करपी,अरवल। प्राथमिक शिक्षा के स्तर को बढ़ावा देने के उद्देश प्राथमिक एवम मध्य विद्यालयों में केंद्र प्रायोजित पीएम पोषण योजना पर लग सकता है ग्रहण। पैसे के अभाव में मधायन भोजन बनवाने में अब विद्यालय प्रभारी को कर्ज के बोझ तले दबने की स्थिति में आ गए है। जिस विद्यालय में नियमित शिक्षक है वे तो विद्यालय में मध्यान भोजन अपने वेतन के पैसे से चलाने सक्षम हो सकते है।
लेकिन नियोजित शिक्षक प्रभारी है उनके समक्ष एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो जायेगी क्योंकि जिओबी वेतन प्राप्त करने वाले नियोजित शिक्षको को चार माह से वेतन नही मिला हैं । ऐसे में अपने घर चलाने में तो नियोजित शिक्षक को कर्ज का सहारा लेना पर रहा है। तो वे छात्रों को मध्यान भोजन कैसे बना सकते है। एक प्रभारी ने बताया कि चावल तो विभाग के द्वारा उपलब्ध करा दिया जा रहा है लेकिन किराना समान और सब्जी के लिय पैसे उपलब्ध नही कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि सितंबर महीने से ही भेंडर (राशन दुकानदार)के अकाउंट में पैसे नही भेजे गए है। वो भी अब ज्यादा उधार देने में हिचक रहा है।
उन्होंने बताया कि शुक्रवार को अंडे या फल छात्रों को देना होता है। जो अब उधार देने से हाथ खड़े करने लगा है। शुक्रवार को काफी बिनती के बाद फल दुकानदार ने फल दिया है। बताते चले कि छात्रों की उपस्थिति एवम पोषण की स्थिति को सुधार करने के उद्देश्य के साथ साथ एक साथ इकट्ठा बैठ भोजन करने से समानता की भावना विकसित करना व जात पात के भेद भाव को दूर करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार के द्वारा वर्ष 2003 में मध्यान भोजन योजना की शुरुवात की गई थी। लेकिन सितंबर माह से चावल को छोड़ अन्य सामग्रियों की खरीदारी के लिय विभाग द्वारा पैसे नही उपलब्ध कराए गए है।
ऐसे में केंद्र प्रायोजित मध्यान भोजन पर ग्रहण लग सकता है। जिस विद्यालय में प्रभारी नियोजित शिक्षक है और उनका वेतन जीओबी से वेतन मिलता है। क्योंकि उन्हें भी सितंबर महीने से वेतन नही मिला है। इस संबंध में मध्यान भोजन समन्वयक मो0 सिद्धकी ने बताया की कुछ विद्यालय का सितंबर महीने का मध्यान भोजन का पैसा भेंडड़ को नही भेजा गया था। वैसे विद्यालय को सितंबर माह का पैसा भेज दिया गया है। पैसा का आवंटन होते ही अक्टूबर एवम नवंबर महीने का भी पैसा भेज दिया जायेगा।