भाकपा-माले की राज्य कमिटी की दो दिवसीय बैठक बिक्रमगंज के प्रमिला मंडप मैरिज हॉल में सम्पन्न हुई। बैठक के बाद पार्टी नेताओं ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार की तथाकथित डबल इंजन सरकार अब डबल बुलडोजर सरकार बन चुकी है, जिससे जनता मुक्ति चाहती है।
राज्य सचिव ने बताया कि महागठबंधन की राज्यस्तरीय समन्वय समिति बन चुकी है और जल्द ही जिला व प्रखंड स्तर पर भी ऐसी समितियाँ गठित होंगी। बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति, संगठनात्मक मजबूती और जन आंदोलनों को तेज करने पर चर्चा की गई।
बैठक में कई बड़े कार्यक्रमों की घोषणा की गई:
3 मई को वक्फ संशोधन कानून की वापसी की मांग को लेकर राज्यव्यापी प्रदर्शन
24 मई को प्रधानमंत्री के दौरे पर स्कीम वर्कर्स न्यूनतम मानदेय की मांग उठाएंगे
23 अप्रैल से 10 मई तक ‘साझी शहादत – साझी विरासत’ अभियान
2 मई को सहारा निवेशकों की और 3 मई को छोटे व्यापारियों की बैठक पटना में
सांसदों का तीखा हमला:
स्थानीय सांसद राजाराम सिंह ने सरकार पर संविधान पर हमला करने का आरोप लगाया और कहा कि वक्फ बोर्ड को निशाना बनाना अल्पसंख्यकों और लोकतंत्र दोनों पर हमला है। उन्होंने कृषि और श्रम कानूनों के जरिए मजदूर-किसानों के अधिकारों को खत्म करने की कोशिशों का भी विरोध किया।
सांसद सुदामा प्रसाद ने सहारा चिटफंड घोटाले और छोटे व्यापारियों की समस्याओं को उठाते हुए कहा कि माले की पहल से कई निवेशकों को राहत मिली है और यह संघर्ष जारी रहेगा।
महिला मुद्दे और सामाजिक सवाल:
मीना तिवारी और शशि यादव ने महिला शिक्षा, पेंशन, मानदेय जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरा। 24 अप्रैल को आशा, आंगनवाड़ी और रसोइयों का बड़ा प्रदर्शन होगा।
संगठनात्मक विस्तार और चुनावी तैयारी:
बैठक में तय हुआ कि पार्टी हर जिले में अपनी सांगठनिक ताकत बढ़ाएगी और सभी वर्गों को जोड़ते हुए व्यापक जनआंदोलन चलाएगी। 65 प्रतिशत आरक्षण के सवाल पर सरकार के रवैये को विश्वासघात करार दिया गया।
नेताओं ने कहा कि आने वाला विधानसभा चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और संविधान की रक्षा की लड़ाई है।