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सामाजिक आंदोलन के बिना लोकतंत्र और लोकतंत्र के बिना समझ नहीं चल सकता : रामपुनियानी

अरवल : एआइपिएफ के बैनर से आज अरवल ब्लॉक परिसर में ‘आजादी के 75 साल: खतरे में लोकतंत्र और संविधान’ विषय पर एक परिचर्चा आयोजित हुई. परिचर्चा में आइआइटी बॉम्बे के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. रामपुनियानी,  भाकपा-माले के विधायक महानंद सिंह सहित कई बुद्धिजीवी ने भाग लिया. परिचर्चा की अध्यक्षता प्रो. राम उदय जी ने की जबकि संचालन संगठन के संयोयक डा. कमलेश शर्मा ने की. परिचर्चा का विषय प्रवेश डॉ. कुमार परवेज ने की.

 

मंच पर एआइपीएफ से जुड़े रवीन्द्र यादव, माले के जिला सचिव जितेंद्र यादव, सीपीआई के दीनानाथ सिंह, जदयू के जितेंद्र पटेल, जयप्रकाश बाबु, राजद नेता अर्जुन यादव, अवकाश प्राप्त शिक्षक सुरेंद्र बाबु, एआइपीएफ संयोजक मण्डल के संतोष आर्या, शाकिर, ग़ालिब, शाह शाद, फराह, रामेश्वर चौधरी, घनश्याम वर्मा, अनिल अंशुमन आदि उपस्थित थे.

 

डॉ राम पुनियानी जी को अरवल इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र–छात्राओं ने प्रो. अमृता सिंह के नेतृत्व में सम्मानित किया. परिचर्चा के पहले गांधी जी, डॉ. अम्बेदकर और 1942 के आंदोलनों को श्रद्धांजलि दी गई.

 

परिचर्चा में डॉ. रामपुनियानी ने कहा कि फासिस्ट ताकतें इतिहास को बहुत ही पीछे धकेल सकती हैं. यदि हिटलर 25 वर्ष पीछे ढकेल सकता है, तो यहां की ताकतें तो और ज्यादा खतरनाक हैं. उनके हजारों प्रचारक व स्वसंसेवक इसी काम में लगे हुए हैं. यदि ये आगे का चुनाव जीत गए तो सामान्य बैठक करना भी आसान नहीं होगा. सामाजिक आंदोलनों ने समाज का विकास किया है. उन्होंने कहा कि सामाजिक आंदोलनों के बिना लोकतंत्र संभव नहीं और लोकतंत्र के बिना सामाजिक आंदोलन नहीं चल सकते. हमें ऐसी सभी ताकतों को एकताबद्ध करना होगा. कहा कि मानव अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है. लोकतंत्र खोखला किया जा रहा है. संविधान की हत्या हो रही है. 150 दिन बाद भी मणिपुर आज तक प्रधानमन्त्री नहीं गए. इससे शर्मनाक क्या हो सकता है. संसद में कौन सी भाषा बोली जा रही है. पूरा देश देख रहा है. धर्म के नाम पर जहर फैलाया जा रहा है।

 

महानद सिंह ने कहा कि मणिपुर में औरतों के शरीर को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. यह बीजेपी की राजनीति है. आज का पूरा दौर है, उसमें विभिन्न तरीकों से व तमाम क्षेत्रों में आरएसएस औरतों की गुलामी को बढ़ावा दे रही है. केवल तीन तलाक के खिलाफ कानून नहीं बनाए जा रहे बल्कि ये दंडिसंहिता को जो आज न्याय संहिता कह रहे हैं,  यह पूरी तरह से अन्याय को ही स्थापित करने की कोशिशें है. इस न्याय संहिता में औरतों की तमाम आजादी को कुचल देने की साजिश है.

कुमार परवेज़ ने कहा कि ब्राह्मणवादी ताकतों से गंभीर खतरा है. 2015 में आरक्षण को खत्म करना चाहते थे. हमने उनको चुनौती दी थी. लेकिन आज धीरे-धीरे करके आरक्षण को लगभग समाप्त कर दिया गया. अब आरक्षण नाम की कोई चीज नहीं रह गई. आज के नौजवानों, कमजोर वर्ग व दलित समुदाय के लोगों को बताना होगा कि भाजपा-आरएसएस दरअसल करना क्या चाहते हैं.

कमलेश शर्मा ने कहा कि मनुस्मृति से खतरा महिलाओं और दलितों को है. उन्होंने अपने वक्तव्य में आजादी के आंदोलनों के दौरान आरएसएस की नकारात्मक भूमिका पर फोकस किया. कहा कि कट्टरपंथी किसी भी समुदाय का हो, वह धर्मनिरपेक्षता व लोकतंत्र के लिए खतरनाक है. मुसलमानों के लिए कई झूठ फैलाए जाते हैं.

परिचर्चा फासीवादी हमले के खिलाफ लोकतंत्र व संविधान के पक्ष में वैचारिक मोर्चे को मजबूत बनाने के उद्देश्य से की गई है।

 

जिसमें अरवल के बुद्धिजीवियों, छात्र-नौजवानों और दलित-बुद्धिजीवियों ने भी बड़ी संख्या में हिस्सा लिया और भाजपा-आरएसएस के खिलाफ निर्णायक संघर्ष में एकताबद्ध होकर आगे बढ़ने का संकल्प भी लिया. कार्यक्रम को सफल बनाने में एआइपीएफ और भाकपा – माले के कार्यकर्ताओं ने बड़ी भूमिका अदा की।

Rajnish Ranjan
Author: Rajnish Ranjan

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