जिले में स्थापित दो वृहद समेत अस्थाई 28 गोआश्रय स्थल हैं। इसमें करीब दो हजार के करीब निराश्रित पशु रखे गये हैं। लेकिन अधिकांश गोशालाओं में रखे गये गोवंश अव्यवस्था से जूझते नजर आ रहे हैं। उचित रख-रखाव व उपचार के अभाव में गोवंश की मौत हो रही है। जबकि हर महीनों इनके रख-रखाव के नाम पर सरकार लाखों रुपये खर्च कर रही है।
बता दें कि सोशल मीडिया में इन दिनों उपचार के अभाव में गौशाला के पशुओं की मौत, गौशाला में सूखे भूसे गोवंशों को खिलाने की खबर तेजी से फैल रही है। लेकिन नगपालिका, नगर पंचायत व ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों के कानों पर जूं नहीं रेंग रहा है। जिम्मेदारों से पूछने पर एक-दूसरे पर आरोप थोपकर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर ले रहे हैं। हिसं रतसर के अनुसार शनिवार की शाम से ही रतसर-पकड़ी मार्ग के पेट्रोल पम्प के पास निराश्रित पशु मृत पड़ा था। गोवंश के शरीर को जंगली कुत्ते नोच-नोच कर अपना निवाला बनाने के साथ सड़कों पर बिखेर रहे थे। दुर्गंध से इस ओर से जाना मुश्किल बना हुआ है। अभी दो दिन पहले रसड़ा गौशाला में एक गोवंश की मौत हो गयी थी। लेकिन जिम्मेदार मौन धारण किए हुए हैं।
रसड़ा में गोवंश की मौत पॉलीथीन खाने से हुई थी। अन्य गौशाला के पशुओं के मौत के सम्बंध में कोई जानकारी नहीं है। गोशाला के सभी पशुओं को गलाघोंटू समेत संक्रामक बीमारियों से बचाव का टीका लगाया जा चुका है। – गीतम सिंह, सीवीओ