वैशाली में भगवान बुद्ध के आकृति का 100 वर्ष पुराना पीपल का पेड़ जलकर राख
भगवान बुद्ध के आकृति जैसा पीपल का पेड़ में आग लग गई। ऐसा पेड़ बिहार के वैशाली जिले में स्थित है। ग्रामीणों ने पराम्परिक तरीके से आग बुझाने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं होने पर पूरी तरह राख हो गया। इस वृक्ष पर भगवान बुद्ध जैसी आकृति बनी हुई थी। माना जाता है कि बुद्ध का अंतिम वर्षावास स्थल यही पेड़ था। जानकारी के मुताबिक वैशाली जिले के पटेढ़ी बेलसर प्रखंड की सोरहत्था पंचायत के बेलवर (वेलुवग्राम) में इस ऐतिहासिक पीपल के पेड़ में आग लगी। गांव के लोग मौके पर जुटे और पानी डालकर आग पर काबू पाने की कोशिश की। बड़ी मशक्कत के बाद भी आग नहीं बुझ पाई। भगवान बुद्ध से जुड़ा ऐतिहासिक वृक्ष पूरी तरह जल कर खाक हो गया। यह वृक्ष सैकड़ों साल पुराना था। यहां पर सती स्थान भी है। 11 साल पहले पेड़ पर अपने आप उभर आई थी मानव आकृति 2011 में इस वृक्ष का बड़ा हिस्सा टूट गया था, जिससे पेड़ पर मानव आकृति उभर आई थी। लोगों का मानना है कि यह आकृति भगवान बुद्ध के आयु संस्कार जैसी थी। इसके बाद बुद्ध से संबंधित कई इतिहासकार और शोधार्थी भी यहां आए। कई रिसर्चर दावा कर चुके हैं कि बुद्ध का आयु संस्कार स्थल बेलवर गांव ही है, जिसे प्राचीनकाल में वेलुवग्राम के नाम से जाना जाता था।ग्रामीणों के मुताबिक ऐतिहासिक पीपल के पेड़ के पास लोग पूजा अर्चना करते हैं। आग लगने से कुछ घंटे पहले भी लोग पूजा करके गए थे। फिर रात में अचानक आग लग गई। इस हादसे के बाद से स्थानीय लोग मायूस हैं। वहीं, आग लगने के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। वृक्ष की सटीक आयु की जानकारी नहीं माना जाता है कि आग में जलकर राख हुआ यह वृक्ष सैकड़ों साल पुराना है। हालांकि इसकी सही आयु के बारे में अभी जानकारी नहीं मिल पाई है। मुजफ्फरपुर क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक कार्यालय के पदाधिकारी आरके राम ने 2011 में तिरहुत के आयुक्त को यहां का दौरा करने के बाद पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने पीपल के पेड़ में अपने आप बनी मानव आकृति बनने की जांच करने की मांग की थी। साथ ही बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के विशेषज्ञों से इसकी सटीक आयु की जांच करने की भी मांग की थी। हालांकि, अब तक इस ओर कोई कदम नहीं उठाए गए।