पिछले कुछ दिनों से लगातार बढ़ाव के बाद गंगा का वेग थम गया। करीब 12 घंटे ठहराव के बाद मंगलवार दोपहर बाद से नदी में धीमी गति से घटाव भी होने लगा है। इससे बाढ़ व कटान की बागडोर सम्भाले जिम्मेदार भले ही राहत महसूस कर रहे हों, तटवर्ती लोगों की दहशत कम होती नहीं दिख रही है। कारण कि नदी पिछले दो दशक से अगस्त माह में ही तबाही मचाते आ रही है। आयोग के अनुसार मंगलवार की शाम चार बजे जलस्तर 56.210 मीटर रिकार्ड किया गया। नदी यहां चेतावनी बिन्दु 56.615 मीटर से मात्र 40 मीटर नीचे बह रही है। यहां खतरा बिन्दु मीटर 57.615 मीटर है।
नदी के धीमी गति से घटाव पर होने के बाद भले ही बाढ़ खण्ड से लगायत प्रशासनिक अधिकारी राहत महसूस कर रहे हों लेकिन बाढ़ व कटान प्रभावित गोपालपुर, उदयीछपरा, दूबेछपरा, सुघरछपरा, बनिया व सोनार टोला रामगढ़ के लोगों की दहशत कम होती नहीं दिख रही है। प्रभावित इन क्षेत्र के लोगों के अनुसार पिछले करीब 20 वर्षों से गंगा अगस्त माह में ही सबसे अधिक तबाही मचायी है। कयास लगाये जा रहे हैं कि पेटे से बाहर निकल चुकी नदी में बिना पर्याप्त घटाव के अगर ऊपरी पानी (उत्तराखण्ड, मध्यप्रदेश) का दबाव जल्दी ही बन गया तो भयंकर बाढ़ व कटान का दंश झेलना पड़ेगा। नदी के घटाव पर होने के बाद हो रहे कटान में अपेक्षाकृत कमी रही। हालांकि सुघरछपरा से दूबेछपरा के बीच छपाका कटान जारी है।
घाघरा में तेजी, लाल निशान से सिर्फ 33 सेमी नीचे
उधर एक सप्ताह से घाघरा नदी के जलस्तर में लगातार बढ़ाव का सिलसिला जारी रहने के बाद मंगलवार को भी नदी में बढ़ाव का क्रम जारी रहा। इससे नदी के डेंजर जोन में बसे तटवर्ती दर्जनों गांवों के हजारों लोगों की नींद हराम होती जा रही है। हालांकि नदी का पानी लाल निशान से अभी 33 सेमी नीचे बह रहा है। जलस्तर में बढ़ाव से बाढ़ की संभावना बढ़ गई है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार मंगलवार की शाम चार बजे जल स्तर 63.680 मीटर पर रहा। जबकि खतरे का लाल निशान 64.010 मीटर है। नदी का पानी ऐसे ही बढ़ता रहा तो नदी खतरे के निशान से ऊपर हो जाएगी और बाढ़ की संभवना प्रबल हो जाएगी।