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बलिया का शिक्षक बना पीसीएस अधिकारी

बलिया। यदि मन में कुछ करने का ईमानदार जज़्बा हो और मंज़िल तक पहुंचने का बुलंद इरादा तो उसके प्रति की गई कोशिशें कभी बेकार नहीं जाती। दुनियादारी की मुश्किलें रुकावट तो पैदा कर सकती हैं, लेकिन आखिर में कामयाबी कदम चूमने को मजबूर हो जाती है। इस पंक्ति को सच साबित किया है, प्राइमरी टीचर से लोवर पीसीएस अफसर बने बलिया के छोटेलाल तिवारी ने। 

 

सीताकुंड गांव निवासी चंद्रमा तिवारी व स्व. रामजानी देवी के पुत्र छोटेलाल तिवारी की चाहत शुरु से ही अफसर बनने की रही। चार बार अपर पीसीएस, एक बार आईएएस में असफलता के बाद भी छोटेलाल का ‘मिशन अफसर’ जारी रहा। सीडीएस में सफलता भी मिली, लेकिन मेडिकल में अनफिट हो गये। फिर इन्होंने प्राइमरी स्कूल का टीचर बनना मंज़ूर कर लिया। हालांकि प्राइमरी टीचर बनकर भी वह न तो अपने सपने को भूले और न ही मंज़िल तक पहुंचने की कोशिशें छोड़ीं। नतीजा यह रहा कि अब वह लोवर पीसीएस अफसर बन चुके हैं।

 

शिक्षा क्षेत्र बेलहरी के पूर्व माध्यमिक विद्यालय रूद्रपुर पर बतौर सहायक अध्यापक छोटेलाल तिवारी का चयन अधिशासी अधिकारी (EO) के पद पर हुआ है। पूर्वांचल 24 से बातचीत में छोटे लाल तिवारी ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवा वर्ग को सुझाव दिया कि लक्ष्य पाने के लिए सतत मेहनत जारी रखें। जीवन उसी का सफल है, जो लक्ष्य के प्रति सचेत है। बिना संघर्ष सफलता नहीं मिलती। बिना भटके मंजिल नहीं मिलती। बिना परिश्रम लक्ष्य हासिल नहीं होता। कहा कि विघ्न बाधाएं हमारे लिए अभिशाप नहीं, वरदान हैं। असफलताओं से घबराने की बजाय हंसते हुए उनका सामना करें। दु:खों से जूझना और कष्टों में मुस्कुराना सीखें, सफलता मिलनी तय है।

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Author: Bakwas News

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