बलिया। विदेशों खासकर पश्चिमी नस्ल के कुत्तों को शाकाहार खिलाने से कम खूंखार होंगे। खूंखाकर व अक्रामक दिखने के चक्कर में स्टेरॉयड न खिलाएं, जरूरी होने पर चिकित्सक की सलाह से ही स्टेरॉयड दे सकते हैं। सेहत व सामान्य व्यवहार बनाये रखने के लिए शाकाहारी प्रोटीनयुक्त आहार बेहतर है।
जिले के पलिया खास स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय पर तैनात डॉ. मंतराज कुत्ता पालने के शौकीनों को सलाह दी है कि संतुलित आहार जैसे प्रोटीन, कैल्शियम व विटामिनयुक्त शाकाहारी भोजन करने से विदेशी नस्ल के कुत्तों आक्रामकता कम होगी या आक्रामक हो गये हैं तो वह सामान्य हो जायेंगे। कुत्तों को दौड़ाने व उछल-कूद कराना उनके स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है। डॉ. मंतराज बताते हैं कि कुत्तों को दूध-रोटी, पनीर, बिस्कुट आदि खिलाना चाहिए। साथ ही नियमित व्यायाम कराना आवश्यक है। पशुपालन विभाग द्वारा वर्ष 2019 में हुई 20वीं पशुगणना के आंकड़ों के हिसाब से जिले में विदेशी नस्ल के पालतू कुत्तों की संख्या तीन हजार 201 है। जबकि आवारा कुत्तों की संख्या 20 हजार 410 है। बीते सालों में कुत्तों के काटने घटनाएं बढ़ी हैं।
कुत्तों पर सामान्य आदमी के भरण पोषण पर दो गुना खर्च
वर्तमान समय में आदमी की पहचान उनके व्यक्तित्व, गुणों की जगह विदेशी नस्ल के महंगे कुत्तों के पालने से हो रही है। इन विदेशी नस्ल के कुत्तों को पालने का शौकीन कुत्तों को खिलाने पिलाने में सामान्य आदमी से दो गुना खर्च कर रहे हैं। इसको लेकर ‘हिन्दुस्तान’ टीम ने सोमवार को शहर में पड़ताल कर सच्चाई को जानने का प्रयास किया।
वफादार होते हैं जर्मन सिंगल कोट प्रजाति का कुत्ता
शहर के मिड्डी निवासी अवधेश चौरसिया जर्मन सिंगल कोट प्रजाति का कुत्ता पाले हैं। अभी यह नौ महीने का है। यह पेडिग्री, ग्रेवी चिकेन, बकरा, मुर्गा का मांस के अलावा प्रतिदिन चार अंडा खिलाते हैं। बाचीत में छोटे कुत्ते की वफादारी की तारीफ करते हुए अवधेश ने बताया कि वह अगरसंडा के अपने मित्र के यहां से इसे 12 हजार रुपये में खरीदकर लाये हैं। इस प्रजाति के कुत्ते काफी वफादार होते हैं।
रॉड बिल्लर महीने में ढाई हजार का खाता है पेडिग्री
पिछले एक दशक से कुत्ता पाल रहे शहर के तीखमपुर निवासी विपुल मिश्र वर्तमान में रॉड बिल्लर (मेल) प्रजाति का कुत्ता पाले हैं। वह बताते हैं कि वह कुत्ते को शाकाहारी भोजन देते हैं। महीने में ढाई हजार का पेडिग्री और कमजोर होने की स्थिति में 250 रुपये में एक महीने के लिए आने वाली मल्टी विटामिन देते हैं। समय-समय पर कुत्तों के लिए सप्लीमेंट देते हैं। इसके अलावा दूध व दही के साथ रोटी खिलाते हैं। नमक व चीनी को कभी नहीं खिलाते हैं।
हनुमानगंज में बनेगा ब्रिडिंग सेंटर
शहर के टैगोर नगर निवासी विशाल सिंह कुत्तों के ब्रिडिंग कारोबार से पिछले पांच सालों से जुड़े हैं और इस कारोबार से होने वाली आमदनी से संतुष्ट हैं। वर्तमान में वह लेब्राडोर, जर्मन सेफर्ड, पोमेलियन, रॉड वाइनर गोल्डेन रेट्राइवल (मेल) प्रजाति के रखे हैं। वह फिमेल प्रजाति पाले लोगों से सम्पर्क कर क्रास कराते हैं और बच्चा पैदा होने पर कुछ पैसा देकर खरीदते हैं। कुत्तों को टे्रंड कर उसे अच्छे दामों पर बेंचते हैं। उन्होंने बताया कि धीरे-धीरे स्वयं अनुभव हो गया है कि इन्हें कैसे ट्रेंड करने से अधिक वफादार होंगे। बताया कि जल्द ही हनुमानगंज में ब्रिडिंग सेंटर खुलेगा और यह कारोबार बड़े पैमाने पर करेंगे।
दिल्ली, देहरादून जैसी व्यवस्था करने की मांग
जिले में नगरपालिका, नगर पंचायत या ग्राम पंचायत कहीं भी आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या पर काबू पाने के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है। जबकि आए दिन दुर्घटना का कारण बनने के साथ ही रात में बाइक, साइकिल व पैदल राहगीरों पर झुंड में आक्रामक होकर दौड़ने वाले इन कुत्तों से हर साल लोग घायल होते हैंं। 20वीं पशु गणना में 20 हजार 410 आवारा कुत्तों की संख्या थी। प्रजनन क्षमता अधिक होने से तीन वषार्ें में करीब 10 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान विशेषज्ञ बता रहे हैं। शहर के निवासी… ने नगरपालिका से आवारा कुत्तों की संख्या कम करने के लिए राजधानी दिल्ली व उत्तराखंड के देहरादून की तर्ज पर व्यवस्था करने की मांग की है।
एक नजर में उपयोग के सामान
सामान मूल्य वजन
पेडिग्री 150-200 प्रति किलो
रायल 300-350 प्रति किलो
मल्टी विटामिन 250 30 कैप्सूल
सेम्पू 450 एक पैक
शहर में आवारा कुत्तों को पकड़ने तथा इनकी जनसंख्या कम करने सम्बंधी कोई प्रस्ताव अब तक बोर्ड में नहीं आया है। आवारा कुत्तों से दुर्घटना आदि हो रहा है तो इसकी व्यवस्था की जायेगी। – सत्य प्रकाश सिंह, ईओ नगरपालिका