आमस (गया) धर्मेन्द्र कुमार सिंह
कुछ दिन बाद सावन मास चढ़ने वाला है। आसमान में बादल उमड़-घुमड़ रहे हैं। लेकिन बारिश नहीं हो रही है। इससे किसानों सूखे को लेकर चिंता बढ़ने लगी है। कुछ किसानों द्वारा मोटर पंप से धान के बोये गए बिचड़े रोपने लायक तैयार हो चले हैं। लेकिन अभी तक नदी, आहर, पोखर, तालाब, डैम, पइन समेत सभी जलस्रोत सूखे पड़े हैं। कुछ दिन और बारिश नहीं हुई तो धान की उपज प्रभावित होगी। बता दें कि आमस में वर्षा ही एकमात्रा सिंचाई का साधन है। प्रखंड की कलवन, अकौना व महुआवां पंचायत में मोरहर नदी का पानी पहुंच पाता है। लेकिन बारिश नहीं होने के कारण वह भी सूखी पड़ी है। गोपाल सिंह, अजय सिंह, मनोज यादव, कमल रजक, तप्पू सिंह, इंदल प्रसाद, रामलगन सिंह आदि किसानों ने बताया कि सरकार को सिंचाई व्यवस्था की ओर ध्यान देने की जरूरत है।
कृषि प्रधान देश में हम कृषक ही उपेक्षित हैं। हर वर्ष सूखे की मार झेल रहे किसानों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है। सिंचाई के अभाव में यहां सरकार की कृषि से संबंधित कोई भी योजना सफल नहीं हो पाता है। सालों बाद भी उतरी कोयल नहर में मदनपुर के आगे पानी नहीं छोड़ा गया है। नहर के पानी से खेतों की सिंचाई करना यहां के किसानों के लिए सपना रह गया है। कृषि अधिकारियों के अनुसार प्रखंड में अब तक करीब 75 प्रतिशत धान के बिचड़े बोये जा चुके हैं। जबकि 40 सौ हेक्टेयर में धान रोपने का लक्ष्य रखा गया है।