बलिया। जिले में सूखे के सर्वे के लिए गठित जिला स्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी है। रिपोर्ट के मुताबिक जनपद में 49 हजार 278.2119 हेक्टेयर में बोई गयी खरीफ की फसल सुखा की भेंट चढ़ गयी है। इसमें मात्र 66.777 हेक्टेयर में फसल 50 प्रतिशत सूखा होने की रिपोर्ट गई है। जबकि 23002.616 हेक्टेयर में फसल 33 से 50 प्रतिशत सूखा है। इन फसलों पर सितम्बर या मानसून के अंतिम दौर में बरसात से कोई फायदा नहीं होना बताया जा रहा है।
बताया जाता है कि शुरूआत से अवर्षण की स्थिति में हल्की बारिश के बाद कुछ किसानों ने ट्यूबवेल, नहर व पम्पिंग सेट से धान की रोपाई तथा मक्का, ज्वार आदि की बुआई की थी। लेकिन दो महीने तक बारिश नहीं होने के चलते उनकी अधिकांश फसलें सुखा की भेंट चढ़ गयी या वह उनकी सिंचाई करने में असमर्थ हो गये। जैसे-तैसे कुछ किसानों ने संघर्ष कर जो फसलों को बचाए हैं, उनमें भी उत्पाद 20 से 25 प्रतिशत कम होने की संभावना विशेषज्ञ जता रहे हैं। हवा के साथ हो रही तेज बारिश से गन्ना की फसल के उत्पादन घटने की संभावना विशेषज्ञ जता रहे हैं।
अवर्षण की स्थिति में किसानों के प्रदर्शन व मांगों को देखते हुए शासन के निर्देश पर नुकसान का आंकलन करने के लिए अधिकारियों व कर्मचारियों की टीम तैनात की थी। टीम ने सर्वे कर जो रिपोर्ट तैयार किया है उसमें 49 हजार 278. 2119 हेक्टेयर फसल को सुखे से प्रभावित बताया गया है। जिला प्रशासन ने इस रिपोर्ट को शासन को तो भेज दिया है। लेकिन किसान इससे संतुष्ट नहीं है, उनका कहना है कि सतही धरातल पर यह आंकड़ा और अधिक है।
कृषि विभाग बांटेगा तोरिया का नि:शुल्क बीज
अवर्षण के चलते परती पड़े खेतों में बुआई के लिए कृषि विभाग नि:शुल्क तोरिया का बीज वितरण आज से करेगा। इसका उद्देश्य खरीफ फसलों के बुआई रोपाई नहीं होने से किसानों को लगे घाटे को कम करना है। नई प्रजाति का यह बीज मात्र 60 दिनों यानि नवम्बर अंतिम व दिसम्बर के शुरूआत में तैयार हो जायेगा। इसकी कटाई कर किसान गेहूं की बुआई समय से कर सकेंगे। ऐसे में उन्हें अवर्षण के चलते खरीफ फसलों से हुए घाटे की भरपाई काफी हद तक हो सकेगी। विभागीय सूत्रों की मानें तो प्रति किसान दो किलो का पैकेट दिया जायेगा। एक पैकेट में एक एकड़ खेतों में बुआई हो सकेगी जिले में 520 पैकेट यानि 10 कुंतल 20 किलो बीज आ चुका है। 20 सितम्बर से ब्लॉकों पर किसानों में बीज का वितरण होगा।
लक्ष्य के 80 प्रतिशत खरीफ की हुई थी बुआई
इस साल शुरू से ही खेती-किसानी के लिए मानसून प्रतिकूल रहा। बावजूद कृषि विभाग के आंकड़ों में खरीफ फसलों की बुआई-रोपाई का लक्ष्य एक लाख 58 हजार 542 हेक्टेयर रखा गया था। अवर्षण के बावजूद 80 प्रतिशत करीब एक लाख 26 हजार हेक्टेयर बुआई रोपाई का दावा कृषि विभाग कर रहा था। कृषि विभाग की आंकड़ों की ही मानें तो सूखा आंकलन के लिए बनी टीम ने सर्वे रिपोर्ट में 49 हजार हेक्टेयर में फसलों के 50 प्रतिशत सूखा होना बताया है। इससे साफ जाहिर होता है कि और खेतों में फसलों की रोपाई बुआई नहीं हो सकी या तो परती हैं या उसमें रोपी गयी फसल बिल्कुल खराब हो गयी है। शायद इसी वजह से जनपद के किसानों को सर्वे टीम की रिपोर्ट रास नहीं आ रहा है।
ऐसे करें तोरिया की बुआई, बेहतर होगा उत्पादन: धर्मेन्द्र
जिला कृषि अधिकारी धर्मेन्द्र कुमार सिंह ने किसानों को तोरिया बुआई के तौर तरीकों को बताते हुए वैज्ञानिक विधि से बुआई की सलाह दी है। उन्होंने किसानों को बताया है कि नई प्रजाति की तोरिया बुआई के लिए पहले खेतों की गहरी जुताई करना जरूरी होता है। जुलाई के समय यह ध्यान देना चाहिए कि खेतों में नमी अधिक न हो। जुताई के बाद लाइन से (7 सेमी गुणे 7 सेमी) के अंतराल पर लाइन से प्रति एकड़ दो किलो बीज व 100 किलो सिंगल सुपर फास्फेट मिलाकर बुआई करना चाहिए। बुआई के 20 से 25 दिन पर पहली सिंचाई करें तथा 40 से 45 दिन पर फूल निकलने पर दूसरी सिंचाई करना चाहिए। इससे प्रति बीघे पांच से छह कुंतल तोरिया का उत्पादन होगा।