राँची। झारखंड में बीते 16 साल के दौरान विभिन्न विभागों के जरिए खर्च की गई करोड़ों की राशि का हिसाब सरकार को नहीं मिला है, सरकार विकास योजनाओं सहित अन्य मदों में विभिन्न विभागों को राशि तो लगातार जारी करती रही, पर राशि का किस तरह और कितना उपयोग हुआ, इसका सही-सही ब्योरा सरकार को नहीं मिल पाया है।राज्य सरकार ने माना है कि कुल एक लाख तीन हजार चार सौ उनसठ करोड़ (103459.14) करोड़ की राशि का हिसाब नहीं मिल पाया है वही राज्य में कुल 39 हजार से अधिक योजनाओं या मदों में दी गई राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं उपलब्ध है।
सबसे ज्यादा ग्रामीण विकास विभाग में 14361.00 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं है, इसी तरह कृषि विभाग 611 करोड़, ऊर्जा में 9234 करोड़, नगर विकास विभाग सहित अन्य विभागों में भी बड़ी राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं किया गया है। जब
इसका खुलासा झारखंड के मुख्य सचिव झारखंड सुखदेव सिंह के पत्र से हुआ है, जो उन्होंने सभी विभागों के सचिवों को लिखा है उन्होंने उपयोगिता प्रमाण लंबित रहने पर चिंता जतायी है वही सीएस ने कहा कि कई निर्देश के बाद भी बड़ी राशि का हिसाब बकाया है, जो गंभीर विषय है। सीएस ने यह भी कहा है कि झारखंड के वित्त विभाग द्वारा बार-बार स्मारित किये जाने के बावजूद लंबित उपयोगिता प्रमाण-पत्र समर्पित नहीं किया जाना यह दर्शाता है कि आपके विभाग द्वारा इस संबंध में गंभीर प्रयास नहीं किया गया। वही महालेखाकार झारखंड द्वारा उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) सबमिट करने की ऑनलाइन व्यवस्था भी सितंबर 2019 से प्रभावी है। सीएस ने ऑनलाइन सबमिशन कर रिपोर्ट देने को कहा है।
उधर व्यक्तिगत रुचि लेकर उपयोगिता प्रमाण पत्र देने का निर्देश मुख्य सचिव ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव,प्रधान सचिव,सचिवों को व्यक्तिगत रुचि लेकर लंबित उपयोगिता प्रमाण पत्र अविलंब समर्पित करने का आदेश दिया है। सीएस ने कहा कि अगर सचिव रुचि लेंगे और लगातार मॉनिटरिंग करेंगे तो लंबित उपयोगिता प्रमाण पत्र में अपेक्षित कमी हो सकेगी।
एजी की रिपोर्ट से मिली जानकारी दरअसल, महालेखाकार लेखा एवं हकदारी झारखंड ने 26 जुलाई 2022 को ही सीएस को एक पत्र लिखा था और पूरी विवरणी दी थी। यह बात सामने आई कि 2006-07 से 2020-21 तक कुल 103459.14 करोड़ की राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र विभिन्न विभागों में लंबित है।
क्या है उपयोगिता प्रमाण पत्र
उपयोगिता प्रमाण पत्र यानी खर्च का सही हिसाब-किताब इसे दिए बिन आगे की राशि नहीं दी जाती है क्योंकि रुपये प्राप्त करने वाले पदाधिकारी-विभाग के लिए यह नियम है कि वे ट्रेजरी कोड के तहत प्रपत्र भर के उपयोगिता प्रमाण पत्र एक साल के अंदर जमा कर दें कि कितनी राशि खर्च हुई है और कितनी बची है। इसकी प्रति एकाउंटेंट जनरल झारखंड को भेजनी होती है।उपयोगिता प्रमाण पत्र वित्तीय प्रबंधन की ट्रांसपेरेंसी को स्थापित करता है।
प्रत्येक वर्ष – राशि करोड़ में
2012-13 2685 1239.47
2013-14 936 11235.61
2014-15 1320 1564.44
2015-16 2134 5354.78
2016-17 8902 9573.72
2017-18 4868 14497.51
2018-19 3968 18591.51
2019-20 4441 17044.72
2020-21 4735 18710.47
2021-22 5075 15406.55
कुल: 39064 103459.14