सूबे में सत्ता बदलने के साथ ही भोजपुर जिला मंत्री विहीन हो गया है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की पिछली सरकार में भोजपुर को मंत्री पद मिला था। आरा के भाजपा विधायक अमरेंद्र प्रताप सिंह कृषि जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल रहे थे। लेकिन सत्ता बदलते ही अमरेंद्र प्रताप सिंह पैदल हो गये। ऐसे में महागठबंधन सरकार बनने पर भी भोजपुर को प्रतिनिधित्व मिलने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन महागठबंधन की पिछली सरकार की तरह इस बार भी निराशा ही हाथ लगी है।
बता दें कि भोजपुर के सात विधायकों में तीन राजद और दो भाकपा माले के विधायक हैं, जबकि दो विधायक भाजपा के हैं। इस तरह महागठबंधन के कुल पांच विधायक होने के बाद भी यहां के किसी विधायक को महागठबंधन की नई सरकार में शामिल होने का मौका नहीं मिला।
साल 2015 में भी जब महागठबंधन की सरकार राज्य में बनी थी तो राजद के पांच विधायकों समेत छह सीटों ( जदयू के एक विधायक) पर महागठबंधन का कब्जा होने के बाद भी यहां के किसी विधायक को सरकार में प्रतिनिधित्व का अवसर नहीं मिला था। आरा-बक्सर निकाय क्षेत्र के एमएलसी राधाचरण साह भी जदयू से हैं पर जदयू ने भी इस इलाके को प्रतिनिधित्व का मौका नहीं दिया है।
राजद कोटे से ब्राह्मण चेहरे की जताई जा रही थी संभावना
महागठबंधन सरकार में राजद कोटे से ब्राह्मण चेहरे के रूप में राजद के वरीय नेता शिवानंद तिवारी के विधायक बेटे राहुल तिवारी के नाम की चर्चा चल रही थी। वे जिले के शाहपुर से लगातार दूसरी बार राजद के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए हैं। लेकिन राजद ने किसी ब्राह्मण को जगह नहीं दी है और ऐसे में भोजपुर भी प्रतिनिधित्व से वंचित रह गया।