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आजादी के सात दशक बाद भी रकसियां को पक्की सड़क नसीब नहीं

बिक्रमगंज प्रखंड क्षेत्र के रकसियां गांव के लिए आजादी के सात दशक बाद भी पक्की सड़क नहीं बन पाई है। इस गांव के लोग आजाद तो हो गए लेकिन इन्हें आज़ादी नहीं मिल पाई। ये हैरान होने की बात नहीं है बल्कि ये सरकारी तंत्र की नाकामी का जीता-जागता सुबूत है। यहाँ के लोग आज भी पक्की सड़क का इंतजार कर रहे हैं। सरकारें आती रही जाती रही, नेताजी आते रहे और जाते रहे लेकिन रकसियां गांव की न तस्वीर बदली और ना यहां के लोगों की तकदीर। आजादी के 7 दशक बाद भी यहां के लोग सड़क की राह देख रहे हैं। आज भी यहाँ के लोग घर से एक किलोमीटर तक कीचड़ में चलकर सड़क तक पहुंचते हैं। ग्रामीणों का कहना है नेता चुनाव के वक्त सड़क बनाने का झूठा वादा तो करते हैं लेकिन फिर उन्हें भूल जाते हैं। उनकी सुध ना तो सरकार लेती है ना स्थानीय जनप्रतिनिधि। गांव के मनोज पांडेय कहते हैं कि पक्की सड़क के अभाव में लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सड़क निर्माण की मांग को लेकर लोकसभा चुनाव में वोट बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया था। उस समय ग्रामीण कार्य विभाग के अधिकारी आकर आश्वासन दिये की बहुत जल्द हीं सड़क का निर्माण कराया जाएगा। लेकिन अभी तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है।आजादी के 7 दशक बाद भी इस गावों में पक्की सड़क न होना एक बड़ी समस्या है। सरकार कहती है पलायन रोकने के लिए योजनाओं को संचालित किया जा रहा है, लेकिन समझ नहीं आता है कि आंखिर इन गावों की सुध क्यों नहीं ली जा रही। लेकिन वही इस बार ग्रामीण आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं । लोगों ने एक बैठक का आयोजन कर आंदोलन करने की बात कही है।

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