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कृषि विपणन विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित

कृषि विज्ञान केंद्र, बिक्रमगंज, रोहतास में कृषि विपणन विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की गई। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम दिनांक 21 से 23 दिसंबर तक चलेगा। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम चौधरी चरण सिंह राष्ट्रीय कृषि विपणन संस्थान (नियाम), जयपुर के द्वारा प्रायोजित की गई है।

 

इस कार्यक्रम का उद्घाटन भारत सरकार की संस्था नियाम, जयपुर के उपनिदेशक, डॉ. एस आर सिंह, सह निदेशक प्रसार शिक्षा, डॉ आर एन सिंह एवं वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ शोभा रानी, प्राध्यापिका अर्थशास्त्र, डॉ मीरा कुमारी ने दीप प्रज्वलित कर किया।

 

प्रशिक्षण सत्र में नियाम के उपनिदेशक, डॉ. एस आर सिंह ने जिले के 25 किसानों को एग्रीकल्चर मार्केटिंग के गुर बताये। उन्होंने कहा कि नियाम के छः प्रमुख प्राथमिकताएं हैं। इनमें पहला प्रशिक्षण, दूसरा शोध, तीसरा परामर्शदात्री सेवाएं, चौथा नीति निर्धारण और पांचवां कृषि शिक्षा, छठा अंतरराष्ट्रीय कृषि है। आज के समय में कृषि विपणन सिर्फ उत्पादन कर बेच देना नहीं, अपितु उत्तम परिवहन व्यवस्था, बेहतर गुणवत्ता एवं सरकारी नियम कानून भी इसी के अंतर्गत आता है जो बाजार को प्रभावित करते हैं।

 

बिहार मशरूम और मखाना में बेहतर उत्पादन कर रहा है, परंतु इसमें विपणन हेतु उपभोक्ता तक पहुंचाने में कई समस्याएं हैं। इसका फायदा बिचौलियों द्वारा उठाया जाता है। किसानों को अपने उत्पाद को अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचाने हेतु प्रयास करना है। अब बदलती परिस्थितियों में बोआई के साथ ही मार्केट प्लानिंग जरुरी हो गई है। साथ ही डिमांड के अनुसार भी किसी फसल की खेती करना आवश्यक हो गया है।

 

डॉ. सिंह ने बिहार राज्य में एपीएमसी एक्ट, आदर्श मंडी की आवश्यकता एवं आधारभूत संरचना पर विशेष प्रकाश डाला। आज कृषि बाजार को किसी दायरे में नहीं बांधा जा सकता है। उत्पाद की पहुंच दुनिया के कोने-कोने तक है। उत्पादकों को इसकी जानकारी नहीं है। इससे बैंकिंग, परिवहन, मंडी, की है। यह सिर्फ खरीद-फरोख्त की प्रक्रिया खरीदार व विक्रेता सभी जुड़े हैं। देश में करीब 27 हजार मंडिया हैं। उनमें 7000 मंडी ही निबंधित हैं। उनमें अधिकांश पंजाब व हरियाणा में हैं। निबंधित मंडी के अभाव में कृषि उत्पाद का मुनाफे की रकम बिचौलिये खा जाते हैं। प्रत्येक पांच से सात वर्ग किमी पर निबंधित मंडी की भी दरकार है।

 

बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर (भागलपुर) के सह निदेशक प्रसार शिक्षा, डॉ आर एन सिंह ने कहा कि कृषि उत्पादन अब समस्या नहीं है। बल्कि उत्पाद बाजार तक पहुंचे और उसकी मुनासिब कीमत मिले, यह बड़ी समस्या है। कृषि उत्पादों की कीमत किसान के नहीं, बल्कि बाजार के हाथों में होती है। पहले बिहार राज्य कृषि मंडी होती थी। पर अब वह विलोपित हो गई है। समानांतर व्यवस्था में कई मंच हैं। इसके लिए किसानों को जागरूक करने की आवश्यकता है। आज किसान जागरुक हों तो उन्हें घर बैठे कृषि उत्पाद की अच्छी कीमत मिल सकती है।

 

एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म भी तैयार किया गया है। इसे ई-नाम दिया गया है। फोन से इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म के द्वारा किसान घर बैठे पता कर सकते हैं कि उनके उत्पाद की कहां क्या कीमत मिल सकती है।

 

वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान, डॉ शोभा रानी ने कहा कि किसानों द्वारा उत्पादित उत्पाद का उचित मूल्य किसानों को ससमय नहीं मिलता है। किसानों को बाजार के साथ अपने उत्पाद के मूल्यों की जानकारी का भी अभाव होता है। उचित बाजार के साथ जुड़ाव के अभाव में वे अक्सर नुकसान के शिकार हो जाते हैं। इसकी एक मुख्य वजह ग्रामीण क्षेत्र के किसानों का विभाग से समन्वय नहीं होना भी है। इसके लिए प्रशिक्षण के माध्यम से किसानों को जागरूक किया जा रहा है।

 

प्रशिक्षण के दौरान जिले के विपणन एवं बाजार संबंधित सभी सरकारी एवं गैर सरकारी अधिकारियों को बुलाकर किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा। सबौर में अर्थशास्त्र की सहायक प्राध्यापिका मीरा कुमारी ने कहा कि आज जानकारी के अभाव में किसानों का नुकसान होता है। स्थान, समय और विविधता के माध्यम से किसान कृषि उत्पाद की अच्छी कीमत प्राप्त कर सकते हैं। इसी हेतु कृषि विश्वविद्यालय कई जिलों में कृषि विपणन के ऊपर प्रशिक्षण आयोजित करवा रही है। कार्यक्रम में उपस्थित मत्स्य वैज्ञानिक आर के जलज ने कहा कि मछली उत्पादन पर्याप्त होते हुए भी बिक्री में काफी समस्याएं आती हैं।

 

इस हेतु मंडी की आवश्यकता एवं रेट दर निर्धारण एजेंसी की दरकार है। उद्यान वैज्ञानिक डॉ रतन कुमार ने उद्यान फल सब्जी संबंधित उत्पाद के संरक्षण हेतु आधारभूत संरचना की आवश्यकता पर विशेष बल दिया। उन्होंने इन उत्पादों के सफल विपणन हेतु उचित गुणवत्ता को कायम करने हेतु जानकारी दी।

 

कार्यक्रम के दौरान हरेंद्र प्रसाद शर्मा, सुवेश कुमार, अभिषेक कौशल इत्यादि उपस्थित थे। किसान राजेश कुमार, नितीश कुमार, प्रवीण कुमार अरविंद पांडे, रामनरेश सिंह, भिखारी राय, अर्जुन सिंह, अलखदेव राय एवं महिला प्रशिक्षणार्थियों में आरती देवी, प्रियदर्शनी सिंह, आरती कुमारी, सावित्री देवी इत्यादि सहित 25 उपस्थित थे।

CHANDRAMOHAN CHOUDHARY
Author: CHANDRAMOHAN CHOUDHARY

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