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बिना लाइसेंस शहर में पाले जा रहे खतरनाक कुत्ता

बलिया। शहर में खूंखार पालतू व आवारा कुत्ते परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं। ताज्जुब तो यह कि नगरपालिका बलिया से एक भी लोगों ने कुत्ता पालने का न तो परमिशन लिया है और न ही लाइसेंस के लिए किसी ने आवेदन किया है। स्थिति यह है कि नगरपालिका, नगर पंचायत या ग्राम पंचायत कितने भी खतरनाक कुत्ते पालिए, कोई रोकने वाला नहीं है। वैसे पशुपालन विभाग के आंकड़ों में आवारा कुत्तों की संख्या आठ हजार बताई जा रही है। जबकि पालतू कुत्तों का कोई आंकड़ा जिले में नहीं है।

बलिया नगरपालिका परिषद की बात करें तो इन खतरनाक  कुत्तों को पालने के लिए अब तक बोर्ड में प्रस्ताव रख पारित भी नहीं कराया गया है। ऐसे में शौकीन अपने एक की कौन कहे चार-छह कुत्तों को पाल रहे हैं। हालांकि इन खुंखार नस्ल के कुत्तों को पालने से उनकी खुद जान कभी-कभी जोखिम में पड़ जाती है। इसके अलावा आवारा कुत्तों की फौज शहर में इस कदर है कि बाइक व साइकिल से जाते समय दर्जनों की संख्या में पड़ जा रहे हैं। कई बार लोग कुत्तों से बचने के चक्कर में दुर्घटनाग्रस्त हो जा रहे हैं।

पिछले महीने शहर के चंद्रशेखर नगर स्थित मकान में हस्टिंग प्रजाति के कुत्ते ने उसी घर की महिला को इस प्रकार नोचा था उसका इलाज वाराणसी में कराना पड़ा। वहीं उपचार कराने के दौरान सिविल लाइन में एक डाबरमैन प्रजाति के कुत्ता तो अपने मालिक पर हमला कर दिया और जगह-जगह नोंच खसोट दिया। यह दो-चार घटनाएं तो बानगी भर है, कस्बा गांव में आए दिन आवारा व पालतू कुत्तों से लोग घायल होते हैं। लोगों में खतरनाक कुत्तों लेकर दहशत पैदा हो गयी है। शहर हो या गांव कुत्ता पालने वाले  शौकीनों को राहगीरों व पड़ोसियों को किसी प्रकार कोई चिंता नहीं है।

नियम के तहत कुत्ता नहीं पालने पर होगी कार्रवाई

सरकार की ओर से नगर निकाय, नगरपालिका, नगर पंचायत व ग्राम पंचायतों में कुछ खूंखार प्रजाति कुत्ता पालने पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी चल रही है। साथ ही कुत्ता पालने के लिए परमिशन लेने और उनके पालने के नियमों का पालन करने की व्यवस्था है। लेकिन प्रशासनिक सख्ती नहीं होने से लोग मनमानी कर रहे हैं।

खान-पान में सावधानी से नहीं होंगे हिंसक: डॉ. मंतराज

पशु चिकित्सक डॉ. मंतराज बताते हैं कि कुत्तों में हिंसक प्रवृत्ति बढ़ने का प्रमुख कारण खान-पान है। साथ ही पिटबुल, अलास्का मलम्यूट, सेंट बर्नाड, साइबेरियन हस्की, डाबरमैन आदि प्रजाति के कुत्ते ठंडे जलवायु के हैं। अपने यहां गर्म जलवायु में आते ही इनके व्यवहार में प्रतिवर्तन होने लगता है। चूकि गर्म वातावरण में इनमें हारमोलन बदलाव आएगा और यह धीरे-धीरे खूंखार होने लगते हैं। बताया कि बधियाकरण कराने से इन कुत्तों के स्वभाव में परिवर्तन आता है। लेकिन इनके पालन पोषण में विशेष ध्यान देने से इनके स्वभाव को हिंसक होने से बचाया जा सकता है।

कुत्तों को पालन सम्बंधी नए कानून को बोर्ड की बैठक में लाए जाने की तैयारी चल  रही है। नए नियम लागू होने के बाद कुछ प्रजाति को पालने पर प्रतिबंध के साथ पालतू कुत्तों की गणना की व्यवस्था होगी। नियम विरूद्ध पालने वालों पर जुर्माना सहित कार्रवाई होगी। – सत्यप्रकाश सिंह, ईओ नगरपालिका

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Author: Bakwas News

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