Bakwas News

नहाय खाय के साथ शुरू हुआ लोक आस्था का महापर्व छठ 

बलिया। सूर्योपासना का महापर्व डाला छठ का चारदिवसीय अनुष्ठान शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। व्रती महिला व पुरुषों ने सेंधा नमक व घी में बने लौकी की सब्जी, अरवा चावल तथा अरहर के दाल का सात्विक भोजन ग्रहण कर अपने को इस महापर्व के लिए तैयार किया। कोरोना काल के बाद पहली दफा हो रहे इस महापर्व को लेकर घर-घर में उत्साह है।

सुबह से ही व्रत रखने वाले पुरुष व महिलाएं व्रत में प्रयोग होने वाले पूजन साग्रियों को रखने वाले स्थान की साफ-सफाई किया। गंगा सहित आस-पास के नदी व तालाबों या फिर घरों में स्नान किया और मिट्टी के नए चूल्हे पर परम्परानुसार लौकी की सब्जी, अरहर का दाल व अरवा चावल का प्रसाद बनाया। दोपहर में पूजन-अर्चन करने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण कर अपने को व्रत के लिए पूर्ण रूप से तैयार हुए। घर-घर में पारम्परिक छठ गीतों की गूंज से वातावरण छठी मइया के भक्ति में लीन हो गया है। चहुंओर लोग भुवन भास्कर के इस कठिन व्रत में आपसी भेद-भाव भुलकर सहयोगात्मक भाव से एक-दूसरे के साथ ही व्रत रखने वाले लोगों को घाट पर जाने में कोई दिक्कत  न हो इसके लिए हर गली, नली व रास्तों की मरम्मत व साफ-सफाई में जुट गये हैं।

अमोघ’ अनुष्ठान है महापर्व डाला छठ: डॉ. उपाध्याय

बलिया। सनातन धर्म के पंाच प्रमुख देवताओं में सूर्यनारायण प्रत्यक्षदेव हैं। सूर्योपासना के महापर्व डाला छठ के महत्व पर प्रकाश डालते हुए फेफना थाना क्षेत्र के इंदरपुर थम्हनपुरा निवासी आचार्य डॉ. अखिलेश उपाध्याय कहते हैं कि बाल्मीकि रामायण के आदिहृदयस्रोत में वर्णन मिलता है कि भगवान भास्कर में सर्वदेवमय, सर्वशक्तिमय स्वरूप का बोध होता है। बताया कि छठ पर्व सूर्योपासना का ‘अमोघ’ अनुष्ठान है। इस व्रत को नियम पूर्वक करने से समस्त रोक, शोक, संकट व शत्रु नष्ट हो जाते हैं तथा संतान का कल्याण होता है। इस व्रत को भक्तिभाव से करने पर सूर्यदेव की कृपा से नि:संतान को पुत्र सुख प्राप्त होता है। वहीं वैज्ञानिक दृष्टि से सूर्यदेव के आराधना से नेत्र, त्वचा व हृदय सम्बंधी रोग ठीक हो जाते हैं। सूर्यदेव को अर्घ्य देते समय ‘ऊं ऐहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।अनुकम्पय मम भक्तायां गृहाणार्घ्यम दिवाकर’ का उच्चारण करना चाहिए। बताया कि ऐसा नहीं है कि मंत्र नहीं जानने वाले पूजन नहीं कर सकते। पूजन में आस्था प्रबल है और आस्था के साथ सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित कर नमन किया जा सकता है।

Bakwas News
Author: Bakwas News

Leave a Comment