बलिया। निर्धारित समय सीमा समाप्त हो जाने के बाद भी नौरंगा पीपा पुल निर्माण की धरातल पर सुगबुगाहट भी नही दिख रही है। इससे दर्जनों गांवो के हजारो की आवादी को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं किसानों की बुआई भी बाधित हो रही है। बैरिया तहसील के दयाछपरा ढाले के सामने गंगा नदी पर हर साल बनने वाले पीपा पुल के निर्माण की फिलहाल सुगबुगाहट भी नही दिख रही है। निर्माण कार्य मे आने वाले सभी पीपे एनएच -31 के पचरूखिया घाट के पास आम लोगो के साथ ही विभाग को मुंह चिढ़ाते दिख रहे है। जबकि इसे 15 नवम्बर तक बन कर तैयार हो जाना चाहिये। इसके निर्माण नही होने से दर्जनों गांवो के हजारो लोगो को भारी कठिनाइयो का सामना करना पड़ रहा है। नदी पार की पंचायत नौरंगा के सैकड़ो बच्चों की पढ़ायी बाधित हो रही है।
अध्ययनरत छात्र जान जोखिम मे डालकर नाव से नदी पार करने को विवश है। इसमे भी नाव के इंतजार मे घंटो का समय नुकसान हो रहा है। छात्रों के अनुसार कालेज जाने का मतलब पुरे दिन का समय लग जाना। दुबेछपरा मे दाखिला लिये नौरंगा के रितेश, मुकेश, विशम्भर आदि ने बताया कि पुरे दिन के थके होने के कारण रात की पढ़ायी भी बाधित हो जाती है। यही नही किसानों को रवी की बुआई के साथ ही तिलक-विवाह आयोजनों मे भी नदी पार करने मे लोगो को फजीहतो के साथ ही अतिरिक्त धन ब्यय करने को मजबूर होना पड़ रहा है। ग्रामीणों के अनुसार पुल निर्माण के लिये कार्यदायी संस्था लोक निर्माण के अधिकारियों से अनेको बार गुहार लगायी गयी। किन्तु उसे संज्ञान नही लिया जा रहा है। आरोप लगाया कि जिम्मेदारो की उदाशीनता के कारण ग्रामीण आठ माह चलने वाले पुल का लाभ चार माह भी नही उठा पाते है। पूर्व प्रधान राजमंगल ठाकुर, अक्षय चौबे, विनोद पाण्डेय आदि ने चेताया कि विभाग अगर शीघ्र ही निर्माण कार्य शुरू नही कराया तो ग्रामीण आंदोलन को बाध्य होंगे।
7 किमी के लिये 70 किमी का लगाना पड़ रहा फेरा
बलिया। लग्न की शुरुआत हो चुकी है। नदी इस पार के बड़ी संख्या मे लोग विहार के शाहपुर, सेमरिया, विहिया आदि गांवो मे अपने बच्चों की शादी लग्न रखे है। ठीक यही स्थिति नदी उस पार के लोगो की भी है। निर्धारित तिथि तक पीपा पुल के निर्माण नही होने से अब इन्हे सात के बदले सत्तर किमी का चक्कर लगाने को मजबूर होना पड़ रहा है।