*कोयलांचल में क्यों बेधड़क लहराए जाते हैं हथियार , इनकी पीठ पर होता है किनका हाथ*
*धनबाद बाघमारा कांड के बाद पुलिस की सख्त कार्रवाई को देखते हुए उम्मीद की जा रही थी कि अब हथियार चमकाने वालों के मन में पुलिस का भय कायम हो जाएगा. लेकिन ऐसा दिख नहीं रहा है. धनबाद के धनसार थाना के हल्दीपट्टी में सोमवार को वर्चस्व को लेकर दो गुटों में मारपीट हुई, दो राउंड फायरिंग की भी सूचना है. पुलिस ने घटनास्थल से एक खोखा बरामद किया है. पुलिस ने हथियार चमकाते युवक का वायरल वीडियो के बाद उसे हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. वीडियो में वह पिस्टल लहराते हुए और गाली देते हुए चल रहा है. यह मामला भी कोयला चोरी और रंगदारी से जुड़ा हुआ है. हालांकि यहां पर दो पक्ष हैं और दोनों पक्ष ने पुलिस से शिकायत की है. बता दें कि 9 जनवरी को बाघमारा में बड़ा बवाल हुआ था. यह बवाल आउटसोर्सिंग कंपनी को लेकर हुआ था. एक पक्ष आउटसोर्सिंग कंपनी के समर्थन में था, तो दूसरा विरोध में खुलकर गोलीबारी और बमबाजी की गई थी. गिरिडीह सांसद के कार्यालय को भी आग के हवाले कर दिया गया था*
*पत्थरबाजी में बाघमारा के एसडीपीओ घायल हो गए थे*
*पत्थरबाजी में बाघमारा के एसडीपीओ घायल हो गए थे. उसके बाद तो पुलिस ने सख्त कार्रवाई की. और मामले के किंगपिन कारू यादव को बिहार से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. इसके पहले भी झरिया के कुजामा में फायरिंग हुई थी और वहां भी पुलिस की मौजूदगी में फायरिंग की गई थी. पुलिस ने कई खोखा बरामद किया था. अभी तीन दिन पहले भी झरिया के जीनागोड़ा में बबल हो गया था. दो दर्जन बाइक फूंक दी गई थी. तिसरा के थानाप्रभारी चोटिल हो गए थे. दरअसल , लोडिंग पॉइंट, आउटसोर्सिंग कंपनी और साइडिंग पर कब्जे की लड़ाई से कंपनी को भी नुकसान होता है. कोयला का उठाव प्रभावित होता है. आम डीओ धारक भी कोयला उठाने से डरते है. आउटसोर्सिंग को लेकर विवाद तो होता ही रहता है, लेकिन लोडिंग पॉइंटो पर भी खून-खराब होता रहता है. दरअसल, वर्चस्व की इस लड़ाई में आर्थिक के साथ-साथ राजनीतिक पहलू भी शामिल होता है. कोयलांचल की राजनीति कोयले पर ही चमकती है. कोयले की आर्थिक गतिविधियों पर जिसका जितना अधिक कब्जा होता है, उनकी राजनीति उतनी ही मजबूती से दौड़ती है*
*हर लोडिंग पॉइंट पर सक्रिय होता एक से दो प्रेशर ग्रुप*
*कोयला अधिकारी ही बताते हैं कि बीसीसीएल के हर लोडिंग पॉइंट पर पॉलीटिशियनों के इशारे पर प्रेशर ग्रुप सक्रिय रहते है. पर्दे के पीछे कई पॉलिटिशियन आउटसोर्सिंग कंपनियों में भी साझेदार होते है. लोग तो यह भी कहते हैं कि झरिया और बाघमारा में पिछले दिनों घटित घटनाएं सामान्य घटनाएं नहीं थी. जनवरी में विधायक रागिनी सिंह और पूर्व विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह के समर्थक कुजामा में भिड़ गए थे. लगभग दो दर्जन राउंड फायरिंग हुई थी. यह फायरिंग पुलिस की मौजूदगी में हुई थी. वहीं बाघमारा में भी वर्चस्व की जंग लड़ी गई थी. बीसीसीएल के खरखरी क्षेत्र में आउटसोर्सिंग कंपनी हिल टॉप की चाहरदीवारी के निर्माण के विवाद ने पिछले दिनों हिंसक मोड़ ले लिया था. कहा तो यह जाता है कि सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी के समर्थक और दबंग कारू यादव के समर्थक एक दूसरे को काटने-मारने पर उतारू हो गए थे. गोली, बम चले थे. एसडीपीओ घायल हो गए थे. ठेका कार्य पर वर्चस्व को लेकर यह संघर्ष हुआ था*