अपराध जगत में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में 15 जुलाई 2001 का दिन काफी चर्चित रहा है। यह दिन आपराधिक इतिहास में दर्ज हो चुका है, क्योंकि यह दिन माफिया डॉन बृजेश सिंह और बाहुबली मुख्तार अंसारी के बीच हुए गैंगवार से जुड़ा हुआ है। इस मंजर को याद कर प्रत्यक्षदर्शी आज भी कांप उठते हैं। गोलियों की तड़तड़ाहट की आवाज आज भी इनके जेहन में गूंजने लगती है। इसी मामले में माफिया डॉन बृजेश सिंह की गाजीपुर के एमपी एमएलए कोर्ट में 16 अगस्त को पेशी थी, लेकिन पीठासीन अधिकारी के अवकाश पर होने के चलते अब 29 अगस्त की तिथि मुकर्रर की गई है।
मालूम हो कि वर्ष 2001 के जुलाई महीने में पूरे उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की सरगर्मी थी। बाहुबली मुख्तार अंसारी अपने उम्मीदवारों के प्रचार के लिए मुहम्मदाबाद स्थित अपने घर से मऊ जा रहे थे। उनका काफिला मऊ की तरफ बढ़ ही रहा था कि वहां से करीब 7 किलोमीटर दूर स्थित उसरीचट्टी पर अचानक एक ट्रक उनके काफिले के पीछे-पीछे चलने लगा। काफिले के पीछे एक सूमो भी आ रही थी। अभी काफिला रेलवे क्रॉसिंग के पास पहुंचा ही था कि पीछे चल रहा ट्रक मुख्तार अंसारी के काफिला से आगे निकला और अचानक ट्रक में सवार लोग मुख्तार अंसारी के काफिले पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दी। अचानक हुए हमले से मुख्तार अंसारी और उसके गुर्गे बचाव में जवाबी फायरिंग शुरू कर दिए।
इस हमले में मुख्तार अंसारी का एक गार्ड मारा गया। किसी तरह से छुपते-छिपाते मुख्तार अंसारी एक पेड़ की आड़ लेकर हमलावर पर फायर करना शुरू कर दिए। इसमें एक हमलावर मारा गया। मुख्तार अंसारी बाल-बाल बच गए थे। इस मामले में मुख्तार अंसारी ने बृजेश और त्रिभुवन सिंह को नामजद करते हुए 15 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इसी मामले में बृजेश सिंह की गाजीपुर के एमपी एमएलए कोर्ट में 16 अगस्त को पेशी होनी थी।