अरवल । बिहार सरकार के उर्दू निदेशालय, मंत्रीमंडल सचिवालय द्वारा उर्दू भाषा के तरक्की के लिए हर साल एक मोटी रकम बिहार के सभी जिलों के उर्दू भाषा कोषांग को उपलब्ध कराया जाता है, जिसके तहत हर साल शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का उर्दू भाषा मे वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन कराया जाता है।
जिला समाहरणालय अरवल के सभाकक्ष में कल हुए उर्दू वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन आनन फानन में करके औपचारिकता का निर्वाहन जिला अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी सह प्रभारी पदाधिकारी उर्दु भाषा कोषांग अरवल द्वारा कराया गया है।
अंजुमन तरक्की ए उर्दू अरवल जिला सचिव एडवोकेट निसार अख्तर अंसारी ने प्रेस बयान जारी कर कहा कि वैसे तो इस कार्यक्रम के तैयारी के लिए कई कमिटियों का गठन किया गया जो सिर्फ दिखावे के लिए रहा, क्योंकि इन कमिटियों का गठन मात्र 3-4 दिन पहले ही किया गया, जिसके बाद इन कमिटियों का कभी कोई मिटिंग भी नहीं हुई. और तीन दिन में मिटिंग होता भी कैसे. कोई प्रचार-प्रसार भी नहीं किया गया. और तो और प्रतियोगिता में अधिकतर वैसे तथाकथित छात्रों को शिरकत कराया गया जिन्होंने वर्षों पहले शिक्षण कार्य पुर्ण कर लिया है।
वर्षों पहले बी एड उत्तीर्ण भी प्रतियोगी बना और पुरस्कार भी उन्हें मिला. जो जांच का बिषय है. मार्गदर्शिका का उल्लंघन कर के कई ऐसे तथाकथित छात्र – छात्राओं को कल कार्यक्रम में शिरकत कराया गया है। अंजुमन तरक्की उर्दु के जिला उपाध्यक्ष हाजी इसलाम अंसारी ने कहा कि उर्दू निदेशालय द्वारा उर्दू भाषा के तरक्की के लिए उपलब्ध कराये गए राशि से उर्दू भाषा की कितनी तरक्की हो रही है इसका उदाहरण है कि उर्दू भाषा कोषांग के प्रभारी जो अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी भी हैं का कार्यालय का बोर्ड भी सही से वे नहीं लिखवा सकीं है. जो इस बात का घोतक है कि अरवल जिले में उर्दू भाषा के साथ नाइंसाफी हो रही है,और उपलब्ध राशि से पदाधिकारियों को अंगवस्त्र और बुके देकर, वर्षों पुर्व पढ़ाई छोड चुके छात्रों को वो भी पहले से सेटिंग करके इनाम दिए हैं।
उक्त कार्यक्रम में जिले के उर्दू शिक्षकों, सरकारी कार्यालयों के उर्दु कर्मियों जिन्हें कार्यक्रम के दिन अपने अपने कार्यालयों से छुट्टी इसी कार्यक्रम के लिए दिया गया था. सिर्फ वे ही लोग उपस्थित थे. इक्का दुक्का लोग ही इनके अतिरिक्त वहां उपस्थित थे. इसलिये छोटे से जगह पर इतने बड़े कार्यक्रम का आयोजन कराया गया कि भिड़ दिखे. लापरवाही इस कदर है कि पिछले सत्र का जो वाद विवाद प्रतियोगिता हुआ है उसके विजेताओं को अभी तक इनाम की राशि भी नहीं मिल पाया है।