Bakwas News

बिहार से भाजपा–जदयू सरकार की विदाई तय — महागठबंधन एकजुट होकर लड़ेगा चुनाव*

भाकपा-माले की राज्य कमिटी की दो दिवसीय महत्वपूर्ण बैठक आज से रोहतास जिले के बिक्रमगंज स्थित प्रमिला मंडप मैरिज हॉल में शुरू हो गई है। बैठक में पार्टी की राज्य नेतृत्व टीम, विधायकों और जिलों के शीर्ष पदाधिकारियों की उपस्थिति दर्ज की गई है। बैठक की अध्यक्षता अध्यक्ष मंडल द्वारा की जा रही है, जिसमें का. अमर, का. मीना तिवारी, का. शशि यादव और का. नेयाज अहमद शामिल हैं। बैठक में वरिष्ठ नेता का. स्वदेश भट्टाचार्य, राज्य सचिव कुणाल, स्थानीय सांसद राजाराम सिंह, आरा के सांसद सुदामा प्रसाद, काराकाट के विधायक अरुण सिंह प्रमुख रूप से शामिल हैं. बैठक में आगामी बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति, संगठनात्मक मजबूती, जन आंदोलन की दिशा और भाजपा-जदयू सरकार के खिलाफ विपक्षी एकजुटता पर चर्चा हो रही है। राज्य सचिव का. कुणाल ने राजनीतिक हालातों की समीक्षा करते हुए कहा कि बिहार की जनता अब भाजपा-जदयू की जनविरोधी सरकार से मुक्ति चाहती है। उन्होंने कहा कि राज्य में महागठबंधन पूरी तरह एकजुट है और अब चुनावी मोर्चे पर साझा रूप से उतरने के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी बताया कि महागठबंधन की समन्वय समिति का गठन हो चुका है और श्री तेजस्वी यादव को इसका अध्यक्ष चुना गया है। का. कुणाल ने कहा कि हम जनता के बुनियादी सवालों—रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, महंगाई और भ्रष्टाचार—को लेकर सड़कों पर संघर्ष तेज करेंगे। भाजपा बिहार में सांप्रदायिक उन्माद फैलाकर चुनाव को हड़पना चाहती है, लेकिन हम इसे सफल नहीं होने देंगे। बिहार की जनता अब जाग चुकी है और बदलाव का मन बना चुकी है। बैठक में अमेरिका के सामने मोदी सरकार के समर्पण के खिलाफ प्रस्ताव पेश करते हुए कहा गया कि आज मोदी सरकार में भारत की संप्रभुता और लोकतांत्रिक ढांचे पर गहरा संकट मंडरा रहा है। अमेरिका के सामने सरकार की घुटनाटेक नीतियाँ, ट्रंप द्वारा टैरिफ की घोषणा, प्रवासी भारतीयों के साथ अपमानजनक व्यवहार और फ़िलिस्तीन में जारी हिंसा के सवाल पर शर्मनाक चुप्पी – इन सबने भारत की विदेश नीति और स्वाभिमान को दाग़दार किया है। भाजपा का देशभक्ति का चोला पूरी तरह बेनकाब हो चुका है। यह सब भारत की साम्राज्यवाद-विरोधी विरासत के साथ खुला विश्वासघात है।

संविधान पर हमला कर रही है सरकार: राजाराम सिंह

बैठक को संबोधित करते हुए स्थानीय सांसद का. राजाराम सिंह ने वक्फ बोर्ड से जुड़े हालिया विवादों पर जदयू को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि जदयू की भूमिका इस मुद्दे पर पूरी तरह से संविधान और लोकतंत्र विरोधी रही है। वक्फ बोर्ड को निशाना बनाना न सिर्फ मुस्लिम समुदाय पर हमला है, बल्कि यह भारत के संविधान की आत्मा पर भी प्रहार है। नीतीश कुमार अब जनता के भरोसे पर खरे नहीं उतरते। उनका सारा नैतिक बल समाप्त हो चुका है। बिहार को अब नए नेतृत्व की आवश्यकता है. उन्होंने आगे कहा कि वापस लिए गए कॉरपोरेट परस्त कृषि कानूनों को अब पीछे के दरवाज़े से नयी कृषि विपणन नीति के नाम पर फिर से लागू करने की कोशिश की जा रही है. मौजूदा सभी श्रम क़ानूनों को चार लेबर कोड से बदलने की तैयारी है, जो भारत के मेहनतकश तबके के संघर्षों से हासिल अधिकारों को समाप्त कर देंगे. सूचना का अधिकार क़ानून में ऐसे बदलाव किए जा रहे हैं जिससे नागरिकों का पारदर्शिता और जवाबदेही मांगने का हक़ छीना जा सके ताकि सरकार को मनमानी, भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग की खुली छूट मिल सके. इसे हम नहीं सहेंगे.

व्यापारियों और निवेशकों के मुद्दे उठाए सुदामा प्रसाद ने

बैठक में आरा के सांसद का. सुदामा प्रसाद ने छोटे व्यापारियों और सहारा जैसे चिटफंड घोटालों में फंसे निवेशकों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि माले की संसद में पहलकदमी के बाद ही सैकड़ों सहारा निवेशकों को अपना पैसा वापस मिला है। यह संघर्ष अभी अधूरा है और हम इसे निर्णायक मुकाम तक पहुँचाएंगे।

संगठनात्मक तैयारी और जन आंदोलन का आह्वान

बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि पार्टी संगठनात्मक रूप से हर जिले में अपनी ताकत बढ़ा रही है और चुनाव पूर्व जन आंदोलनों को और तेज किया जाएगा। भाकपा-माले हर तबके—मजदूर, किसान, छात्र, युवा, महिलाएं और दलित-ओबीसी समुदाय—की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विशेष अभियान चलाएगी। वंचितों के लिए 65 प्रतिशत आरक्षण के सवाल पर बिहार सरकार ने विश्वासघात किया है. तथाकथित डबल इंजन की सरकार उसे संविधान की 9 वीं अनुसूची में क्यों नहीं डालती ? पार्टी नेताओं ने एक स्वर में कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि बिहार में लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और संविधान की रक्षा का की लड़ाई है.

CHANDRAMOHAN CHOUDHARY
Author: CHANDRAMOHAN CHOUDHARY

Bio*

Leave a Comment