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जश्न-ए-आमद-ए-रसूल कांफ्रेंस का किया गया आयोजन

बिक्रमगंज शहर में घोसियाँ कला रोड में स्थित गुलजारबाग में रात जश्ने आमद-ए-रसूल कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। जिसकी शुरुआत तिलावते कलाम-ए-पाक के साथ नाते नबी से की गई। यूपी के अम्बेडकर नगर से आए हजरत मुफ्ती अंजुम रजा हक्कानी साहब ने कहा कि नबी-ए-करीम की उम्मत सभी उम्मतों में अफजल है। सारे नबियों मे हमारे नबी सबसे अफजल-ओ-आला हैं। अल्लाह ने अपना महबूब नबी को दुनिया में भेजकर हम सब पर बड़ा एहसान किया है। जिंदगी भर इबादत करकर भी इस एहसान का बदला पूरा नहीं किया जा सकता। हम लोग इसका जितना भी शुक्र अदा करें वो कम ही कम है। इसके बाद कोलकाता से आए हजरत अमन रजा कादरी साहब ने कहा कि जब हुजूर की पैदाइश हुई, उस वक्त फरिश्तों ने तीन झंडे लगाए, एक झंडा मगरिब में, दूसरा झंडा मशरिक में और तीसरा झंडा खाना-ए-काबा की छत पर लगाया। 12 रबी-उल-अव्वल के दिन झंडा लगाना फरिश्तों कि सुन्नत में है। आखिर में उन्होंने रोजाना कम से कम दिन में 313 बार दरूद शरीफ पढ़ने को जिंदगी का जरूरी अमल बनाने की बात कही। झारखंड से आए हसन फैजी ने बताया कि जहां कुरान शरीफ की तिलावत होती है, वहां हर वक्त अल्लाह की रहमतों का नुजूल रहता है। मदरसे में हर वक्त तलबा कुरान शरीफ पढ़ते हैं तो उस मोहल्ले पर लगातार रहमते बरसती रहती हैं। मदरसा रसूल अल्लाह का घर है और इसमें पढ़ने वाले तलबा मेहमाने रसूल हैं। इसलिए मदरसों से और तलबा से जो मोहब्बत करता है। उनकी इज्जत करता है और जो इनकी परवाह करता है वो बहुत खुशनसीब होता है। बताया कि उलेमा कि सोहबत में बैठना भी एक इबादत है। आखिर में बच्चों को दीन से जोड़ने की अपील उन्होंने की। सलात-ओ-सलाम व दुआ के साथ कॉन्फ्रेंस का समापन हुआ। इससे पूर्व नात-ए-पाक अजमत रजा भागलपुरी और शमशो कमर कलकतवी ने पेश की जबकि संचालन हसन फैजी झारखंडी ने किया।इस दौरान कांग्रेस के रोहतास जिला उपाध्यक्ष मो. अय्यूब खान, जसीम बाबा, राजा खान, टिंकू खान, टीपू खान, मीर खान, प्रिंस, अरमान खान, डॉ. अकील अहमद, डॉ.जावेद अली, इम्तेयाज अहमद,सगीर खान, हिफजूल रहमान, बबलू खान, इस्लाहुद्दीन खान, शमसाद खान, सोनू खान,डॉ. के आलम, साबिर खान, बंटी खान आदि समेत मदरसे के तलबा और बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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