रोहतास जिला से विशेष संवाददाता चंद्रमोहन चौधरी की रिपोर्ट
कृषि विज्ञान केंद्र, बिक्रमगंज, रोहतास के द्वारा शनिवार को मसोना में प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान आर के जलज ने बताया कि बिना उर्वरक एवं रसायनिक दवाओं के इस्तेमाल से प्रकृतिक खेती हो सकती है। उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती द्वारा किसान अपने मिट्टी को सुक्ष्म जीवाणुओं के माध्यम से शक्तिशाली बना सकते है।
उन्होंने किसानों से अनुरोध किया की इस खेती के लिए अपने पास देसी गाय के दूध, गोमूत्र, गोबर का प्रयोग कर जीवामृत घन जीवामृत इत्यादि बनाएं। अपने मिट्टी में बिना किसी रसायनिक उर्वरकों एवं दवाओं के अधिकतम उपज प्राप्त इससे कर सकते है। इस अवसर पर कृषि विज्ञान बिक्रमगंज के मृदा वैज्ञानिक डॉक्टर रामाकांत सिंह ने किसानों से घन जीवामृत, जीवामृत, ब्रह्मास्त्र, अग्नियास्त्र इत्यादि बनाने एवं उपयोग की विधियों पर विस्तृत जानकारी दी। कहा कि फसल लगाने से लेकर फसल के फलन की अवस्था तक इनसे पोषक तत्वों की आपूर्ति के साथ-साथ कीड़े और रोग के नियंत्रण हेतु इन दवाओं का प्रयोग किया जा सकता है।
प्रकृति में हो रहे रसायनिक दुष्परिणामों से बचा जा सकता है। डॉ सिंह ने घन जीवामृत बनाने हेतु 100 किलो गोबर, 20 लीटर गोमूत्र, 2 किलो गुड़, 2 किलो बेसन इत्यादि के मिश्रण को तैयार कर 7 दिन के अंदर अपने खेतों में प्रयोग करने की बात कही। कीट एवं रोगों के नियंत्रण के लिए अग्नियास्त्र ब्रह्मास्त्र नीमस्त्र इत्यादि दवाओं का निर्माण की प्रक्रिया पर विस्तृत जानकारी दी। उसके उपयोग करने की विधि बताई। इस अवसर पर किसान पूनम देवी, मंजू देवी, अर्जुन सिंह के अलावा सैकड़ों किसान उपस्थित थे।