स्थानांतरण के बावजूद ऐसे दारोगा को अपने- अपने जगह आए दूसरे दारोगा को केस न सौपना महंगा पड़ा। शहर के सिविल लाइन थाना में ऐसे 22 एसआई व एएसआई के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है। इन दारोगाओं की कारगुजारी ऐसी है कि 14 साल पुराने केस भी स्थानांतर के बावजूद दुसरे को नही सौंपा। इन सभी 22 दारोगा के पास 195 केस हैं, जिनमें 31 गंभीर मामलों के केस हैं। इन कांडो में दो साल से लेकर 14 साल तक के पुराने केस हैं, जो अभी तक उनकी जगह आए दूसरे प्रभारियों को नहीं सौंपा गया है। अब इस मामले में सिविल लाइन थाना के अध्यक्ष अब्दुल गफ्फार की ओर से ही प्राथमिकी शुक्रवार को दर्ज की गयी है।
पीड़ितों को नही मिल पा रहा उचित न्याय
इस संबंध में सिविल लाइन थानाध्यक्ष अब्दुल गफ्फार ने बताया कि सिविल लाइन थाना में पूर्व में पदस्थापित एसआई व एएसआई के द्वारा कई कांडों का प्रभार स्थानांतरण के बाद अभी तक नहीं दिया गया है, जिस कारण उक्त काड़ों में साक्ष्य नष्ट हो रहे हैं। इतना ही नही, समय पर अंतिम प्रपत्र समर्पित नहीं होने के कारण वादी को उचित न्याय नहीं मिल पा रहा है। उक्त लंबित कांडों के वादी इधर-उधर घूम रहे हैं और काफी परेशान हैं। ऐसी परिस्थिति में उक्त अनुसंधानकर्ताओं की ओर से स्थानातरण के बाद प्रभार अभी तक नहीं देना उचित प्रतीत नहीं होता है। लंबित काडों का प्रभार लेने के लिए पुलिस मुख्यालय से सभी जिला में स्पष्ट आदेश कई बार दिया गया है। पुलिस मुख्यालय पटना के वरीय पदाधिकारीयों निर्देशों के बावजूद इन दारोगा अनुपालन नहीं किया। ऐसे में इनके खिलाफ कार्रवाई करते हुये प्राथमिकी दर्ज की गयी है।
22 आईओ के पास 195 केस है लंबित
इन 22 आईओ के पास 195 केस ऐसे हैं, जिसका प्रभार नहीं दिया गया है। इस कारण इन लोगों पर कार्रवाई की गई है। जिनलोगों पर कार्रवाई की गयी है, उनमें इंस्पेक्टर हरि ओझा, एसआई रंजन कुमार, रामकृष्ण बैठा, विजय पासवान, मानमती सिन्हा, कृष्ण कुमार 2, अखिलेश सिंह प्रसिद्ध कु. सिंह, दुर्गेश गहलौत, विनय कुमार राय, परमहंस सिंह, लालमुनी दुबे, दिलीप कुमार सिंह, दीपक कुमार, दिलेश्वर महतो, अशोक चौधरी, गौरव सिन्धु, अखिलेश्वर शर्मा व एएसआई अवधेश सिंह, किशोर कुमार झा, हरिहर बैठा, प्रदीप पासवान शामिल हैं, जिन्होने वर्षो बीत जाने के बाद भी केस का प्रभार स्थानांतरण के बावजूद नहीं भेजा।