**केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर सवाल उठाए हैं ? गया की स्वास्थ्य सेवाओं पर मंत्रीजी की चिंता सुधार होगा या सिर्फ बातें ?*
*केंद्रीय मंत्री और बिहार के गया निवासी जीतन राम मांझी अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं। इस बार उन्होंने राजनीति से हटकर स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर सवाल उठाए हैं। उनके ताज़ा बयान से यह तो स्पष्ट हो गया है कि गया जिले की चिकित्सा व्यवस्था चरमराई हुई है, लेकिन बड़ा सवाल यह है*
*क्या यह केवल बयानबाजी तक सीमित रहेगा, या फिर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे ?*
**स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत**
*मंत्री जी ने जो मुद्दे उठाए हैं, वे बिहार ही नहीं, बल्कि देश के कई हिस्सों की सच्चाई को दर्शाते हैं। गया जिले के सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, आवश्यक दवाएँ उपलब्ध नहीं हैं, और मशीनें अक्सर खराब पड़ी रहती हैं। सबसे गंभीर समस्या यह है कि कई सरकारी डॉक्टर अपने कर्तव्यों से अधिक निजी क्लीनिक और नर्सिंग होम चलाने में व्यस्त रहते हैं। इससे आम जनता को महंगे इलाज के लिए मजबूर होना पड़ता है, जबकि सरकारी अस्पतालों का मकसद ही गरीबों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा उपलब्ध कराना है।*
*बयान से आगे बढ़कर समाधान जरूरी**
*अब सवाल यह उठता है कि क्या जीतन राम मांझी इस समस्या को सदन तक पहुँचाकर कोई ठोस पहल करेंगे, या फिर यह बयान केवल अखबारों की सुर्खियाँ बनकर रह जाएगा? अगर सरकार वाकई गंभीर है, तो निम्नलिखित कदम उठाने होंगे*
1. **चिकित्सकों की जवाबदेही तय की जाए सरकारी डॉक्टरों द्वारा निजी प्रैक्टिस पर सख्त रोक लगे और लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई हो।*
2. **सरकारी अस्पतालों की नियमित निगरानी हो दवाओं, उपकरणों और अन्य आवश्यक सुविधाओं की समय-समय पर समीक्षा की जाए।*
3. **अवैध नर्सिंग होम पर कार्रवाई हो जो सरकारी डॉक्टर ड्यूटी वक्त निजी क्लीनिक और नर्सिंग होम चला रहे हैं या उनका समर्थन कर रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।*
4. **जनता की भागीदारी बढ़ाई जाए स्थानीय लोगों को अस्पतालों की निगरानी में शामिल किया जाए, ताकि गड़बड़ियों की तुरंत जानकारी मिले।*
*मंत्री का बयान निश्चित रूप से एक अहम मुद्दे की ओर ध्यान खींचता है*
*लेकिन असली सवाल यह है कि क्या वे इसे लेकर ठोस कदम उठाएंगे या यह केवल एक राजनीतिक बयान बनकर रह जाएगा।*
*अगर सुधार की दिशा में कोई ठोस कार्यवाही नहीं होती, तो जनता के लिए यह एक और खोखला वादा ही साबित होगा।*
*अब देखने वाली बात यह होगी कि गया की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ मिलती है या फिर यह मामला सिर्फ चर्चाओं तक सीमित रह जाता है।*