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बिहार में एक ऐसा थाना जहां थानेदार नही बल्कि कुर्सी टेबल ही करती है थानेदारी

औरंगाबाद। जिले का क्रीम कहे जानेवाला बारुण थाना जो कि हमेशा से शुर्खियो में रहा है। कभी पिला सोना यानी कि बालू और कभी थाने के पीछे दारू का खेल। जी हां हम बात कर रहे हैं बारुण थाना की जहां सरकार ने जिनके कंधे पर आम जनों की सुरक्षा की जिम्मेवारी दी है मगर उनकी थोड़ी सी लापरवाही आम जनों के लिए भारी पड़ सकता है । यह वीडियो औरंगाबाद जिला के क्रीम कहे जाने वाले बारुण थाना की है।

 

जिसे हम मॉडल थाना के रूप में भी जानते हैं। लेकिन इस थाने में अधिकारी नहीं मिलेंगे और ना ही कोई ड्यूटी में तैनात मिलेगा। यहां तक की ऑडी ड्यूटी भी यहां किसी को नहीं लगाई जाती जबकि नियम यह कहता है शिफ्ट चेंज होने पर जिसकी डयूटी होती है जबतक वह नही आता तबतक पहले वाले साहब को रहना अनिवार्य है। मगर इस थाने में ऐसा रूल नही है। जिसका खामियाजा किसी काम से थाने में आये ग्रामीणों को भुगतना पड़ता है। अपने काम से ग्रामीण तो थाने जरूर आते हैं मगर थाने में साहब को न देखकर बैरंग वापस लौट जाते है । क्योंकि थाने में साहब नही सिर्फ खाली कुर्सी और टेबल पड़े है जो कि थाने चलाने का काम कर रहे है। इसका जांच करनेवाला भी कोई नहीं है।

 

इस बारे में जब ग्रामीणों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मैं घंटों से आकर थाने में बैठा हूं मुझे अपनी अग्नियास्त्र का सत्यापन कराना है लेकिन यहां तो कोई साहब उपलब्ध है ही नहीं ना तो थाना प्रभारी है और ना ही कोई ऑडी ड्यूटी में ही उपलब्ध है । हां वहां अंदर में 2 चौकीदार और एक मुंशी एक रूम में बैठे दिख रहे थे हालांकि जब उनसे इस बारे में बात की गई की थाने में आज ऑडी ड्यूटी पर भी लोग नहीं है तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा डेरा में गए हुए हैं एक से दो घंटे के बाद ही आएंगे जबकि नियमानुसार ऑडी ड्यूटी 24 घंटा दी जाती है 1 मिनट के लिए भी थाने को खाली छोड़ने का प्रावधान नहीं है मगर यहां थाना प्रभारी तथा पुलिसकर्मी की लापरवाही साफ झलक रही है जो अपने खुद सुरक्षित नहीं है वह आम जनों को क्या सुरक्षा प्रदान करेंगे।

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Author: Bakwas News

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