करपी (अरवल)। प्रखंड के तेरा गांव में आयोजित श्रीमद भागवत कथा यज्ञ के दूसरे दिन भागवत पीठ पर विराजमान स्वामी पुरषोतमा चार्य जी महाराज ने अजामिल कयादू के कथा का वर्णन करते हुए कहा कि उनके यहां संतो का आगमन हुआ. उन्हें केवल अपने होने वाले पुत्र का नाम नारायण रखने को कहते हैं।
बालक होने पर उसे अरे नारायण, कहां हो नारायण, कुछ भी करे नारायण अन्त समय में पुत्र मोह के कारण से नारायण नारायण सच्चे ह्रदय से निकलने के कारण उस अधर्मी का भी उद्धार हो जाता है. श्रीमद्भागवत अत्यंत गोपनीय रहस्यात्मक पुराण है।
यह भगवत्स्वरूप का अनुभव कराने वाला और समस्त वेदों का सार है. संसार में फंसे हुए जो लोग इस घोर अज्ञानान्धकार से पार जाना चाहते हैं उनके लिए आध्यात्मिक तत्वों को प्रकाशित कराने वाला यह एक अद्वितीय दीपक है. भागवत क्या है?
भागवत वैष्णवों का परम धन, पुराणों का तिलक, परम हंसों की संहिता, भक्ति ज्ञान-वैराग्य का प्रवाह (प्याऊ), भगवान् श्रीकृष्ण का आनंदमय स्वरूप, प्रेमी भक्तों की लीला स्थली, श्री राधा-कृष्ण का अद्वितीय निवास स्थान, जगत का आधार, लोक-परलोक को संवारने वाला, जगत् व्यवहार व परमार्थ का ज्ञान कराने वाला, वेदों उपनिषदों का अद्वितीय सार (रस), व्यक्ति को शांति तथा समाज को क्रांति का प्रतीक तथा पंचम वेद है. जहां भगवान के नाम नियमित रूप से लिया जाता है।
वहां सुख, समृद्धि व शांति बनी रहती है. जीवन को कर्मशील बनाना है तो श्रीमदभागवत कथा का श्रवण करें. यह जीवन जीने की कला सीखाती है. इस अवसर पर आशीर्वाद प्राप्त करने महायज्ञ में विधान परिषद सदस्य रामबली सिंह चंद्रवंशी पूर्व विधायक राहुल शर्मा समाज से विक्रम सिंह दिल्ली पब्लिक स्कूल के निर्देश धर्मेंद्र कुमार जिला परिषद सदस्य रंजन यादव दिनेश शर्मा शैलेश कुमार सनोज शहीत कई लोग पधारे।