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एएनएम के हड़ताल से आमस अस्पताल में सभी सेवाएं ठप, मरीजों की बढ़ी मुश्किलें

आमस (गया)              धर्मेन्द्र कुमार सिंह

फेस अटेंडेंस के विरोध में अनुबंध पर बहाल एएनएम के बेमियादी हड़ताल से गया जिले के आमस अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो गई है। गुस्साए एएनएम अस्पताल खुलते ही प्रदर्शन शुरू कर दे रही हैं। पिछले दो दिनों से रजिस्ट्रेशन काउंटर को बंद करा कर उसके आगे दिन भर धरने पर बैठी रह रही हैं। यहां दूर-दराज गांव-टोलों से इलाज कराने आये मरीजों का रजिस्ट्रेशन तक नहीं होने दे रही हैं। इस वजह ओपीडी में डॉक्टरों को बैठ कर दिन गुजारना पड़ रहा है। डॉ. अमित कुमार व डॉ. सुनंदा कुमारी ने बताया कि सिर्फ इमरजेंसी मरीजों को ऑफलान इलाज कर पा रहे हैं। जबकि यहां हर दिन दो से ढ़ाई सौ मरीज इलाज कराने आते हैं। आमस के अलावा गुरुआ व बांकेबाजार ब्लॉक के मरीज भी इलाज कराने आते हैं। झरी की बैदिक कुमारी, वृंदावन की लक्षमिनियां देवी व विशनपुर मठ पर के साधू यादव ने बताया कि ऑनलाइन इलाज कराने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है। लेकिन हड़ताल की वजह रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका। इसलिए बिना इलाज कराए निराश घर लौट रहे हैं। दिन भर गुलजार दिखने वाला अस्पताल में इनकी हड़ताल से सन्नाटा पसरा रह रहा है।
मांग पूरी होने तक हड़ताल रहेगी जारी
अपनी मांगों को ले अस्पताल सेवाएं ठप कर प्रदर्शन कर रहीं अर्चना, कंचन, ज्योति, सुमन, सोनी, प्रियंका, रजनी, गुड़िया, रूबी, पुष्पा आदि एएनएम ने कहा कि जब तक उनकी मांगों पर सरकार विचार नहीं करती हड़ताल जारी रहेगी। कहा गांवों में काम करने के दौरान फेस अटेंडेंस बना पाना संभव नहीं है। समान काम का समान वेतन व एनएचएम कर्मी से परर्मानेंट करना होगा। प्रदर्शन के दौरान सरकार व स्वास्थ्य मंत्री के विरोध में नारेबाजी को बुलंद करती दिखीं।

 

उप स्वास्थ्य केन्द्रों में लटक गये हैं ताले
इनकी अनिश्चितकालीन हड़ताल की वजह सीएचसी के अलावा उपस्वास्थ्य केन्द्र भी पूरी तरह प्रभावित है। लगभग सभी उपकेन्द्रों में ताला लटक रहे हैं। जिस वजह गांव-टोले के लोगों को साधारण इलाज के लिए कई किमी. दूर सीएचसी व निजी डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी नवजात शिशु व गर्भवतियों को टीका लगवाने में हो रही है। चिकित्सा अधिकारी डॉ. महेश कुमार ने बताया कि नियमित टीकाकरण के अलावा मलेरिया, डायरिया व मौसमी बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक करना प्रभावित है। कहा सरकार को शीघ्र इस ओर कदम उठाने की जरूरत है। गांव-टोले से हर दिन डायरिया के मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं।

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