बलिया। 80 वर्ष पूर्व 19 अगस्त 1942 को देश मे पहली बार अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंक कर आजाद होने वाले बलिया के बलिदान दिवस के पावन अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बलिया पहुंच कर न सिर्फ बागी धरती को नमन किया बल्कि जीवित सेनानी रामविचार पांडेय और अन्य सेनानियों के परिजनों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर सीएम योगी ने बलिया के क्रान्तिकारी इतिहास को भी याद किया। बता दे कि 81 वा बलिया बलिदान दिवस के इतिहास मे एक ऐतिहासिक कड़ी जुड़ गयी, जब सीएम योगी सांकेतिक रूप से जेल के फाटक खुलने के ऐतिहासिक अवसर पर न सिर्फ उपस्थित हुए बल्कि यहां से निकलने वाले जुलुस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज बलिया बलिदान दिवस के अवसर पर बलिया के स्वतंत्रता संग्राम के अमर शहीदों को नमन किया। उन्होंने जिला कारागार में अमर शहीद राजकुमार बाघ जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित कर उनको श्रद्धान्जलि दी। इसके बाद पुलिस लाईन परेड ग्राउण्ड में आयोजित जनसभा को सम्बोधित किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम नायक मंगल पांडेय जी व महान सेनानी चित्तू पांडेय जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
मुख्यमंत्री जी ने अपने सम्बोधन की शुरूआत भारत माता की जय व वन्देमातरम के उद्घोष के साथ की। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में जब पूरा देश जुटा है, इस अवसर पर मुझे बलिया के स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े ऐतिहासिक बलिदान दिवस पर आने का सुअवसर मिला है। बलिया का एक अपना इतिहास है। कहा जाता है बलिया के लिए अनुशासन का कोई महत्व नहीं होता। लेकिन, आजादी के बाद देश के विकास के लिए जिस अनुशासन की आवश्यकता थी, वह बलिया में देखने को मिली है। वहीं देश को आजाद कराने के लिए जिस तेवर की आवश्यकता थी, वह तेवन भी बलिया के इतिहास में देखने को मिला है। जरूरत पड़ने पर मंगल पांडेय ने बैरकपुर छावनी में स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी जलाई। वह लड़ाई लगातार चलती रही। महात्मा गांधी ने जब अंग्रेजी छोड़ो भारत का नारा दिया था, तब महान सेनानी चित्तू पांडेय ने अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन किया।