दरअसल सेना में आजादी के दौर के पहले के रीति-रिवाज चले आ रहे हैं। मेस में खाने से लेकर बीटिंग रिट्रीट जैसे समारोह तक, लेकिन अब सेना का भारतीयकरण होना है। हालांकि इस बदलाव की अपनी चुनौतियां हैं। सेना अब ब्रिटिश काल की औपनिवेशिक विरासत और निशानियों से निजात पाने की तैयारी में है। इसकी समीक्षा शुरु हो गई है। कोशिश हो रही है कि सेना का सही मायने में भारतीयकरण हो। इस साल बीटिंग रिट्रीट में बजी धुन ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ से अब अंग्रेजी धुन ‘अबाइड विद मी’ की विदाई हो गई। फिर नौसेना के झंडे का निशान बदला। अब और भी काफी कुछ बदलने की तैयारी है, ताकि भारतीय सेना ब्रिटिश काल की निशानियों से मुक्त हो और अपने तौर-तरीक़ों और परंपराओं में भी पूरी तरह भारतीय दिखे।
