नहाय-खाय के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ मंगलवार से आरंभ हो गया। नहाय-खाय के अगले दिन बुधवार को पूरे दिन निर्जला उपवास रख व्रती संध्या काल खरना करेंगे। इसके अगले दिन सात नवंबर गुरुवार को महापर्व छठ का पहला अर्घ अस्ताचलगामी सूर्य को अर्पित किया जायेगा। सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ अर्पण के संग सूर्योपासना का यह महापर्व शुक्रवार को संपन्न होगा। इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास व्रती खंडित करेंगे। इसकी तैयारी लोगों ने लगभग पूरी कर ली है। नहाय-खाय के दिन सुबह व्रती पवित्र जल से स्नान किये। भगवान सूर्य को अर्घ देने के पश्चात पूजा-अर्चना किये। नया परिधान धारण कर व्रती नहाय-खाय पूरा किये।महिलाएं नाक से सिंदूर कर पूजन की। नहाय-खाय के लिए व्रती के संग घर की अन्य महिलाएं मिट्टी के नये चूल्हे पर अरवा भोजन पकायी। इसमें अरवा चावल का भात, मूंग की दाल, कद्दू की सब्जी, अन्य सब्जी, तरूआ आदि पकाया गया। संध्या काल में मिट्टी के चूल्हे पर ही खुद धो-कूटकर तैयार गेहूं के आटा की रोटी और सब्जी बनायी और उसे ग्रहण किया। इधर महज दो दिन शेष रहने के कारण छठ घाटों की सफाई में श्रद्धालु खुद जुट गये हैं। अपने अर्घ को घाट पर सजाने एवं भगवान सूर्य को अर्पित करने के लिए घाट तैयार कर रहे हैं। शहर में नगर परिषद प्रशासन की ओर से की गयी सफाई के बाद खुद कुदाल, खुरपी आदि लेकर युवाओं की टोली घाटों पर पहुंच सफाई में जुट गयी। वहीं घाटों की साज-सज्जा भी शुरू हो गयी है। वातावरण पारंपरिक छठ गीतों के बोल से गुंजायमान होने लगा है।