बलिया । भाई के लम्बी उम्र व सुख समृद्धि का रूद्रव्रत पर्व (पीड़िया)का विसर्जन जिले भर में गंगा, सरजू व तमसा नदी के घाटों पर बहनों ने मंगलगीतों के साथ किया। इसके बाद गुरुवार को व्रत रखी बहनों ने परम्परानुसार चिउड़ा व मिष्ठान से पारण कर व्रत को पूरा किया। प्रशासन की ओर से अत्यधिक भीड़-भाड़ वाले घाटों पर सुरक्षा के इंतजाम किये गये थे। भोर से शहर के एनएच सहित विभिन्न मार्गों पर जाम का झाम लग गया था, जिसके चलते आवागमन में लोगों को काफी परेशानी होती नजर आयी।
बता दें कि गोवर्धन पूजा के एक माह बाद पीड़िया पर्व होता है। बहनें अपने भाइयों की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। इसी क्रम में गुरुवार को बहनों ने व्रत रखा तथा शुक्रवार को पीड़िया को नदी में प्रवाहित किया। भोर के चार बजे से ही शासन के निर्देशों की अनदेखी करते हुए गांवों से ट्रैक्टर ट्रालियों पर सवार लड़कियां और महिलाएं पारंपरिक गीत गाते हुए घाटों पर पहुंची तथा विधि-विधान से पूजन के बाद पीड़िया को नदी में प्रवाहित किया। इसके बाद एक दूसरे को पर्व की बधाई दी।
सोलहिया निगलने का निभाई परम्परा
बलिया। भाई की लम्बी उम्र, खुशहाली व सुख-समृद्धि की प्रबलता का प्रतीक रुद्रव्रत पीड़िया का विसर्जन शुक्रवार की भोर में हुआ। इस दौरान बहनों ने नए चावल व गुड़ का रसियाव बनाईं। दिन भर उपवास रहने के बाद शाम को सोरहिया के साथ रसियाव ग्रहण की। व्रत रखी बहनों ने अपने जितने भाई हैं उस संख्या के हिसाब से प्रति भाई 16 धान से चावल निकालकर सोरहिया निगलकर व्रत की परम्परा का निर्वहन किया।