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सड़कों किनारे दिखेगा इलाहाबादी अमरूद व दशहरी आम

बलिया। वन विभाग सार्वजनिक स्थानों व सड़कों किनारे फलदार बीजू के पौध व झाड़ीनुमान पौधों की जगह कलमी इलाहाबादी अमरूद व दशहरी व मलिहाबादी आम के पौध रोने का निर्णय लिया है।

वन विभाग पौधरोपण अभियान के जरिए हर साल लाखों इमारती लकड़ियों व फलदार बीजू पौध लगाता है। यह पौध फल देने में अधिक समय लगाते हैं। वहीं फलों की गुणवत्ता भी बेहतर नहीं होती है। यही नहीं वन विभाग या पौधरोपण करने वाले अन्य विभाग पौधे लगाने के बाद भूल जाते हैं। स्थानीय लोग भी इन पौधों के देखरेख में रूची नहीं लेते, लिहाजा अधिकांश पौध सुख जाते हैं। जिससे न तो पर्यावरण संरक्षण का मिशन पूरा हो पाता है और न ही लोगों को फल ही मिल पाता है। इसको देखते हुए इस साल वन विभाग कलमी पौधे तैयार शुरू कर दिया है। नर्सरी विशेषज्ञ बीजू पौध में ही ग्राफ्टेड कर उसी आकार के कलमी पौधे के तने काटकर बांधने का कार्य करते हैं। जहां दोनों पौधों का तना बंधा जाता है वहां पन्नी या टेप लगाकर बांध दिया जाता है। जहां बांधा जाता है वहां के ऊपरी हिस्से से निकलने वाले नए तने अपनी खुराक भले ही बीजू पौधे की जड़ों से लेते हैं। लेकिन उनके फलों की गुणवत्ता उस कलमी पेड़ जैसी होती है। प्रथम चरण में वन विभाग की ओर से जिले में पांच हजार पौध रोपने के लिए नर्सरी तैयार किया जा रहा है।

विभागीय सूत्रों की मानें तो आम, अमरूद व आंवले के कलमी पौध की नर्सरी तैयार की जा रही है। आम के बीजू पौधा 10 साल में फल देता है। लेकिन कलमी पौधा तीन साल में ही फल देने लगता है। अमरूद का बीजू पौधा पांच और कलमी दूसरे साल से फल देने लगता है। आंवले का बीजू पौधा पांच साल में फल देता है जबकि कलमी पौधा तीसरे साल से फल देने लगता है। बीजू की अपेक्षा कलमी पौधों में फल अधिक लगते हैं। पहली बार इलाहाबादी अमरूद, दशहरी व महिलाहाबादी आम के पौध तैयार करने पर विभाग का अधिक फोकस है।

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Author: Bakwas News

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