अरवल। बाहर से आने वाले सैकड़ो महिला पुरुष पिंड़दानियों के लिए उस वक्त अजीब स्थिति हो गई जब 1:30 बजे के आसपास में बारिश होने लगी पिंडदानी एक से बढ़कर एक साफ सुथरा कपड़ा पहनकर पिंडदान के लिए बैठे थे। कई लोग बारिश में पूरी तरह भीग गए उनके कपड़े भी बुरी तरह भींग गया।
महिलाओं के साड़ी चुनरी भी भींग गई दरअसल बात यह है कि यहां आने वाले सैलानियों की संख्या हजारों में है और छत के नीचे बैठने की जगह मात्र राम झरोखा एवं मोख्तार सिंह यात्री निवास का कमरा एवं बरामदा ही है वह भी पर्यटकों की संख्या के हिसाब से काफी कम है।
अगर जिला प्रशासन पटना जिले के पुनपुन नदी घाट स्टेशन की तरह वाटर प्रूफ पंडाल का निर्माण पहले से कराए हुए रहती तो आज देशभर से आने वाले हजारों सैलानियों को वर्षा में भींगकर पिंडदान का अनुष्ठान किंजर पुनपुन नदी तट पर नहीं करना पड़ता गुजरात के भुसावल से आने वाले बाबू भाई बिजोरिया कोलकाता से आने वाले रामबाबू खेतान का कहना है कि बिहार सरकार को किंजर पूनपुन नदी घाट जैसे महत्वपूर्ण स्थान को विकसित करने के लिए कुछ तो करना चाहिए था।
यहां सरकारी इंतजाम कुछ भी नहीं है जो हमें बारिश में काफी परेशान होना पड़ रहा है गाड़ियों को भी ढंग से पार्किंग करने कि स्थान जिला प्रशासन नें नहीं चिन्हित किया है जिसके चलते गाड़ियां भी सड़क मार्ग या कीचड़ में ही पार्किंग करना पड़ रहा है।
वही जब बारिश के साथ-साथ जोर-जोर से आकाश में गर्जना होने लगा तो खुले आसमान में बैठे सैकड़ो महिला पुरुष पिंड़दानियों के होश उड़ने लगे कि कहीं आकाशीय बिजली यानी ठनका आसपास में न गिर जाए।