राजनीति के गलियारों में बहुत सारे बुलबुले देखें जा रहे हैं और बिहार की राजनीति में यह बुलबुले बड़े होते हुए नजर आ रहे है। नजारा कुछ ऐसा है कि स्वास्थ्य जांच के बहाने सोनिया, के साथ मुलाकात का मन बना लिया है और लालू जी के इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि श्री केजरीवाल से भी मुलाकात हो सकती है।
इन सभी समीकरण पर नजर डालें तो यह प्रतिद्वंदी को मजबूत बनाता हुआ दिख रहा है। इधर बिहार में अमित शाह ने सीमांचल दौरा कर पुकार भर दी है। खैर जो भी हो राजनीति का सौंदर्यकरण भारत जैसे देश में ही देखने को मिल सकता है। राजनीति के इस महापर्व में जीत किसी की भी हो लेकिन प्रजातंत्र हमेशा जीत कर भी हार जाता है और हार कर भी जीत जाता है।