वाराणसी।नाटी इमली मैदान मे विश्व प्रसिद्ध भरत मिलाप धूमधाम के साथ सम्पन्न हुआ। श्री चित्रकूट रामलीला समिति की ओर से विश्व प्रसिद्ध भरत मिलाप साढ़े चार सौ साल से भी अधिक समय से लीला की परम्परा का निर्वाहन किया जा रहा है। नाटी इमली का भरत मिलाप मैदान अयोध्या मे तब्दील हो चुका था जैसे ही राम व लक्ष्मन को भरत और शत्रुधन ने देखा तो वो दोनों नग्गे पैर ही उनकी ओर दौड़ पड़े।
नेमियों ने प्रभु की राह मे फूल बिछाए और मिलन की नयनाभीराम झांकी को आँखों मे संजोने के लिए टकटकी लगा ली। गोधुली (शाम) बेला मे हुई नयनाभीराम झांकी के दौरान जैसे भगवान श्रीराम ने भाई भरत को गले से लगाया तो चारो और जय श्रीराम और हर हर महादेव के जयघोष गुजने लगे। इस अद्भुत दृश्य को देख नेमियों की आँखे सजल हो गई। लक्खा मेले मे शुमार नाटी इमली के इस भरत मिलाप मे आस्था और श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा था। मैदान श्रद्धालुओं से खचाखच भरा हुआ था। यहाँ तक की मैदान के चारो तरफ मकानों से श्रद्धांलु टकटकी लगाए चारो भाईयो के मिलन के दृश्य को देखने के लिए उत्साहित दिखे।
इसके बाद स्वरूपों की आरती उतारी गई और जब शोभायात्रा निकली तो पुष्पवर्षो होने लगी। भरत मिलाप मे काशी परिवार के कुंवर अनंत नारायण सिंह पहुँचे थे। उन्होने लीला स्थल चित्रकूट पर भगवान श्रीराम, लक्ष्मण व माता सीता के दर्शन किए। इस दौरान काशी की जनता ने कुंवर का हर हर महादेव के उद्घोष से स्वागत किया। इसके बाद हनुमान जी ने चित्रकूट से अयोध्या के लिए प्रस्थान किया। हनुमान जी भरत जी को संदेश देते है की भगवान श्रीराम अयोध्या की सीमा पर आ गए है यह सुनते ही भरत जी हनुमान जी के साथ अयोध्या की सीमा पर जाने की तैयारी कर देते है। भरत मिलाप के दौरान परम्परा का निर्वहन किया गया और कुंवर अनंत नारायण सिंह ने सोने की गिन्नी दी।