अरवल । जिला के प्रखंड के सभी क्षेत्रों में श्रद्धा एवं विश्वास के साथ सुहागिन महिलाओं के द्वारा करवा चौथ व्रत किया गया। इस दौरान सुहागिन स्त्रियां नित्य कर्म के उपरांत उपवास रखते हुए भगवान गणेश एवं चंद्रमा की पूजा किया। हालांकि यह तिथि स्त्रियों के लिए बहुत ही कठिन होता है क्योंकि विधि विधान के अनुसार इसमें निर्जला व्रत एवं पूजा के उपरांत सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति के सम्मुख चंद्रमा के साथ पति को चलनी में मुंख देखकर व्रत को तोड़ा।
करवा चौथ एवं उससे जुड़े पूजा पाठ को लेकर पंडित कुंदन पाठक ने बताया कि पुराण के अनुसार देवता एवं दोनों में युद्ध छिड़ गया उस समय दानव देवताओं पर भारी पड़ने लगे। ऐसी स्थिति को देखकर देवताओं की पत्नियां चिंतित होने लगी और ब्रह्मा जी के पास पहुंच गई।
इस दौरान सभी देवताओं की पत्नियों ब्रह्मा जी को देव दोनों युद्ध की स्थिति बताने लगी। ब्रह्मा जी ने उनकी बातों को सुनकर इस संकट से उबर के लिए करवा चौथ का व्रत पूरे भक्ति श्रद्धा के साथ करने के लिए बोले। ब्रह्मा जी के दिए गए उपदेश से सभी देवियों ने श्रद्धा के साथ यह व्रत रखा और देवताओं की विजय हुई। दानव एवं राक्षसों के युद्ध में देवताओं की विजय को सुनकर उनकी पत्नियों ने व्रत को तोड़ा।
उन्होंने बताया कि करवा चौथ की पूजा में मिट्टी और तांबे के कलश से चंद्रमा की अर्ध दी जाती है । करवा का अर्थ मिट्टी का बर्तन जिसे उसमें लगे टोटी भगवान गणेश के सन का स्वरूप मानी जाती है और चौथ का अर्थ चतुर्थी तिथि माना गया है।
पंडित कुंदन पाठक ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि को प्रत्येक साल मनाई जाती है। क्योंकि इस दिन चंद्रमा की पृथ्वी पर आम भूमिका होती है क्योंकि चंद्रमा निकलने के बाद महिलाएं यह व्रत तोड़ती हैं। माना जाता है कि इस व्रत को रखने से वैवाहिक जीवन सुखमय में खुशमय होता है।