से अर्ध्य दें।  नाग प्रतिमा का दूध, दही, घृ्त, मधु ओर शर्कर का पंचामृ्त बनाकर स्नान कराएं।  प्रतिमा पर चंदन, गंध से युक्त जल अर्पित करें।  नये वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, हरिद्रा, चूर्ण, कुमकुम, सिंदूर, बेलपत्र, आभूषण और पुष्प माला, सौभाग्य द्र्व्य, धूप दीप, नैवेद्ध, ऋतु फल, तांबूल चढ़ाएं…आरती करें… अगर काल सर्पदोष है तो इस मंत्र का जाप करें: ”ऊँ कुरुकुल्ये हुं फट स्वाहा” ऐसे करें कालसर्प पूजन… प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा के स्थान पर कुश का आसन स्थापित करके सर्व प्रथम हाथ में जल लेकर अपने ऊपर व पूजन सामग्री पर छिड़कें, फिर संकल्प लेकर कि मैं कालसर्प दोष शांति हेतु यह पूजा कर रहा हूं। अतः मेरे सभी कष्टों का निवारण कर मुझे कालसर्प दोष से मुक्त करें। तत्पश्चात् अपने सामने चौकी पर एक कलश स्थापित कर पूजा आरम्भ करें। कलश पर एक पात्र में सर्प-सर्पनी का यंत्र एवं कालसर्प यंत्र स्थापित करें। साथ ही कलश पर तीन तांबे के सिक्के एवं तीन कौड़ियां सर्प-सर्पनी के जोड़े के साथ रखें, उस पर केसर का तिलक लगायें, अक्षत चढ़ायें, पुष्प चढ़ायें तथा काले तिल, चावल व उड़द को पकाकर शक्कर मिश्रित कर उसका भोग लगायें, फिर घी का दीपक जला कर निम्न मंत्र का उच्चारण करें… ऊं नमोस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथिवीमनु। ये अंतरिक्षे ये दिवितेभ्यः सर्पेभ्यो नमः स्वाहा।। राहु का मंत्र – ऊं भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः। इसके बाद सर्वप्रथम गणपति जी का  पूजन करें, नवग्रह पूजन करें, कलश पर रखी समस्त नाग-नागिन की प्रतिमा का पूजन करें व रूद्राक्ष माला से उपरोक्त कालसर्प शांति मंत्र अथवा राहू के मंत्र का उच्चारण एक माला जाप करें। उसके पश्चात् कलश में रखा जल शिवलिंग पर किसी मंदिर में चढ़ा दें। प्रसाद नंदी (बैल) को खिला दें, दान-दक्षिणा व नये वस्त्र ब्राह्मणों को दान करें। कालसर्प दोेष वाले जातक को इस दिन व्रत अवश्य करना चाहिए। तांत्रिक आचार्य जयप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि अग्नि पुराण में लगभग 80 प्रकार के नाग कुलों का वर्णन मिलता है, जिसमें अनन्त, वासुकी, पदम, महापध, तक्षक, कुलिक, कर्कोटक और शंखपाल यह प्रमुख माने गये हैं।  स्कन्दपुराण, भविष्यपुराण तथा कर्मपुराण में भी इनका उल्लेख मिलता है। जानिए क्यों करवाएं नागपंचमी पर पूजन… यदि आपकी कुंडली में कालसर्प  योग (दोष), अंगारक दोष/यिग, या चाण्डाल दोष एवम ग्रहण दोष अथवा पित्र दोष है और उसके कारण आपके जीवन में (कई कामों में) विघ्न पड़ रहा है तो परेशान न हों।  नाग पंचमी का दिन कालसर्प योग(दोष), अंगारक दौड़, पितृदोष एवम ग्रहण दोष तथा चाण्डाल दोष जैसे दोषों की शांति के लिए बेहद फलदायी होता है। तांत्रिक आचार्य जयप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि राहू के जन्म नक्षत्र ‘भरणी’ के देवता काल हैं एवं केतु के जन्म नक्षत्र ‘अश्लेषा’ के देवता सर्प हैं। अतः राहू-केतु के जन्म नक्षत्र देवताओं के नामों को जोड़कर “कालसर्प योग” कहा जाता है। राशि चक्र में 12 राशियां हैं, जन्म पत्रिका में 12 भाव हैं एवं 12 लग्न हैं। इस तरह कुल 144+144 = 288 कालसर्प … Read more

बलिया : डीएम ने दिया सोनाडीह में मंदिर के जीर्णोद्धार का निर्देश

बलिया: बेल्थरारोड तहसील के सोनाडीह गांव में  जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल पहुंची। उन्होंने विख्यात सोनाडीह मां भागेश्वरी परमेश्वरी धाम मंदिर के जीर्णोद्धार को लेकर आवश्यक निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने सोनाडीह मंदिर के पास इंटरलॉकिंग करने और भक्तों के लिए एक अतिथिगृह के निर्माण के लिए स्थान का चयन किया। इसके बाद जनचौपाल में ग्रामीणों से भी मुलाकात कीं। मिडिल स्कूल में छात्राओं से भी मिली और फुटबाल टूर्नामेंट खेलकर लौटी खिलाड़ी छात्राओं का हौसला बढ़ाया। डीएम ने छात्राओं के साथ फोटो भी खिंचवाया। जिलाधिकारी ने इब्राहिमपट्टी में काफी समय पहले से निर्माण हुए और बंद पड़े अस्पताल का भी निरीक्षण किया। उन्होंने बारीकी से अस्पताल के हर ओर घूमकर देखा। इस दौरान सीडीओ प्रवीण वर्मा, तहसीलदार ओपी पांडेय, बीडीओ मधुछंदा सिंह, उभांव इंस्पेक्टर अविनाश कुमार सिंह समेत अनेक अधिकारी मौजूद रहे।

राष्ट्रपति पद की द्रौपदी मुर्मू ने ली शपथ, कहा : आज मैं खुद को भारत का नेतृत्व करते हुए गौरवान्वित महसूस कर रही हूं

शपथ ग्रहण समारोह के मौके पर द्रौपदी मुर्मू ने कहा, ‘आज मैं खुद को भारत का नेतृत्व करते हुए गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। मैं आज देश की महिलाओं और युवाओं को याद दिलाती हूं कि मेरे लिए उनके हित सर्वोपरि हैं। मेरे सामने राष्ट्रपति पद की ऐसी महान विरासत है, जिसने दुनिया में भारत के लोकतंत्र की प्रतिष्ठा को मजबूत किया है। संविधान के आलोक में मैं पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्य का निर्वहन करूंगी। मेरे लिए लोकतांत्रिक आदर्श और समस्त देशवासी ऊर्जा का स्रोत रहेंगे।’ उन्होंने इस दौरान कारगिल विजय दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं भी दीं। बता दे कि द्रौपदी मुर्मू ने देश की पहली महिला आदिवासी के तौर पर राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली है। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने उन्हें शपथ दिलवाई। इस दौरान द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि मेरे लिए महिलाओं के हित सर्वोपरि होंगे। इसके साथ ही दलितों, पिछड़ों और गरीबों के हितों के लिए भी काम करने की बात कही। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की शक्ति ने मुझे यहां तक पहुंचाया। देश के गरीब आदिवासी, दलित और पिछड़े मुझमें अपना प्रतिबिंब देख सकते हैं। मेरे इस निर्वाचन में पुरानी लीक से हटकर आज के दौर में आगे बढ़ने वाले युवाओं का भी योगदान शामिल हैं। द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूँ जिसका जन्म आज़ाद भारत में हुआ है।