पटना। पटना हाईकोर्ट ने गोपालगंज के खजूरबनी में जहरीली शराब पीने से हुई मौत मामले में निचली अदालत से मिली 9 लोगों की फांसी की सजा को रद्द कर दिया है। जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह तथा जस्टिस हरीश कुमार की खंडपीठ ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर अपील को मंजूर करते हुए बुधवार को यह फैसला सुनाया। निचली अदालत ने छठू पासी, कन्हैया पासी, नगीना पासी, लालबाबू पासी, राजेश पासी, सनोज पासी, संजय चौधरी, मुन्ना सहित कुल 9 को फांसी की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने सबको सजा से मुक्त करते हुए रिहा करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस और अभियोजन पक्ष ने कोई साक्ष्य दिया ही नहीं। लेकिन, लोअर कोर्ट के जज ने 9 आरोपियों को फांसी की सजा सुना दी।
कागजी आधार पर घटना को सही ठहराने का प्रयास
हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस को छोड़कर एक भी स्वतंत्र गवाह ऐसा नहीं है, जिसने घटना को देखा हो। पुलिस ने कागजी आधार पर घटना को सही ठहराने का प्रयास किया है लेकिन एक भी साक्ष्य कोर्ट में पेश नहीं किया। अभियोजन पक्ष भी साक्ष्य पेश करने में विफल रहा। साक्ष्य के अभाव में किसी को सजा नहीं दी जा सकती है। किसी प्रत्यक्षदर्शी नहीं, पुलिस ने खुद ही केस दर्ज किया, न गवाह और न ही कोई सबूत। एसएचओ के स्वयं के बयान पर एफआईआर की गई, जो सन्देह पैदा करता है। इसलिए निचली अदालत के फैसले को रद्द किया जाता है। हाईकोर्ट ने कहा कि फैसला किस प्रकार दिया जाता है, इसका प्रशिक्षण जजों को दिया जाता है। उन पर समय और पैसा खर्च होता है। इस कारण यह माना जाता है कि जज न्याय करने में सक्षम हैं। लेकिन, साक्ष्य नहीं रहने के बावजूद ऐसे फैसले दिए जाते हैं जिससे प्रतीत होता है कि उनमें साक्ष्य की पहचान करने की क्षमता का अभाव है।
बता दें कि 15-16 अगस्त, 2016 को गोपालगंज के खजुरबनी मोहल्ले में जहरीली शराब पीने से 20 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी।इस मामले में गोपालगंज के उत्पाद विशेष कोर्ट सह एडीजे लवकुश कुमार ने 9 अभियुक्तों को फांसी की सजा व चार महिलाओं को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।