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नवनिर्मित अनुमंडल भवन में लाखों की लागत से स्थापित लिफ्ट बेकार, आज भी सीढ़ियों से चढ़ने को मजबूर है लोग

लगभग 40 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद बिक्रमगंज अनुमंडल को आखिरकार स्थायी भवन तो मिल गया, लेकिन लाखों रुपये की लागत से स्थापित लिफ्ट बेकार पड़ा है। विदित हो कि करीब 9 करोड़ 85 लाख रुपये की लागत से तैयार हुए अनुमंडल भवन का उद्घाटन 19 फरवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने संवाद यात्रा के दौरान किया था। तत्कालीन अनुमंडलाधिकारी अनिल बसाक इस भवन में प्रशासनिक कार्यों की शुरुआत की थी। भवन में आम लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए लिफ्ट लगाई गई है, जो शुरू में महज एक सप्ताह ही चालू रह सकी। इसके बाद लिफ्ट बंद हो गई और आज तक बंद है। न तो मरम्मत कराई गई और न ही किसी तरह की जवाबदेही तय की गई। लाखों की लागत से लगाई गई यह लिफ्ट अब सिर्फ एक शोभा की वस्तु बनकर रह गई है, इस प्रशासनिक भवन में आने वाले बुजुर्ग, महिलाएं और विकलांग नागरिकों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। उन्हें ऊपर की मंजिलों तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां चढ़नी पड़ रही हैं। जबकि लिफ्ट ठीक से काम कर रही होती तो लोगों को कुछ सुविधाएं मिलती। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सरकारी पैसे का खुला दुरुपयोग है। करोड़ों की लागत से भवन बना, लेकिन जनता की असली जरूरतें पूरी नहीं हो सकीं। ना तो समय पर निगरानी की गई, ना कोई जवाबदेही तय हुई। ये हाल तब है जब उद्घाटन खुद मुख्यमंत्री ने किया था। आखिर ये सवाल उठना लाज़मी है – जब लिफ्ट जैसी अहम सुविधा ही शुरू होने के चंद दिनों में बंद हो गई और अब तक ठीक नहीं हो सकी, तो बाकी व्यवस्थाएं किस भरोसे पर चलेंगी ? जनता अब इंतज़ार में है कि कब लिफ्ट दोबारा चालू होगी और कब इस तरह की लापरवाहियों के लिए कोई जिम्मेवार ठहराया जाएगा। लेकिन अगर यहीं हाल रहा, तो बिक्रमगंज अनुमंडल भवन एक और मिसाल बन जाएगा – जहाँ व्यवस्था है, लेकिन सुविधा नहीं।

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