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किसकी नाक का सवाल बन गए हैं गुजरात और हिमाचल चुनाव ?

हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस फिर से आमने सामने की लड़ाई में है। कांग्रेस ने दिल्ली से सबक सीखा है। केजरीवाल जब पहली बार कांग्रेस को हरा कर दिल्ली में चुनाव जीते थे, तब राहुल गांधी ने कांग्रेस की एक बंद कमरे की मीटिंग में कहा था कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को केजरीवाल से सीखना चाहिए कि चुनाव कैसे लड़ना होता है।वह केजरीवाल से इतना प्रभावित थे कि उन्होंने कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में उनकी पहली सरकार बनवा दी थी। फिर कुछ दिन तक कांग्रेस और भाजपा में आम आदमी पार्टी को एक दूसरे की बी टीम कहने की होड़ मची। आखिर भाजपा और कांग्रेस दोनों को समझ आ गया कि आम आदमी पार्टी दोनों का वोट बैंक खा रही है। पंजाब में उसने कांग्रेस, भाजपा के साथ साथ क्षेत्रीय पार्टी अकाली दल का वोट2014 से हरियाणा की राजनीति में बदलाव आया, जब देवी लाल के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला भ्रष्टाचार के आरोप में जेल चले गए, और उधर राष्ट्रीय राजनीति में मोदी का उदय हुआ, तो हरियाणा में कमल का फूल खिला, और ऐसा खिला कि 2019 में भाजपा ने सत्ता में वापसी भी कर ली।हिमाचल में भी अब पहली बार लग रहा है कि भाजपा सरकार की वापसी हो रही है। अगर ऐसा होता है तो इसकी वजह आम आदमी पार्टी होगी, क्योंकि वह 68 में से 67 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर मोदी के विपक्ष के रूप में उभरने की कोशिश कर रही है, इसलिए वह हर राज्य में मोदी विरोधी वोटरों को अपनी तरफ आकर्षित करती है।

हिमाचल प्रदेश और गुजरात दोनों ही राज्यों में वह मोदी विरोधी वोटरों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है। इसका सीधा नुकसान मोदी विरोधी प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस को होगा, और मोदी विरोधी वोट बंटने से सीधा फायदा भाजपा को होगा। जिससे दोनों ही राज्यों में भाजपा की सीटें बढ़ सकती हैं।

कांग्रेस इस बात को बखूबी समझती है, इसलिए कांग्रेस ने राहुल गांधी की दस साल पहले कही गई बात को याद करके केजरीवाल के तरीके से चुनाव लड़ने का फैसला किया है

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Author: Bakwas News

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