बलिया। जिले से होकर बहने वाली दोनों प्रमुख नदिया (गंगा व घाघरा)उफान पर है। घाघरा अपने उच्चत्तम लेवर के पास पहुंच प्रभावित गांवो मे तबाही मचा रही है वहीं गंगा भी खतरा विन्दु को पार कर खतरे की घंटी बजा चुकी है। मध्य अक्टूबर मे दोनों नदियों के तल्ख़ हो चुके तेवर को देख लोग सकते मे है। उधर प्रशासनिक अधिकारी प्रभावित क्षेत्रो का निरिक्षण कर मातहतो को आवश्यक दिशा निर्देश दे रहे है।
डीएसपी हेड पर शनिवार शाम चार बजे घाघरा का जल स्तर 65.680 मीटर दर्ज किया गया। नदी यहां खतरा विन्दु 64.010 मीटर से 1.67 मीटर ऊपर बह रही है। आयोग के अनुसार सुबह आठ बजे से नदी का जल स्तर स्थिर बना हुआ है। उधर, गायघाट गेज पर शनिवार सुबह खतरा विन्दु को पार कर गंगा ने तटवर्ती क्षेत्र के गोपालपुर, उदयीछपरा, दूबेछपरा, सुघरछपरा, गंगा पार के नौरंगा, चक्की, भुआलछपरा, उपाध्याय टोला आदि के पच्चास हजार से अधिक आवादी मे दहशत मचा दी है। आयोग के अनुसार शाम चार बजे गंगा का जल स्तर 57.820 मीटर दर्ज किया गया। नदी यहां खतरा विन्दु 57.615 मीटर से 21 सेमी ऊपर बह रही है। नदी मे पिछले आठ घंटो के बीच 17 सेमी की बृद्धि दर्ज की गयी। जबकि अब भी दो सेमी प्रति घंटे का बढ़ाव बना हुआ है। गंगा के बाढ़ का पानी प्रभावित बस्तियों मे घुसने को लालायित दिख रहा है। उधर घाघरा बासडीह, सिकंदरपुर, बिल्थरारोड, बैरिया तहसील क्षेत्र मे जम कर कहर बरपा रही है। बासडीह के टीएस बंधे पर रिसाव के कारण पास के ताहिरपुर, सुल्तानपुर गांव मे पिछले दो दिनों से हड़कंप मचा है। वहीं बैरिया के गोपालनगर दियारा मे खेतो को अपने पेटे मे समाहित करती नदी बस्तियों के आशियानो पर भी जम कर कहर बरपा रही है। पीड़ित बंधों पर तिरपाल के नीचे शरण लिए गमगिन नजरो से अपनी तबाही देखने को मजबूर हुये है। सिकंदरपुर के जमींदारी बंधा पर रिसाव के कारण डुहा बीहरा मे अफरा तफरी मची है वहीं बिल्थरा रोड के राजभर बस्ती के दर्जनों घरों मे बाढ़ का पानी घुस गया है। पीड़ित परिवार मदद की राह निहार रहे है।
कटानरोधी कार्यो पर बढ़ा दबाव
बलिया। रामगढ़ क्षेत्र के दूबेछपरा, गोपालपुर, रामगढ़ के पास वित्तीय वर्ष मे कराये गये बचाव कार्यो पर गंगा की लहरो का दबाव बढ़ने लगा है। नदी की लहरे बैकारोलिंग करती हुयी इसे धराशयी करने पर अमादा दिख रही है।
धरातल पर नही दिख रही बाढ़ चौकिया
बलिया। गंगा का जल स्तर खतरा बिन्दु को पार कर चुका है। नदी मे फिलहाल बढ़ाव बना हुआ है। बावजूद रामगढ़ क्षेत्र मे कही पर भी बाढ़ चौकिया संचालित नही दिख रही है। नदी के बढ़ाव को देखते हुये ग्रामीणों ने बाढ़ चौकी संचालित कराये जाने की मांग की है।
खरीब की फसल तबाह, रबी पर भी मंडराया संकट
बलिया। गंगा व घाघरा के बाढ़ से खरीब की फसल तो पहले ही बरबाद हो चुकी है। अब अक्टूबर माह के मधे मे नदियों के उफान के कारण रबी की फसल पर भी संकट गहरा गया है। किसानों के अनुसार गेहूं की फसल से इतर अन्य चना, मसूर, सरसो आदि की फसल की बुआई 15 नवम्बर से पूर्व हो जाती है। ऐसे मे खेतो से पानी निकलने व इसके सुखने के अभाव मे अब इन फसलो की बुआई समय से कर पाना संभव नही है।
घाघरा के तेज बहाव में कटा सम्पर्क मार्ग
बलिया। घाघरा नदी में आयी बाढ़ के पानी के दबाव से शुक्रवार की रात सम्पर्क मार्ग का बड़ा हिस्स बह गया। इसके चलते दो गांवों के करीब साढ़े चार हजार आबादी का सम्पर्क अन्य जगहों से पूरी तरह से कट गया है। फिलहाल पीड़ित गांवों के लोग राहत की उम्मीद में टकटकी लगाएं हुए हैं।
बाढ़ के पानी से टीएस बंधा-रेंगहा सम्पर्क मार्ग पर दबाव बना हुआ था। तीन दिनों से ग्रामीण प्लास्टिक की बोरियों में मिट्टी भरने के बाद सुरक्षा कवच बनाने का प्रयास कर रहे थे। हालांकि पानी के तेज बहाव के चलते उनकी मेहनत असफल साबित हुई तथा बंधा शुक्रवार की रात टूट गया। इसके चलते दो गांवों रामपुर नम्बरी के करीब दो हजार तथा रेंगहा के लगभग ढाई हजार की आबादी का सम्पर्क इलाके के अन्य हिस्सों से पूरी तरह से कट गया। इसकी जानकारी होने के बाद सीओ बांसडीह राजेश तिवारी व नायब तहसीलदार बांसडीह अंजू यादव ग्रामीणों के बीच पहुंची तथा नाव आदि का इंतजाम करने का भरोसा दिया। गांव के मनोज उपाध्याय, बुद्धिराम, लल्लन यादव, दिनेश आदि का कहना था कि बाढ़ प्रत्येक हर साल आती है और बंधे का कुछ न कुछ हिस्सा कटता है, जबकि लम्बे समय से सम्पर्क मार्ग पर पुलिया निर्माण की मांग की जा रही है। उनका कहना कहना है कि अगर पुलिया का निर्माण हो गया होता तो शायद यह रास्ता बहने से बच जाता है।