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आमस में पौधों के पटवन की नहीं है कोई व्यवस्था

आमस
आमस में मनरेगा से लगाए गए पौधों के पटवन की कोई व्यवस्था नहीं होने से गर्मी शुरू होते ही सूखने लगे हैं। जिस ओर विभागीय अधिकारी व कर्मियों का ध्यान नहीं है। जानकारी के मुताबिक प्रति यूनिट (दो सौ पौधे) देखरेख व पटवन के लिए दो वनपोषक लगाए जाते हैं। इसके लिए इन्हें 8-8 दिनों का सरकार द्वारा निर्धारित दैनिक मजूदरी 245 रुपये दिए जाते हैं। आमस में 468 वनपोषक ऑन द रिकॉर्ड काम कर रहे हैं। इनका हर दिन एनएमएमएस पोर्टल के जरीय दो टाइम ऑनलाइन हाजिरी भी बनाई जाती है। लेकिन काम करते हुए कम देखे जाते हैं। आंकड़े के मुताबिक इस वितिय सत्र में प्रखंड की नौ पंचायतों में 40500 पौधे लगाए गए हैं। इनमें सात यूनिट निजी जमीन और शेष आहर, पोखर, तालाब, डैम के पिंड व नदी-पइन और रोड के किनारे लगाए गए हैं। जानकारी यह भी है कि पौधों के पटवन के लिए प्रति यूनिट एक चापाकल लगाया जाना है। इसके लिए हजारों रुपये आते भी हैं। लेकिन धरातल पर कहीं चापाकल नहीं लगा हुआ है। मई-जून में मोटर पंप व टैंकर के सहारे जब कभी पटवन की खानापूरी भर की जाती है। जिस वजह करीब पचास प्रतिशत पौधे सूख जाते हैं।
उच स्तरीय जांच हो तो खुल जाएगा भ्रष्टाचार
लोगों का कहना है कि यदि पिछले कई वितिय सत्रों में लगाए गए पौधों की उच स्तरीय जांच की जाय तो भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है। नाम न छापने के सर्त पर कुछ लोगों ने बताया कि अधिकांश वनपोषक कुछ लोगों के चहेते होते हैं। जिनके खाते में सरकार की राशि तो जाती है, लेकिन वे पौधों की देखरेख नहीं करते। सिर्फ हाजिरी बनाने के समय खड़े होते हैं। जब कभी दैनिक मजदूरी पर मजदूर रख गुड़ाई व पटवन करा दी जाती है। यह सब कुछ मनरेगा अधिकारी व पीआरएस की जानकारी में होती है। बताया जाता है कि इसमें इनकी कमीशन भी बंधी होती है। वनपोषकों को पिछले कई महीने की मजदूरी नहीं मिली है।
कोट-चापाकल लगाने के लिए पहले सिर्फ 25 हजार रुपये ही आते थे। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण इतने में बोरिंग कराकर चापाकल लगाना संभव नहीं था। इस बार राशि बढ़ी है। तीन यूनिट पर एक चापाकल लगाए जाएंगे। दूसरे माध्यमों से पौधों की पटवन की जाती है। वन पोषक सही से काम कर रहे हैं। रुपये आवंटित होते ही उनका बकाया पारिश्रमिक मिल जाएगा। उनके कार्यकाल में कोई भ्रष्टाचार नहीं कर सकता। विजय कुमार सिन्हा पीओ आमस

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