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भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही मानव जीवन का होता है कल्याण- स्वामी श्री राम प्रपन्नाचार्य जी महाराज

भागवतकथा कथा से ही मानव का कल्याण- रामप्रपन्नाचार्य
भागवतकथा

मेहंदिया
श्रीमद् भागवत कथा मानव का कल्याण करने वाली है पावन कथा जीवन को संवार कर सुख समृद्धि शांति व ईश्वर के प्रति भक्ति भावना को बढ़ाने वाली है। धन की भक्ति ,भोग की भक्ति, तज कर भगवान की भक्ति में रमने से मानव जीवन का उद्धार संभव है उक्त बातें मंगलवार को कोयल भूपत ग्राम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दौरान स्वामी श्री राम प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने कही। उन्होंने कहा की कथा का अनुकरण नहीं श्रवण करने का विषय है ।कथा श्रवण से अपार चेतना का संचार होते रहता है और मानव ऊर्जावान होता है। उन्होंने कहा कि परमात्मा हम सब के हृदय में बास करते हैं। जो आत्मा है वही भगवान है ।भगवान का कान से श्रवण ,बाणी से कीर्तन ,मन से स्मरण करना चाहिये इसमें निष्ठा आवश्यक है।यह मनुष्य का सबसे बड़ा साधन है। धन के लिए धनी से मिलना पड़ता है वैसे ही भक्ति के लिए सच्चे भक्त से मिलना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जब-जब सृष्टि पर विपत्ति या संकट आता है तब तक श्री हरि अवतार में जन्म लेकर इसे दूर करते हैं ।भगवान विष्णु का वामन अवतार भी इसी उद्देश्य से हुआ था। भगवान विष्णु के वामन अवतार इंद्रदेव को स्वर्ग का राज पाट लौटने के लिए और अति बलशाली दैत्य राज बली के घमंड को तोड़ने के लिए भगवान विष्णु को वावन यानी ऋविक्रम के रूप में लेना पड़ा था और राजा बलि से तीन पग भूमि का मांग किया ।इस पर राजा बलि को आश्चर्य हुआ और सोचा यह छोटा ब्राह्मण तीन पग धरती में क्या करेगें? वे कहते हैं यह तो बहुत बड़ी थोड़ी जमीन है इस पर राजा बलि ने उन्हें तीन पग भूमि देने का संकल्प कर वचन दिया ।इस पर भगवान वामन ने अपना विराट रूप धारण कर लिया इसके बाद एक पग में सभी लोक, दूसरे में धरती नाप लेते हैं। अब राजा बलि के सामने वचन निभाने का संकट आ गया कि अब वह वचन कैसे निभाएं तो उन्होंने अपना सर सामने कर दिया भगवान वामन ने तीसरा पग राजा बलि के सिर पर रख बलिका कल्याण कर दिया दिया। इसके बाद स्वर्ग देवताओं को लौटा दिया। और राजा बलि को पाताल लोक भेज दिया उनकी दानवीरता से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु वरदान मांगने को कहा। इस पर बली भगवान से अपने पास दिन-रात दीव्यलोक में रहने का वर मांगते हैं ।बचन पालन करते हुए भगवान राजा बलि के द्वारपाल बन जाते हैं हालांकि बाद में माता लक्ष्मी ने राजा बलि से बर मांग कर भगवान को भी मुक्त कराया। कथा श्रवण के दौरान काफी संख्या में कोयल भूपत सहित द दर्जनों गांव के सैकड़ो की संख्या में स्त्री पुरुष श्रद्धालु भक्त मौजूद थे

Anjani Kumar
Author: Anjani Kumar

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