Bakwas News

सिंधुगढ़ में ही बने नए थाने का भवन, ग्रामीणों ने पुलिस अधिक्षक से लगाई गुहार

नक्सलियों से लोहा लेने में 1992 में शहीद हो गए थे सिंधुगढ़ गांव के पांच ग्रामीण।
नक्सलियों से सालों लोहा लेते रहे थे सिंधुगढ़ के ग्रामीण।
1989 में नक्सलियों ने सिंधुगढ़ गांव पर बोल दिया था हमला।
1993 में दर्जन भर नक्सलियों को सिंधुगढ़ के ग्रामीणों ने उतार दिया था मौत के घाट।
मुखिया देवनंदन यादव की भूमिका आज भी की जाती है याद।
सिंधुगढ़ गांव के ग्रामीणों की सौर्य की होती है आज भी चर्चे।
मोहनपुर, एक संवाददाता रामानंद सिंह
गया जिले के अति नक्सल प्रभावित मोहनपुर प्रखंड की अंबातरी पंचायत के सिंधुगढ़ गांव के लोगों ने नये थाना भवन का निर्माण गांव में ही कराने को लेकर वरीय पुलिस अधिक्षक को आवेदन दिया है। जिसमें शेरघाटी के अनुमंडल पदाधिकारी पर थाने के लिए सिंधुगढ़ टोला भेलवाटांड़ में चिंहित की गई जमीन को विवादित और तथ्यहीन अनुशांसा करने का आरोप लगाया गया है। जबकि सिंधुगढ़ टोला भेलवाटाड़ में ही नवसृजित थाने का भवन बनाने के लिए पूर्व में अंचल अमीन व सीओ द्वारा चिंहित जमीन की मापी की गई थी। जिसका खाता-109 और प्लॉट-160 170 18, 19 व 20 है। यहां थाने के भवन निर्माण के लिए 1 एकड़ 10 डिसमील सरकारी जमीन उपलब्ध भी है। ग्रामीणों की ओर से वरिय पुलिस अधिक्षक को दिए गए आवेदन में अनुमंडल पदधिकारी द्वारा गलत जानकारी व सिंधुगढ़ गांव के लोगों के संघर्षों की जानकारी नहीं होने का भी आरोप लगाया गया है। बताया जाता है कि भेलवाटाड़ के ग्रामीणों की शिकायत पर पिछले माह शेरघाटी एसडीओ सारा अशरफ ने थाना भवन निर्माण को चिंहित की गई जमीन की स्थाल निरीक्षण की थी। उसके बाद सिंधुगढ़ गांव से करीब ढ़ाई किमी. दूर मथुरापुर टाड़ पर की जमीन को भवन मिर्नाण के लिए चिंहित की गई है। इससे सिंधुगढ़ गांव के लोगों में भारी आक्रोश है। जबकि सिंधुगढ़ के ग्रामीणों के लंबे अर्से के संघर्षों के बाद सूबे की सरकार की ओर से सुरक्षा के लिए गांव को थाना मिला है। इससे सिंधुगढ़ और आसपास के गांव-टोलों के लोगों में अपार खुशी है।
नक्सलियों से लोहा लेने में मारे गए थे सिंधुगढ़ के 5 ग्रामीण
सिंधुगढ़ गांव के ग्रामीण नक्सलियों से लगातार लोहा लेते रहे। प्राप्त जानकारी के अनुसार 1989 में नक्सलियों ने गांव पर धावा बोल दिया था। तब मुखिया रहे देवनंदन यादव की हत्या करने की नियत से नक्सली गांव पर चढ़ाई कर दी थी। लेकिन ग्रामीणों ने साहस का परिचय देते हुए घंटों नक्सलियों से लोहा लेते रहे और पांच नक्सलियों को मौत के घाट उतार दिया था। इसके गुस्से में नक्सलियों ने तीन वर्ष बाद 1992 में लकड़ी लाने जंगल गए सिंधुगढ़ के पांच ग्रामीणों की हत्या गला काट कर निर्मम तरीके से कर दी थी। इन पर नक्सलियों द्वारा मुखिया देवनंदन यादव को साथ देने व पुलिस मुखिवीरी का आरोप लगाया था। जिसके बाद सिंधुगढ़ गांव के लोगों ने 5 मई 1993 को 13 नक्सलियों को मौत के घाट उतार दिया था। तब नक्सलियों का जत्था यहां अपने साथियों की शहादत मनाने पहुंचे थे। नक्सली और सिंधुगढ़ गांव के ग्रामीणों के बीच सालों खूनी खेल चलता रहा।
1990 में गांव में बना पुलिस पिकेट
नक्सलियों की खौफ से सिंधुगढ़ गांव के ग्रामीणों को बचाने के लिए सरकार की ओर से 1990 में पुलिस पिकेट मिला। जिसे दो वर्ष बाद 2002 में ओपी का दर्जा मिल गया। समय निकलने के साथ नक्सलियों की शक्ति भी कमती गई। 2007 में गांव से ओपी को हटा लिया गया। जिसे लेकर सिंधुगढ़ गांव के ग्रामीण लगातार संघर्ष करते रहे। जिसका नतिजा हुआ कि गांव को इस साल नया थाना मिल गया। लेकिन जमीन विवाद के पेंच में नए थाना भवन का भवन निर्माण फंस गया है।
क्या कहते हैं ग्रामीण
सिंधुगढ़ के भेलवाटाड़ में ही नए थाने का भवन बना कर शहिद ग्रामीणों को असली श्रद्धांजलि दी जा सकती है। यहां इसकी खास जरूरत भी है। आज के अधिकारियों को गांव में आकर लोगों की पीड़ा जानने की जरूरत है। नागेन्द्र यादव ग्रामीण सिंधुगढ़, मोहनपुर
नक्सलियों से लोहा लेने में सिंधुगढ़ के पांच लोग शहीद हुए थे, इसलिए गांव में ही नए थाना भवन बनना चाहिए। इसकी यहां खास जरूरत भी है। भवन के लिए अपनी जमीन देने को तैयार हैं। सुखदेव यादव ग्रामीण सिंधुगढ़, मोहनपुर
स्थानीय अधिकारियों को सिंधुगढ़ के लोगों की सौर्य जानने की जरूरत है। तभी उन्हें गांव में नए थाना भवन बनवाने का महत्व समझ में आएगी। भवन के लिए अपनी जमीन राज्य पाल के नाम रजिस्ट्री करने को हर वक्त तैयार हैं। सिरधर यादव ग्रामीण सिंधुगढ़, मोहनपुर

Leave a Comment