इस्लाम धर्म और अल्लाह की इबादत में यकीन रखने वाले लोग उमराह के लिए मक्का शहर जाते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। विद्युत विभाग बिक्रमगंज मे कार्यरत कार्यपालक सहायक मो आदिल खान ने बताया की हर धर्म में पूजा-पाठ करने का अपना एक तरीका होता है। हिंदू धर्म में ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए जिस तरह से चारधाम यात्रा की जाती है ठीक उसी तरह से इस्लाम को मानने वाले उमराह करते हैं और हज पर जाते हैं। जिस तरह पूजा-पाठ करने से मन को शांति मिलती है ठीक उसी तरह से उमराह करके इस्लाम के मामने वाले सुकून पाते हैं। उमराह करने के लिए लोग सऊदी अरब के सबसे पुराने और पवित्र शहर मक्का जाते हैं। नेता-अभिनेताओं से लेकर एक आम मुसलमान तक, हर वो इंसान जो आर्थिक रूप से समर्थ है और अल्लाह की इबादत में यकीन रखता है, वह उमराह के लिए जरूर जाता है। आगे बताया गया की बिक्रमगंज से कुल आठ लोग उमराह करने के लिए मक्का गए हैं, जिसमे उनके पिता मो अनीस खान एवं हाजी मो कलीमुद्दीन, डॉ महफूज आलम, हसनैन खान, नुसरत आलम, सईद आलम, मो सदरुद्दीन खान, मौलाना ग़ुलाम सरवर का नाम शामिल है।