*भारतमाला परियोजना: कैमूर में 48 मौजों से संबंधित किसानों की समस्याओं की भौतिक सुनवाई, आर्बिट्रेटर ने समाधान का भरोसा दिया*
कैमूर जिले में भारतमाला परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण से संबंधित किसानों की समस्याओं की सुनवाई आज समाहरणालय परिसर स्थित समाहर्ता न्यायालय कक्ष में पटना प्रमंडल के आयुक्त सह आर्बिट्रेटर के द्वारा की गई। यह सुनवाई विशेष रूप से कैमूर जिले के 48 मौजों से जुड़े किसानों के लिए आयोजित की गई थी, जिससे वे बिना पटना गए अपनी बात सीधे रख सकें।
आर्बिट्रेटर के आगमन पर जिला पदाधिकारी कैमूर द्वारा पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया गया तथा परेड की सलामी दी गई। इसके पश्चात न्यायालय की कार्यवाही औपचारिक रूप से आरंभ हुई।
आर्बिट्रेटर ने कहा कि भारतमाला परियोजना केंद्र सरकार की एक अति महत्वपूर्ण योजना है, जिसकी निगरानी सीधे भारत सरकार के उच्चतम स्तर से की जा रही है। उन्होंने बताया कि किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ही यह निर्णय लिया गया है कि सभी मामलों की सुनवाई कैमूर में ही की जाएगी, ताकि उन्हें पटना आकर अनावश्यक परेशानी न झेलनी पड़े।
किसानों ने रखी अपनी समस्याएं:
सुनवाई के दौरान कई किसानों ने क्रमवार अपने वादों में अपनी समस्याएं और मांगें प्रस्तुत कीं। प्रमुख किसान नेताओं में अनिल सिंह और पशुपति सिंह ने गंभीर मुद्दों को उठाया:
अनिल सिंह ने कंपाउंड इंटरेस्ट के आधार पर मुआवजा भुगतान, भूमि विवाद की स्थिति में भभुआ स्थित स्थानीय न्यायालय में ही अपील की सुविधा, तथा किसानों को लंबित मुआवजा राशि के शीघ्र भुगतान की मांग रखी।
उन्होंने यह भी आग्रह किया कि भूमि की माप मूल नक्शे (Original Map) के आधार पर की जाए, न कि फोटोकॉपी से, जिससे भौगोलिक असमानता उत्पन्न हो रही है।
पशुपति सिंह ने भी इस बात पर ज़ोर दिया कि नक्शे की फोटोकॉपी से भूमि की नापी करने में गड़बड़ी हो रही है और इससे किसानों की जमीन के वास्तविक क्षेत्रफल में अंतर उत्पन्न हो रहा है।
आर्बिट्रेटर ने इन बातों को गंभीरता से लेते हुए निर्देश दिया कि भूमि की माप सिर्फ और सिर्फ मूल नक्शे से ही की जाए, जिससे पारदर्शिता बनी रहे और किसी भी किसान को नुकसान न हो।
प्रशासन का जवाब और आश्वासन:
सुनवाई के दौरान किसानों द्वारा यह शिकायत भी की गई कि एलपीसी (भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र), वंशावली प्रमाण पत्र एवं अन्य राजस्व अभिलेख समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं और कर्मचारियों का रवैया भी सहयोगात्मक नहीं है।
इस पर जिला पदाधिकारी ने तुरंत संज्ञान लेते हुए यह निर्देश दिया कि:
समाहरणालय परिसर में प्रतिदिन दोपहर 1:30 से 2:00 बजे तक भारतमाला परियोजना से संबंधित किसी भी प्रकार की शिकायतों की सुनवाई की जाएगी।
उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने पहले से ही सभी अंचलाधिकारी एवं भूमि सुधार उपसमाहर्ता को आवश्यक निर्देश दे दिए हैं, फिर भी किसी किसान को कोई परेशानी हो तो वह सीधे डीएम कार्यालय आकर अपनी बात रख सकता है।
आर्बिट्रेटर का आश्वासन:
कंपाउंड इंटरेस्ट जैसे तकनीकी मामलों पर आर्बिट्रेटर ने कहा कि यह विषय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और भारत सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा और वैधानिक व कानूनी पहलुओं की समीक्षा कर तर्कसंगत समाधान निकालने का प्रयास किया जाएगा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत सरकार किसानों के हितों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है और भारतमाला परियोजना के पूर्ण होने पर इस क्षेत्र में विकास की एक नई धारा बहेगी, जिससे स्थानीय जनता को रोजगार, सड़क संपर्क और आर्थिक गतिविधियों में तेज़ी जैसे लाभ मिलेंगे।
मौके पर NHAI के प्रोजेक्ट डायरेक्टर,अधिवक्तागण तथा अन्य कर्मी एवं पदाधिकारी मौजूद थे।